चंडीगढ़: देश की सत्ता से बीजेपी को हटाने के लिए कांग्रेस और अन्य दलों ने I.N.D.I.A. गठबंधन बनाया. जिसके बनने के बाद अलग-अलग राज्यों में पार्टियों की इकाइयों में अलग-अलग राय देखने को मिल रही है. एक तरफ हरियाणा कांग्रेस पार्टी के दिग्गज नेता, पूर्व सीएम और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा कह रहे हैं कि कांग्रेस हरियाणा में अकेले चुनाव लड़ने में सक्षम है, तो वहीं इनेलो I.N.D.I.A. गठबंधन में शामिल होने की तैयारी कर रही है. इस मुद्दे पर ईटीवी भारत ने आम आदमी पार्टी के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट अनुराग ढांडा से खास बातचीत की.
सवाल: नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा का कहना है कि कांग्रेस हरियाणा में अकेले चुनाव लड़ने में सक्षम है, फिर गठबंधन के क्या मायने हैं?
जवाब: आम आदमी पार्टी के नेता अनुराग ढांडा ने कहा कि रोहतक और सोनीपत से दोनों बाप बेटा लोकसभा चुनाव हार गए. पता नहीं कैसे कांग्रेस चुनाव जीतने में सक्षम है. किस मुंह से और किस आधार पर दावा कर देते हैं. मुझे तो समझ नहीं आता. वो तो खुले मैदान में भी जीत नहीं पाए. ये स्थिति है. दूसरा भूपेंद्र सिंह हुड्डा शायद आजकल बहाना ढूंढ रहे हैं. उनको कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में जाना है. वो रोज अपनी पार्टी हाईकमान को कहते हैं कि ऐसा कर दिया तो पार्टी छोड़ दूंगा. वैसा कर दिया तो पार्टी छोड़ दूंगा. हुड्डा साहब को देर सवेर पार्टी तो छोड़नी है. उनको तो बीजेपी में जाना ही है. जहां तक गठबंधन का सवाल है, तो उसके लिए घटक दलों की कोआर्डिनेशन कमेटी है. सीटों के बंटवारे को लेकर वो फैसला करेंगे. भूपेंद्र हुड्डा उस कोऑर्डिनेशन कमेटी के सदस्य नहीं हैं. कांग्रेस पार्टी को देखना है कि उनकी राय क्या है. घटक दलों का फैसला तो कोऑर्डिनेशन कमेटी ही करेगी.
सवाल: कांग्रेस पार्टी की दिग्गज नेता कुमारी सैलजा कहती है कि सीटों के बंटवारे को लेकर फैसला हाईकमान करेगा, जबकि भूपेंद्र हुड्डा कुछ और कह रहे हैं. क्या आपको लगता है कि भूपेंद्र हुड्डा अलग राह पकड़ने की तैयारी में है?
जवाब: मुझे तो साफ-साफ लगता है और हरियाणा के गांव गांव में चर्चा है कि जैसा कि पिछली बार जननायक जनता पार्टी ने किया था. बीजेपी के खिलाफ वोट लेकर बीजेपी की गोद में बैठ गए. वैसे ही इस बार ये चर्चा है कि अगर चार-पांच विधायक भूपेंद्र हुड्डा के जीत गए, तो वो उनको लेकर बीजेपी में चले जाएंगे. जो गांव-गांव में बात हो रही है. लोगों के मन में भी ये शक है, लेकिन वो दोबारा ऐसा नहीं होने देंगे. इस सब के चक्कर में भूपेंद्र हुड्डा आजकल कुछ भी बोल देते हैं, जबकि उनकी पार्टी के नेता ही बोल रहे हैं कि केंद्रीय नेतृत्व फैसला करेगा. लोकसभा चुनाव के लिए फैसला कोआर्डिनेशन कमेटी करेगी. विधानसभा चुनाव का आप मुझसे पूछ लीजिए 90 की 90 सीटों पर हम अपने दम पर लड़ेंगे और सारी पार्टियों का सूपड़ा साफ करेंगे.
सवाल: क्या इस सब के पीछे भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर जो मामले चल रहे हैं उसका डर है?
