श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर प्रशासन के उस आदेश की विभिन्न राजनीतिक एवं धार्मिक समूहों ने शुक्रवार को आलोचना की जिसमें केंद्र शासित प्रदेश के कॉलेज प्रमुखों को मकर संक्रांति के अवसर पर बड़े पैमाने पर 'सूर्य नमस्कार' आयोजित करने का निर्देश दिया गया है. यह कार्यक्रम शुक्रवार को 'आजादी का अमृत महोत्सव' समारोह के हिस्से के रूप में ऑनलाइन आयोजित किया जाना था और उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने इसके बारे में प्रश्नों का जवाब नहीं दिया.
कई धार्मिक संगठनों के समूह, मुत्ताहिदा मजलिस-ए-उलेमा (एमएमयू) ने आदेश पर कड़ी आपत्ति जतायी और कहा कि अधिकारियों को अच्छी तरह से पता था कि जम्मू कश्मीर मुस्लिम बहुल है और मुस्लिम इसमें हिस्सा नहीं लेंगे. इसने कहा, 'निर्देश जारी करके जानबूझकर उन्हें ऐसा करने के लिए मजबूर करना शरारतपूर्ण है.'
उसने एक बयान में कहा, 'जम्मू-कश्मीर के मुसलमान सभी धर्मों का सम्मान करते हैं और सौहार्दपूर्ण सह-अस्तित्व में विश्वास करते हैं, लेकिन यदि उनकी आस्था से जुड़े मामलों में कोई हस्तक्षेप होता है तो कभी भी किसी दबाव के आगे नहीं झुकेंगे.'
इसने आरोप लगाया, 'हाल ही में हरिद्वार में एक धार्मिक सम्मेलन में भारत के मुसलमानों के नरसंहार का खुला आह्वान और इस संबंध में राज्य की चुप्पी मुसलमानों के खिलाफ कट्टरता और भेदभाव का एक चौंकाने वाला मामला है, जो आज की प्रचलित बात हो गई है.'
अमलगम ने प्रशासन से भविष्य में इस तरह के आदेश जारी करने से परहेज करने के लिए कहा. पूर्व मुख्यमंत्रियों - उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती - और विभिन्न राजनीतिक दलों ने भी आदेश की आलोचना की. नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष अब्दुल्ला ने ट्वीट किया, 'मुसलमान छात्रों को योग सहित कुछ भी करने, मकर संक्रांति मनाने के लिए क्यों मजबूर किया जाना चाहिए ? मकर संक्रांति एक त्योहार है और इसे मनाना एक व्यक्तिगत पसंद होनी चाहिए. क्या भाजपा खुश होगी यदि ऐसा ही एक आदेश गैर-मुस्लिमों छात्रों को ईद मनाने के लिए जारी किया जाए?'
पीडीपी अध्यक्ष महबूबा ने कहा कि केंद्र के दुस्साहसों का उद्देश्य कश्मीरियों को सामूहिक रूप से अपमानित करना है. महबूबा ने ट्वीट किया,'भारत सरकार के पीआर दुस्साहसों का उद्देश्य कश्मीरियों को नीचा दिखाना और सामूहिक रूप से अपमानित करना है. छात्रों और कर्मचारियों को आदेश जारी करके सूर्य नमस्कार करने के लिए मजबूर करना उनकी सांप्रदायिक मानसिकता को दर्शाता है जबकि धार्मिक संकेतार्थों वाली किसी चीज को थोपने से उनकी स्पष्ट असुविधा स्पष्ट है.'
पीपुल्स कांफ्रेंस (पीसी) के अध्यक्ष सज्जाद गनी लोन ने भी इस निर्देश की आलोचना करते हुए कहा कि उदार मुसलमानों ने जो अर्जित किया था, उसे प्रशासन खत्म कर रहा है. लोन ने ट्वीट करके कहा कि सरकार सफल नहीं होगी और लोगों की इच्छा अंततः प्रबल होगी.
लोन ने ट्वीट किया, 'सरकार इतनी असंवेदनशील क्यों है. अब सूर्य नमस्कार प्रकरण आ गया. काश, इस समय की सरकार यह समझती कि कश्मीर में लड़ी गई कई खूनी लड़ाइयों के साथ-साथ उदार और कट्टरपंथियों के बीच संघर्ष बहुत महत्वपूर्ण था.' लोन ने कहा कि 'सूर्य नमस्कार' निर्देश के साथ सरकार 'कट्टरपंथियों का अनुकरण' कर रही है. उन्होंने कहा, 'हमने नब्बे के दशक में कट्टरपंथियों की क्रूर शक्ति देखी है. आप सफल नहीं होंगे. लोगों की इच्छा अंततः प्रबल होगी.'
अपनी पार्टी के अध्यक्ष सैयद मोहम्मद अल्ताफ बुखारी ने भी आदेश का कड़ा विरोध किया और कहा कि शैक्षणिक संस्थानों को राजनीतिक पैंतरेबाज़ी से अलग रखा जाना चाहिए और छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने पर जोर दिया जाना चाहिए.
उन्होंने कहा कि त्योहार मनाना एक व्यक्तिगत पसंद है और राज्य को इसमें हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है. हालांकि, जम्मू-कश्मीर के कॉलेजों में सूर्य नमस्कार करने का यह हालिया आदेश निस्संदेह एक खतरनाक कृत्य है जिसके गंभीर निहितार्थ हैं. प्रशासन को शैक्षणिक माहौल का सांप्रदायिकरण करना बंद करना चाहिए और इन शैक्षिक सुविधाओं के उन्नयन पर ध्यान देना चाहिए.
उन्होंने सरकार से विवादास्पद आदेश को वापस लेने और भविष्य में इस तरह के मनमाने फरमान जारी करने से बचने के लिए कहा.