तिरुवनंतपुरम : आपने मीठे और रसीले तरबूज खाए होंगे, लेकिन जब हम तरबूज खाते हैं और उसमें बेतरतीब तरीके से मौजूद बीज आपकी मिठास को कम करने की कोशिश करते हैं, तब बड़ी दिक्कत होती है. मन में बस बात आती है कि काश तरबूज में बीज ही न होते. यह बात जरा-सा असंभव लगे आपको, लेकिन इस तरह का बीज रहित तरबूज केरल कृषि विश्वविद्यालय ने खोज निकाला है. विश्वविद्यालय के मुख्य वैज्ञानिक डॉ प्रदीप कुमार की टीम ने दो बीज रहित संकर तरबूजों पर शोध किया और सफलता प्राप्त की.
उन्होंने देश का पहला बीज रहित तरबूज उत्पादन करने वाला चारा खोज निकाला है. इन दो तरबूजों का नाम शोनिमा और स्वर्ण है. शोनिमा तरबूज में लाल रंग का फल है जबकि स्वर्ण में पीले रंग का फल है. राज्य बागवानी मिशन योजना के तहत अनंतपुर जिले के किसान अब इन दोनों किस्म के तरबूजों की फसल कर रहे हैं.
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विकसित देशों की तुलना में भारत में केवल 15 से 20 प्रतिशत बीज रहित तरबूज ही उपलब्ध हैं. संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान और कनाडा में, किसान लगभग 80 प्रतिशत बीज रहित तरबूज का उत्पादन करते हैं. हमारे देश में किसान इस प्रकार की तरबूज की खेती में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाते हैं. इसका कारण बीज की उच्च लागत, उच्च निवेश और कम लाभ है. लेकिन केरल कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित तरबूजों के चारे से किसानों को भारी लाभ होगा.
वैज्ञानिकों के मुताबिक, तरबूज के इन किस्मों में प्रत्येक पौधे से एक बार में तीन फल निकलेंगे और प्रति फल का वजन ढाई से तीन किलो का होगा. बेंगलुरु के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ हॉर्टिकल्चर रिसर्च के वैज्ञानिकों का कहना है कि किसानों को इसकी पूरी जानकारी होने के बाद ही बीज रहित तरबूज की खेती शुरू करनी चाहिए.