जवाब: कहीं ना कहीं कुछ ना कुछ तो दबा हुआ है, कोई ना कोई फाइल तो सरकार के हाथ में है. वरना ऐसा नहीं हो सकता कि भूपेंद्र हुड्डा को जब बीजेपी कहती है तो बोलते हैं, जब बीजेपी चुप रहने को कहती है तो चुप रहते हैं. जब संदीप सिंह के मामले पर चुप करना होता है, तो चुप कर देते हैं. हम सड़क पर प्रदर्शन कर रहे होते हैं, तो वो उस मुद्दे का विधानसभा में जिक्र कर देते हैं. वो 31 विधायक लेकर विधानसभा में चुपचाप बैठ जाते हैं. ऐसे विपक्ष का कहीं ना कहीं ये मतलब होता है कि आपकी सरकार के पास कोई ना कोई फाइल दबी है. जिसके द्वारा आपको कंट्रोल किया जा रहा है. वरना 31 विधायकों का विपक्ष होने के बावजूद ऐसा व्यक्ति जिस पर महिला उत्पीड़न का मामला दर्ज हो, जिसके खिलाफ चार्जशीट फाइल हो चुकी हो. वो विधानसभा में चुप बैठ जाए. ये सिर्फ इसलिए है क्योंकि उनकी चाबी बीजेपी के पास है.
सवाल: इंडियन नेशनल लोकदल ताऊ देवीलाल की जयंती के मौके पर गठबंधन में शामिल होना चाहती है, हरियाणा की राजनीति के परिपेक्ष में आप इसे कैसे देखते हैं?
जवाब: मेरी जानकारी के मुताबिक उस कार्यक्रम में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल या कोई केंद्रीय नेता शामिल होने वाला नहीं है. दूसरा चौधरी देवीलाल का कद हरियाणा और देश की राजनीति में बहुत बड़ा था. उन्होंने लोगों के लिए बहुत कम किया. उनकी छवि और उनके नाम को राजनीतिक महत्वाकांक्षा के लिए इस्तेमाल करना मुझे लगता है, घटिया राजनीति है, मैं इसकी निंदा करता हूं. अगर उनको रैली करनी ही है, तो वो किसी अलग मौके पर रैली करें, फिर बुलाए जिसे भी वे बुलाना चाहते हैं. चौधरी देवीलाल के नाम का इस्तेमाल करना और उसके आधार पर ये कहना कि जो उस दिन जयंती के मौके पर आएंगे. ये गठबंधन के लिए आ रहे हैं, ये बहुत ही गलत ट्रेंड सेट करता है, और एक गलत मैसेज देता है. इनेलो तो एक डूबता हुआ जहाज है. लोगों के मन से उतर चुके हैं, लोग छोड़ छोड़ कर जा रहे हैं. उनको तो डूबते को तिनके का सहारा चाहिए, तो फिर हम वो तिनका क्यों बने. जो डूब रहा है, जो लोगों के मन से उतर चुका है. मुझे नहीं लगता है कि उनका कोई इतना हरियाणा की राजनीति में प्रभाव रह गया है कि वो गठबंधन का हिस्सा हो सकते हैं. बाकी केंद्रीय नेतृत्व और कोआर्डिनेशन कमेटी जो फैसला करें.
सवाल: क्या आप मानते हैं कि इनेलो की आज की डेट में हरियाणा में जो स्थिति है. ऐसे में उसको रहने दिया जा सकता है?
जवाब: उनका तो अगली बार एक भी विधायक नहीं आएगा, क्योंकि लोगों के बीच उनकी जो छवि है और सिरसा में खास तौर पर जिस तरीके से आम आदमी पार्टी अपना काम कर रही है. उससे हम इनेलो के गढ़ सिरसा के अंदर चुनौती बन गए हैं, अगली बार तो लोग उनको नहीं चुने वाले हैं. एक विधायक लेकर आप सरकार बनाने के दावे कर रहे हैं. मुझे लगता है आजकल वे अपने लिए एक पॉलिटिकल स्पेस ढूंढ रहे हैं, वो पॉलिटिकल स्पेस उनको मिल नहीं रहा है.