करनाल: हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल का गृह जिला है करनाल. यहां के हेमदा गांव में तिरेंगे के नाम पर लूट मची हुई है. आलम ये है कि हर घर तिरंगा (Har Ghar Tiranga in Haryana) के नाम पर यहां के राशन डिपो होल्डर जबरदस्ती झंडा बेच रहे हैं. झंडे की बिक्री तक की बात फिर भी ठीक लगती है, लेकिन करनाल जिले के डिपो होल्डर इससे दस कदम आगे निकल गये. हद ये है कि डिपो पर राशन लेने वाले गरीबों को जबरदस्ती तिरंगा बेचा जा रहा है. जो लोग तिरंगा नहीं खरीद रहे हैं उन्हें राशन नहीं दिया जा रहा.
ये खबर है करनाल के हेमदा गांव की. यहां के लोगों को इस महीने का राशन महंगा पड़ गया है. बीपीएल कार्ड धारक अगर इस माह का राशन लेने के लिए डिपो होल्डर के पास जा रहे हैं तो पहले उन्हें 20 रुपये का तिरंगा झंडा दिया जा रहा है. उसके बाद ही उन्हें राशन मिल रहा है. कई जगह पर लोग इसका विरोध भी कर रहे हैं. उसके बावजूद डिपो संचालकों द्वारा बिना तिरंगा के गरीब लोगों को राशन नहीं दिया गया.
हरियाणा में तिरंगा नहीं तो राशन नहीं- इस मामले में जब करनाल जिले के हेमदा गांव में राशन डिपो चला रहे दिनेश कुमार से बात की गई तो उसका कहना है कि उसके पास ऊपर से आदेश आया है तिरंगा बेचने का. फूड इंस्पेक्टर ने उसे कहा है कि राशन के साथ झंडा देना जरूरी है. जो झंडा नहीं खरीदेगा उसे राशन नहीं (No tiranga no Ration in Haryana) देना है. दिनेश कुमार के मुताबिक वो तो बस ऊपर के अधिकारियों के आदेश का पालन कर रहा है. विभाग ने पहले ही उनसे झंडे का एडवांस पैसा ले लिया है. हर डिपो बेचने के लिए 168 तिरंगे झंडे दिए गए हैं.
राशन लेने वालों ने किया विरोध- राशन कार्डधारकों ने विरोध करते हुए कहा कि वह मेहनत मजदूरी करके अपने परिवार का पालन पोषण करते हैं. अब घर का राशन खत्म हो गया था तो सोमवार से राशन मिलना शुरू हुआ. किसी से राशन के पैसे उधार में उठा कर ले आए हैं. उसके बाद डिपो होल्डर कहता है कि पहले 20 रुपए तिरंगे झंडे के देने होंगे, उसके बाद ही उन्हें राशन मिलेगा. विरोध कर रहे लोगों ने कहा कि एक तरफ तो सरकार गरीबों की हितैषी बनने का ढोंग कर रही है दूसरी तरफ गरीबों को लूटा जा रहा है. अगर झंडा देने ही है तो फ्री में दें. हमारे दिल में तिरंगे के लिए सम्मान है. लेकिन गरीब आदमी पैसे कहां से लाये.
विभाग ने डिपो धारकों से लिया 3200 रुपये- डिपो धारकों द्वारा राशन डिपो पर तिरंगा नहीं तो राशन नहीं का मैसेज रविवार को व्हाट्सएप ग्रुप पर वायरल हुआ. जिसमें डिपो धारक ने लिखा है कि डिपो से जुड़े सभी राशन कार्ड धारक 20 रुपये लेकर डिपो पर झंडा लेने पहुंचे. झंडा न लेने वालों को अगस्त महीने का गेहूं नहीं दिया जाएगा. सूत्रों की मानें तो खाद्य आपूर्ति विभाग की ओर से हर डिपो को 168 झंडे बांटने के लिए दिए गए हैं. ये भी उन्होंने 32 सौ देकर खरीदे हैं. यानि डिपो होल्डर को ये झंडा 19 रुपये में मिला. एक रुपये मुनाफे के साथ वो राशन लेने वालों को.
डिपो धारक का लाइसेंस निलंबित- हलांकि जब राशन डिपो पर जबरदस्ती तिरंगा बेचने की खबर सामने आई तो करनाल उपायुक्त अनीश यादव ने निसिंग खंड के हेमदा गांव के डिपो धारक दिनेश कुमार का लाइसेंस निलंबित कर दिया. उपायुक्त के मुताबिक जनता की सहूलियत के लिए डिपो होल्डरों को प्रशासन की ओर से 88 हजार 400 झंडे उपलब्ध करवाए गए हैं. कोई भी व्यक्ति इसे स्वेच्छा से 20 देकर खरीद सकता है.
करनाल में 13 लाख से ज्यादा की बिक्री- जानकारी के अनुसार जिले में करीब 400 से ज्यादा राशन डिपो हैं. सरकार द्वारा इन सभी को झंडा वितरण केंद्र बनाया गया है. करनाल जिले में सभी डिपो पर 88 हजार 400 झंडे उपलब्ध कराये गये हैं. प्रति झंडा 20 रुपये के हिसाब से जोड़ें तो 88400 झंडे का 17 लाख 68 हजार रुपये होते हैं. यानि अगर एक जिले ये सभी तिरंगे बेच दिये जाते हैं तो 17 लाख से ज्यादा के तिरंगे की बिक्री हो जायेगी. पूरे प्रदेश में ये रकम करोड़ों में होती है.
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