फरीदाबाद: एशियन गेम्स में मनु भाकर ने 25 मीटर एयर फायर पिस्टल ग्रुप में अपने साथी रिदम सांगवान, ईशा सिंह के साथ गोल्ड मेडल जीता है. मनु की इस उपलब्धि पर उनके घर में जश्न का माहौल है. इस मौके पर ईटीवी भारत ने मनु भाकर की मां सुमेधा भाकर से एक्सक्लूसिव बातचीत की. सुमेधा भाकर ने बताया कि बेटी की इस उपलब्धि से मैं बहुत खुश हूं. मनु की मां ने उसके बचपन से शूटर बनने की कहानी सुनाई. इसके साथ उन्होंने अपने संघर्ष की कहानी भी बताई.
ऐसे शुरू हुआ शूटिंग का सफर: सुमेधा भाकर ने बताया कि मनु कई गेम्स में राष्ट्रीय स्तर पर खेल चुकी है. पहले उसने दौड़ में हिस्सा लिया, इसके बाद मनु ने ताइक्वांडो, बॉक्सिंग, स्विमिंग और स्केटिंग जैसे खेलों में हिस्सा लिया, लेकिन किसी भी खेल में उसका मन नहीं लगा. इसके बाद मनु ने डॉक्टर बनने की ठानी. एक दिन मनु पिता के साथ स्कूल में शूटिंग करते हुए बच्चों को देख रही थी. तब उनके पिता ने शूटिंग कोच से पिस्टल ट्राई करवाने की अपील की.सुमेधा ने बताया कि मनु के पिता के कहने पर शूटिंग कोच ने मनु को पिस्टल दे दी. मनु ने पिस्टल से पहली ही बार में सही निशाना लगा दिया. जिसके बाद शूटिंग कोच ने मनु के पिता से कहा कि मनु को शूटिंग में ही डालो. इसके बाद मनु शूटिंग की प्रैक्टिस करने लगी. इस दौरान मनु मेडिकल की भी तैयारी कर रही थी. देखते ही देखते मनु के मेडलों की संख्या बढ़ती गई और आज मनु इतिहास रच रही है.
मनु भाकर के नामकरण की कहानी: मनु की मां ने बताया कि जिस दिन मनु पैदा हुई. उस दिन उनका टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट था. मनु सुबह 4 बजे के करीब पैदा हुई. जिसके बाद वो सुबह 8 बजे मनु को छोड़ एग्जाम देने चली गई. लगभग 8 से 10 घंटे तक तक वो मनु से दूर रही. जब सुमेधा वापस लौटी तो उन्हें बताया गया कि इस दौरान मनु रोई भी नहीं, बल्कि खेलती रही. वहा मौजूद मनु के कजिन ब्रदर ने कहा कि मौसी आपके बिना भी मनु एक बार भी नहीं रोई. सब हैरान है कि चार घंटे का बच्चा रो क्यों नहीं रहा है, बल्कि बच्ची खेले जा रही है. इसलिए मैं इसका नाम मनु रखूंगा. इस नाम का मतलब झांसी की रानी है. इसपर सभी ने सहमति जताई और बच्ची नाम मनु भाकर रखा गया.
ईटीवी भारत की टीम मनु के घर पहुंची तो उनकी मां ने मनु को वीडियो कॉल की. वीडियो कॉल पर मनु ने अपनी मां से बातचीत की. इस दौरान ईटीवी भारत के संवाददाता मुकेश कुमार ने भी मनु से कुछ सवाल पूछे. वीडियो कॉल पर मनु भाकर ने सभी सवालों का जवाब दिया.
मैच खत्म होने के बाद दिमाग में सबसे पहले आता है कि घर जाना है. घर का खाना खाना है और घर वालों के साथ टाइम स्पेंड करना है. घर से दूर रहने पर सबसे ज्यादा घर के खाने की याद आती है, क्योंकि मैं वेजिटेरियन हूं और वेजिटेरियन के लिए बाहर बहुत कम ऑप्शन मिलते हैं. इसलिए मैं हमेशा सोचती हूं कि गेम खत्म करके जल्दी घर जाऊं और घर का खाना खाऊं.- मनु भाकर, एशियन गेम्स में गोल्ड मेडलिस्ट
इस दौरान मनु भाकर ने ईटीवी भारत के माध्यम से देशवासियों का धन्यवाद किया. उन्होंने कहा कि देशवासियों के आशीर्वाद की वजह से ही वो गोल्ड जीत पाई हैं. इसी तरह से देशवासी उनपर आशीर्वाद बनाए रखें.
मनु भाकर की उपलब्धियां: 18 फरवरी 2002 को पैदा हुई मनु भाकर ने महज 16 साल की उम्र में यानी 2018 में राष्ट्रमंडल खेलों में एयर पिस्टल गेम में दो गोल्ड मेडल जीते थे. जिसकी वजह से उन्हें 2020 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया. इसके अलावा मनु भाकर युवा ओलंपिक खेल में 10 मीटर एयर पिस्टल गेम में गोल्ड मेडल अपने नाम कर चुकी हैं. इसी चैंपियनशिप में ही 10 मीटर एयर पिस्टल मिक्स टीम में भी मनु के नाम रजत पदक है.
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इसके अलावा आईएसएसएफ विश्व कप में मनु भाकर ने गोल्ड मेडल जीता है. इसी चैंपियनशिप में 10 मीटर एयर पिस्टल मिक्स टीम के साथ मनु भाकर ने गोल्ड मेडल जीता है. साल 2017 में मनु ने केरल में नेशनल चैंपियनशिप खेल के दौरान एयर पिस्टल गेम में 9 गोल्ड मेडल जीतकर एक नया रिकॉर्ड भी बनाया. यही वजह है कि मनु को भीम अवार्ड से भी सम्मानित किया गया. मनु भाकर का अगला टारगेट पेरिस ओलंपिक में देश को गोल्ड मेडल दिलाना है.