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शिक्षकों की भर्ती: संसदीय समिति ने केंद्र का जवाब किया अस्वीकार, कहा- राज्यों से करें बातचीत

एक संसदीय समिति ने देश के विभिन्न राज्यों में शिक्षकों के रिक्त पदों को भरने के संबंध में केंद्र सरकार के जवाब को अस्वीकार कर दिया है. समिति का कहना है कि शिक्षा मंत्रालय द्वारा भर्ती की प्रक्रिया को तेज करना चाहिए, जिसके लिए राज्यों के साथ बातचीत करनी चाहिए.

Recruitment of Teachers
शिक्षकों की भर्ती
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Published : Aug 13, 2023, 3:57 PM IST

Updated : Aug 13, 2023, 5:22 PM IST

नई दिल्ली: संसद की एक समिति ने देश के विभिन्न राज्यों में बड़ी संख्या में शिक्षकों के रिक्त पदों को भरने के संबंध में केंद्र के जवाब को अस्वीकार करते हुए कहा है कि शिक्षा मंत्रालय को भर्ती प्रक्रिया तेज करने के लिए राज्यों के साथ बातचीत करनी चाहिए. संसद के दोनों सदनों में आठ अगस्त को पेश भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद विवेक ठाकुर की अध्यक्षता वाली शिक्षा, महिला, बाल, युवा एवं खेल संबंधी स्थायी समिति की सरकार द्वारा की गई कार्रवाई रिपोर्ट से यह जानकारी मिली है.

देश के विभिन्न राज्यों में स्कूलों में शिक्षकों के कुल 9,86,565 पद रिक्त हैं. रिपोर्ट के अनुसार, शिक्षा मंत्रालय ने समिति को बताया कि स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग समय-समय पर समीक्षा बैठकों और परामर्श के माध्यम से राज्य एवं संघ राज्य क्षेत्र सरकारों से शिक्षकों के रिक्त पदों को भरने तथा उनकी तर्कसंगत तैनाती का अनुरोध करती है. ऐसा इसलिए किया जाता है कि शिक्षा संविधान की समवर्ती सूची में शामिल विषय है और केंद्र सरकार के स्वामित्व वाले/वित्त पोषित स्कूलों के अलावा अन्य स्कूल संबंधित राज्य या केंद्र शासित प्रदेशों के नियंत्रण के तहत आते हैं.

मंत्रालय ने समिति को यह भी बताया कि स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती संबद्ध राज्य या केंद्र शासित प्रदेशों की जिम्मेदारी है और वे यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि भर्ती प्रक्रिया पारदर्शी और समबद्ध तरीके से पूरी हो. संसदीय समिति ने इस विषय पर सरकार के उत्तर को अस्वीकार करते हुए कहा कि शिक्षा मंत्रालय को भर्ती प्रक्रिया तेज करने के लिए राज्यों के साथ बातचीत करनी चाहिए और नई शिक्षा नीति के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए विभिन्न चरणों वाली समयबद्ध कार्य योजना तैयार करनी चाहिए.

समिति ने 2023-24 के लिए शिक्षा मंत्रालय की अनुदान की मांगों पर विचार करते हुए अपनी रिपोर्ट में कहा था कि राज्य स्तर पर स्कूलों में शिक्षकों के कुल 62,71,380 स्वीकृत पदों में से 9,86,565 पद रिक्त हैं. इनमें से प्रारंभिक स्तर पर 7,47,565, माध्यमिक स्तर पर 1,46,334 और उच्च माध्यमिक स्तर पर 92,666 पद रिक्त हैं. समिति ने अपनी रिपोर्ट में यह सिफारिश की थी कि स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग को नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत परिकल्पित 30:1 छात्र-शिक्षक अनुपात के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए शिक्षकों की रिक्तियों को समयबद्ध तरीके से भरने के उद्देश्य से भर्ती प्रक्रिया में तेजी लाने के वास्ते राज्यों को प्रोत्साहित करना चाहिए.

