जयपुर. राजस्थान में इस बार भी सत्ता परिवर्तन का रिवाज बरकरार रहा. तमाम वादों और दावों के बाद भी गहलोत राज्य में कांग्रेस की सरकार रिपीट कराने में सफल नहीं हो सके और आखिरकार जनता ने भाजपा को सत्ता की चाबी सौंपी दी. वहीं, बहुमत मिलने के बाद अब भाजपा में बैठकों का दौर शुरू हो गया है, ताकि अगले मुख्यमंत्री के नाम पर मुहर लग सके. साथ ही विधायक दल की बैठक में औपचारिक रूप से सदन के मुखिया का नाम तय होगा. वर्तमान में वसुंधरा राजे, दीया कुमारी समेत कई दिग्गजों के नामों की चर्चा है, लेकिन सबसे ज्यादा चौंकाने वाला नाम अलवर से सांसद व तिजारा से चुनाव जीते पार्टी प्रत्याशी बाबा बालकनाथ का है.
सीएम की रेस में बालकनाथ : मौजूदा आलम यह है कि एक ओर दिल्ली में सीएम के नाम को लेकर चिंतन हो रहा है तो दूसरी ओर राजस्थान में अगले मुखिया को लेकर मंथन जारी है. इस बीच तिजारा से चुनाव जीत कर विधायक बने अलवर सांसद बाबा बालकनाथ का नाम अगले मुख्यमंत्री के रूप लिया जा रहा है. मीडिया में भी संभावित नामों में बालकनाथ का नाम शामिल है. यहां तक की लोकसभा के शीतकालीन सत्र के आगाज पर दिल्ली पहुंचे अलवर सांसद से मीडिया ने भविष्य की संभावनाओं को लेकर सवाल पूछे. राजस्थान में भाजपा विधायक दल के मुखिया के रूप में मुख्यमंत्री बनने वाले खास नामों में राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी, लोकसभा स्पीकर ओम बिरला, छत्तीसगढ़ की जीत के हीरो ओम माथुर, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और अर्जुन राम मेघवाल जैसे नाम शामिल हैं. सभी नेता जाति, क्षेत्र और अनुभव के आधार पर मुख्यमंत्री पद पर अपनी दावेदारी रखते हैं, लेकिन अंतिम फैसला पार्टी आलाकमान को करना है.
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कौन हैं बाबा बालकनाथ : राजस्थान विधानसभा चुनाव में प्रदेश के योगी के रूप में पहचान पाने वाले अलवर सांसद बाबा बालकनाथ 39 साल के हैं. उन्होंने तिजारा सीट से जीत हासिल की है. साथ ही उन्होंने विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी इमरान खान को दिलचस्प मुकाबले में शिकस्त दी. बालकनाथ रोहतक की बाबा मस्तनाथ पीठ के प्रमुख के रूप में अब तक जाने जाते थे. वहीं, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राजस्थान में अपने प्रचार का आगाज भी तिजारा से किया था. ऐसे में उनके सियासी कद को समझा जा सकता है.
केसरिया लिबास और जुबान पर हिंदुत्व बनी पहचान : बाबा बालकनाथ हिंदुत्व को लेकर मुखर रहे हैं. उनके दिए बयान हमेशा चर्चा के केंद्र में होते हैं और मौजूदा वक्त में यही उनकी पहचान है. इसके अलावा उनके बदन पर केसरिया लिबास उन्हें दूसरों से जुदा करती है और उन्हें संत राजनेता के रूप में पहचाना जाता है. वहीं, अलवर में एक धार्मिक स्थल पर प्रशासनिक कार्रवाई के दौरान वो पहली बार सुर्खियों में आए. उन्हें महंत चांदनाथ के स्थान पर अलवर में प्रतिनिधित्व का मौका मिला था.