नई दिल्ली : राष्ट्रीय किसान मोर्चा के संयोजक और एमएसपी पर कानून बनाने की मांग के लिए आंदोलन के सूत्रधार रहे किसान नेता सरदार वीएम सिंह ने कहा है कि मुख्यमंत्री रहते हुए नरेंद्र मोदी ने एमएसपी गारंटी के लिए कानून बनाने की बात कही थी तो अब उन्हें प्रधानमंत्री रहते हुए अपनी बात से पीछे नहीं हटना चाहिए.
किसान नेता वीएम सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी को याद दिलाया है कि जब 2011 में वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब वर्किंग ग्रुप ऑफ कंज़्यूमर अफेयर्स के द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद की गारंटी देने की सलाह उन्होंने खुद तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भेजी थी.
वीएम सिंह का कहना है कि जब तीन कृषि कानून बनाने के लिए अध्यादेश लाए जा सकते हैं तो एमएसपी गारंटी कानून के लिए क्यों नहीं बन सकता ?
उन्होंने कहा कि कानूनों को वापस लेकर प्रधानमंत्री ने बड़ा दिल दिखाया है और अब उन्हें देश के किसानों की दशकों पुरानी मांग भी मान लेनी चाहिए. वीएम सिंह ने कहा कि यदि सरकार चाहे तो संसद के शीतकालीन सत्र में एमएसपी पर कानून बनाया जाना संभव है.
राजनाथ से मुलाकात का किया जिक्र
किसान नेता वीएम सिंह का कहना है कि एमएसपी पर कानून के लिए अब किसी कमेटी की आवश्यकता नहीं है क्योंकि इसके लिए ड्राफ्ट बिल पहले से ही तैयार है. अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने किसान संगठनों के साथ मिल कर सबकी सहमति से बिल का मसौदा तैयार किया था और किसान नेता राजू शेट्टी ने सांसद रहते हुए प्राइवेट मेंबर बिल के रूप में साल 2018 में बिल पेश भी किया था.
30 सितंबर 2020 को देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से हुई मुलाकात का जिक्र करते हुए वीएम सिंह ने बताया कि जब मंत्रियों के साथ उनकी बैठक हुई थी तब भी उन्होंने अनुरोध किया था कि तीन कृषि कानूनों के साथ यदि वह एमएसपी का एक क्लौज भी जोड़ देते हैं तो किसान मान जाएंगे और आंदोलन टल सकता है. लेकिन लगातार अनुरोध के बावजूद सरकार ने उनकी बात को गंभीरता से नहीं लिया.
'अर्थव्यवस्था में सुधार होगा'
वीएम सिंह ने बताया कि एमएसपी का अधिकार मिलने से न केवल किसानों की आमदनी बढ़ेगी बल्कि देश की बिगड़ी हुई अर्थव्यवस्था में भी सुधार होगा. यदि एमएसपी पर खरीद अनिवार्य हो जाए तो सभी किसानों को प्रति एकड़ 5 से 10 हजार रुपये का लाभ मिलेगा.
संयुक्त किसान मोर्चा की मौजूदा गतिविधि पर टिप्पणी से बचते हुए वीएम सिंह ने कहा कि उनका मिशन हमेशा से किसानों के लिए फसल का दाम सुनिश्चित करना रहा है जिसके लिए एमएसपी कानून जरूरी है. राष्ट्रीय किसान मोर्चा का काम किसी को गिराना या किसी को उठाना नहीं है. वह आज भी सभी किसान संगठनों से यही कहते हैं कि एक साथ एक लक्ष्य के लिए संघर्ष करें
एमएसपी कानून से सरकार पर कोई अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ने की संभावना को वीएम सिंह नकारते हुए कहते हैं कि देश के व्यापारी भी यदि खरीद में शामिल होंगे तो उन्हें भी एमएसपी पर ही खरीदना होगा. हम केवल सरकारी खरीद की मांग नहीं कर रहे. कानूनी प्रावधान यह होना चाहिए कि तय एमएसपी से कम मूल्य पर खरीद दंडनीय अपराध हो.
बता दें कि किसानों के लंबे आंदोलन के बाद तीन कृषि कानूनों को रद्द करने को केंद्रीय मंत्रिमंडल में औपचारिक मंजूरी दी गई. इन्हें संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में पेश करने के बाद कृषि कानूनों को निरस्त कर दिया जाएगा. इससे पहले गत 19 नवंबर को कृषि कानूनों की वापसी (Farm Law Withdrawal) पर पीएम मोदी ने बड़ा एलान किया था.
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गौरतलब है कि तीन कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के आंदोलनकारी किसान पिछले साल नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर तीन जगहों पर बैठे हैं. उनका कहना है कि जब तक उनकी सभी मांगें पूरी नहीं हो जातीं, तब तक वे वापस नहीं जाएंगे. किसान संगठनों ने सरकार को 26 नवंबर तक का समय दिया था जो मियाद शुक्रवार को पूरी हो रही है. ऐसे में अब किसान संगठनों को सरकार की तरफ से कुछ पहल का इंतजार है.