समिति ने यह भी कहा था कि कई राज्यों में शिक्षक भर्ती प्रक्रिया पारदर्शी नहीं है और यह बहुत लंबी है, इसलिए राज्य स्तर पर एक स्वायत्त भर्ती बोर्ड का गठन किया जाना चाहिए. वहीं, आठ अगस्त को संसद में पेश की गई रिपोर्ट में संसदीय समिति ने कहा कि उसका विचार है कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग को राज्य सरकारों को भर्ती प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली: संसद की एक समिति ने देश के विभिन्न राज्यों में बड़ी संख्या में शिक्षकों के रिक्त पदों को भरने के संबंध में केंद्र के जवाब को अस्वीकार करते हुए कहा है कि शिक्षा मंत्रालय को भर्ती प्रक्रिया तेज करने के लिए राज्यों के साथ बातचीत करनी चाहिए. संसद के दोनों सदनों में आठ अगस्त को पेश भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद विवेक ठाकुर की अध्यक्षता वाली शिक्षा, महिला, बाल, युवा एवं खेल संबंधी स्थायी समिति की सरकार द्वारा की गई कार्रवाई रिपोर्ट से यह जानकारी मिली है.

देश के विभिन्न राज्यों में स्कूलों में शिक्षकों के कुल 9,86,565 पद रिक्त हैं. रिपोर्ट के अनुसार, शिक्षा मंत्रालय ने समिति को बताया कि स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग समय-समय पर समीक्षा बैठकों और परामर्श के माध्यम से राज्य एवं संघ राज्य क्षेत्र सरकारों से शिक्षकों के रिक्त पदों को भरने तथा उनकी तर्कसंगत तैनाती का अनुरोध करती है. ऐसा इसलिए किया जाता है कि शिक्षा संविधान की समवर्ती सूची में शामिल विषय है और केंद्र सरकार के स्वामित्व वाले/वित्त पोषित स्कूलों के अलावा अन्य स्कूल संबंधित राज्य या केंद्र शासित प्रदेशों के नियंत्रण के तहत आते हैं.

मंत्रालय ने समिति को यह भी बताया कि स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती संबद्ध राज्य या केंद्र शासित प्रदेशों की जिम्मेदारी है और वे यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि भर्ती प्रक्रिया पारदर्शी और समबद्ध तरीके से पूरी हो. संसदीय समिति ने इस विषय पर सरकार के उत्तर को अस्वीकार करते हुए कहा कि शिक्षा मंत्रालय को भर्ती प्रक्रिया तेज करने के लिए राज्यों के साथ बातचीत करनी चाहिए और नई शिक्षा नीति के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए विभिन्न चरणों वाली समयबद्ध कार्य योजना तैयार करनी चाहिए.

समिति ने 2023-24 के लिए शिक्षा मंत्रालय की अनुदान की मांगों पर विचार करते हुए अपनी रिपोर्ट में कहा था कि राज्य स्तर पर स्कूलों में शिक्षकों के कुल 62,71,380 स्वीकृत पदों में से 9,86,565 पद रिक्त हैं. इनमें से प्रारंभिक स्तर पर 7,47,565, माध्यमिक स्तर पर 1,46,334 और उच्च माध्यमिक स्तर पर 92,666 पद रिक्त हैं. समिति ने अपनी रिपोर्ट में यह सिफारिश की थी कि स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग को नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत परिकल्पित 30:1 छात्र-शिक्षक अनुपात के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए शिक्षकों की रिक्तियों को समयबद्ध तरीके से भरने के उद्देश्य से भर्ती प्रक्रिया में तेजी लाने के वास्ते राज्यों को प्रोत्साहित करना चाहिए.

समिति ने यह भी कहा था कि कई राज्यों में शिक्षक भर्ती प्रक्रिया पारदर्शी नहीं है और यह बहुत लंबी है, इसलिए राज्य स्तर पर एक स्वायत्त भर्ती बोर्ड का गठन किया जाना चाहिए. वहीं, आठ अगस्त को संसद में पेश की गई रिपोर्ट में संसदीय समिति ने कहा कि उसका विचार है कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग को राज्य सरकारों को भर्ती प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए.

(पीटीआई-भाषा)

Last Updated : Aug 13, 2023, 5:22 PM IST
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