पुरी : ओडिशा का विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा पुरी में संपन्न होने के बाद आज (गुरुवार) श्रीजगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा का उनके रथों पर सोना वेश आयोजित हुआ. बहरहाल, तीनों रथ श्रीमंदिर के सिंहद्वार के समक्ष खड़े किये गए हैं. नौ दिनों के रथयात्रा संपन्न होने के बाद बुधवार को तीनों भगवान अपनी मौसे की घर श्रीगुंडिचा मंदिर से श्रीमंदिर लौटे आए. ये नौ दिवसीय प्रवास के बाद आज श्रीमंदिर के सिंहद्वार के सामने तीनों प्रभु राजराजेश्वर वेश, जिसे सोना वेश या स्वर्ण वेश भी कहा जाता है, में श्रद्धालुओं को दर्शन दिये.
यूं तो तीनों प्रभु का ये सोना वेश (सुनहरा पोशाक) साल में पांच बार होता है. इसमें से केवल यही एक मौका होता है, जब भगवान श्रीजगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा को उनके रथों पर सोना वेश में भारी संख्या में श्रद्धालु दर्शन कर पाते हैं. इस अनुष्ठान की यही खास विशेषता नहीं है, बल्कि इस अनुष्ठान में तीनों भगवान को रथों पर भारी सोने के आभूषणों से सजाया जाता है. आमतौर पर भगवान के स्वर्ण पोशाक अनुष्ठान में लगभग 200 किलो के सोने के आभूषणों का उपयोग किया जाता है.
इसके अलावा देवता चार अन्य अवसरों पर सोना वेश में श्रद्धालुओं को दर्शन देते हैं, जब वे मंदिर के भीतर अपने रत्न सिंहासन पर विराजित होते हैं. भगवान श्रीजगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा का सोना वेश रथयात्रा के अलावा दशहरा, कार्तिक पूर्णिमा, पौष पूर्णिमा और दोला पूर्णिमा के मौके पर होता है. इन अवसरों पर मंदिर के भीतर अनुष्ठान आयोजित किया जाता है, जबकि रथयात्रा के दौरान उनके रथों पर ही सोना वेश अनुष्ठान आयोजित होता है.
तय कार्यक्रम के अनुसार, सोना वेश अनुष्ठान आज शाम 4.30 बजे रथों पर शुरू हुआ. मैलम, संध्या आरती आदि जैसी विशेष पूजा विधियों के बाद यह विशेष अनुष्ठान किया जाएगा. सोना वेश के बाद शुक्रवार को अधरपणा और नीलाद्रि बिजे अनुष्ठान किया जाएगा. जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन ने रथयात्रा के अंतिम चरण के अनुष्ठानों के लिए व्यापक व्यवस्था की है. श्रद्धालुओं द्वारा सुचारू दर्शन के लिए सुरक्षा के विशेष इंतजाम किये गये हैं.
जानिए भगवान को सोने के किन आभूषणों से सजाया गया
महाप्रभु जगन्नाथ श्री पयार (पैर), श्री भुज, किरीटी, ओडियानी, चंद्र सूर्य, काना, अदाकरी, घगड़ा माली, कदंब माली, तिलक, चंद्रिका, अलका, झोबकंठी, चंद्र सूर्य, स्वर्ण चक्र, रोप्य शंख, हरिदा, कदंब के साथ आनंद लेते हैं. सोन वेश अनुष्ठान के दौरान देवी सुभद्रा को किरीती, ओडियानी, काना, सूर्या, चंद्रा, घगड़ा माली, कदम्बा माली, तदागी और सेवती माली जैसे कुछ आकर्षक सोने के आभूषण भी पहनाए जाते हैं. इसी प्रकार भगवान बलभद्र को श्री पयार (पैर), श्री भुज (हाथ) श्री किरीट ओधियानी कुंदर (कान की अंगूठी), सूर्य, चंद्र, अदकानी, खगड़ा, कदंब, तिलक चंद्रिका अलका, घोबा कंठी, हल मुसला जैसे विभिन्न प्रकार के सोने के आभूषणों से सजाया गया है.
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बता दें कि श्रीजगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा का उनके रथों पर सोना वेश आयोजित हुआ. इस दौरान उन्हें 35 अलग-अलग आभूषणों से सजाया गया. किंवदंती के अनुसार, राजा कपिलेंद्र देब एक पड़ोसी राज्य पर विजय प्राप्त करके भारी मात्रा में सोने के आभूषण लाए थे. उन्होंने 1460 में सभी मूल्यवान धातुएं मंदिर को दान कर दीं. तभी से, सोना वेश देवताओं का एक प्रमुख अनुष्ठान रहा है.
भगवानों को सोना वेश से सजाया गया इसमें ये प्रमुख थे-
- सुना हस्त - सुनहरा हाथ
- सुना पयार - गोल्डन फीट
- सुना मुकुट - स्वर्ण मुकुट
- सूना मयूर चंद्रिका - श्री जगन्नाथ द्वारा उपयोग किया जाने वाला एक सुनहरा मोर पंख
- सुना चूलपति - माथे पर पारंपरिक रूप से पहना जाने वाला एक स्वर्ण आभूषण
- सूना कुंडल - गोल गेंद प्रकार की लटकती हुई सुनहरी बाली
- सूना राहुरेखा - देवताओं के चारों ओर आधा चौकोर आकार की सुनहरी आभा
- सुना माला - सोने से बने कई डिज़ाइन वाले हार। इसमे शामिल है:
- पद्म माला - कमल के फूल का हार
- सेवती माला - गुलदाउदी फूल का हार
- अगस्ति माला - चंद्रमा के आकार के फूल डिजाइन का हार
- कदम्ब माला - कदम्ब फूल का हार
- कांटे माला - बड़े सोने के मोतियों का हार
- मयूर माला - मोर पंख के आकार का हार
- चंपा माला-चंपक फूल का हार
- सूर्य चक्र - स्वर्ण चक्र
- सुना गाडा - गोल्डन ब्लडजन
- सुन पद्मा - स्वर्ण कमल
- रूप शंख - एक चांदी का शंख