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Himachal Water Cess: पंजाब-हरियाणा सरकार को हिमाचल CM की दो टूक, पानी पर सेस लगाना राज्य का अधिकार, किसी जल संधि का उल्लंघन नहीं हुआ - पंजाब और हरियाणा का वाटर सेस पर विरोध

हिमाचल सरकार द्वारा हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट पर सेस लगाने के फैसले को पंजाब और हरियाणा सरकार ने गैर कानूनी बताया है. बुधवार को दोनों राज्यों की विधानसभाओं में वाटर सेस लगाने के हिमाचल सरकार के फैसले के खिलाफ प्रस्ताव पास हुआ. जिसपर हिमाचल के मुख्यमंत्री ने दो टूक कह दिया है कि वाटर सेस हरियाणा या पंजाब के पानी पर नहीं लग रहा है और इस फैसले का असर किसी भी वाटर ट्रीटी पर नहीं पड़ रहा. जानिये हिमाचल के मुख्यमंत्री ने क्या कहा.

हिमाचल के सीएम ने वाटर सेस पर पंजाब और हरियाणा को दिया जवाब
हिमाचल के सीएम ने वाटर सेस पर पंजाब और हरियाणा को दिया जवाब
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Published : Mar 23, 2023, 2:29 PM IST

वाटर सेस लगाने से किसी जल संधि का उल्लंघन नहीं हो रहा- सीएम सुक्खू

शिमला : सुक्खू सरकार द्वारा हिमाचल में स्थित 172 हाइड्रो प्रोजेक्ट्स पर वाटर सेस लगाने के खिलाफ बुधवार को पंजाब औऱ हरियाणा विधानसभा में प्रस्ताव पास हुआ. दोनों विधानसभाओं ने वाटर सेस लगाने के फैसले को गैरकानूनी बताते हुए इसे इंटर स्टेट वाटर ट्रीटी के खिलाफ बताया है. पंजाब विधानसभा की ओर से तो केंद्र सरकार से हस्तक्षेप कर हिमाचल सरकार को ये आदेश वापस लेने की मांग की गई. दरअसल हिमाचल पर बढ़ते कर्ज को देखते हुए सुक्खू सरकार ने कई फैसले लिए हैं उनमें से ही एक फैसला वाटर सेस लगाने का भी है. पड़ोसी राज्यों की विधानसभाओं में प्रस्ताव पास होने के बाद सीएम सुक्खू ने गुरुवार को विधानसभा में इस मामले पर सरकार का रुख साफ किया और कहा कि पानी पर सेस लगाने का अधिकार राज्य का है और इसमें किसी भी कानून का उल्लंघन नहीं हुआ है. दरअसल Water Cess on Hydro Power Generation Act 2023 को विधानसभा से पारित हो गया है और सरकार ने इसे 10 मार्च से लागू कर दिया गया है.

'पंजाब-हरियाणा के पानी पर नहीं लगाया सेस'- सीएम सुक्खू ने कहा कि हिमाचल सरकार पंजाब या हरियाणा के पानी पर वाटर सेस नहीं लगा रही बल्कि हिमाचल में मौजूद हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट पर ये सेस लगाया गया है. इसलिये इससे पंजाब और हरियाणा सरकार को चिंता करने की जरूरत नहीं है. सीएम सुक्खू ने कहा कि वो इस मुद्दे पर जल्द ही दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों से बात करेंगे. सुक्खू ने कहा कि बीबीएमबी में 7.19% हिस्सेदारी हिमाचल की भी है, हमारी मांग है कि बीबीएमबी में हमें पार्टनर स्टेट बनाया जाए क्योंकि सारा बहता हुआ पानी तो हिमाचल का है लेकिन हमें बीबीएमबी में पार्टनर स्टेट भी नहीं माना जाता है.

Water Cess on Hydro Power Generation Act 2023 हिमाचल विधानसभा में हुआ पारित
Water Cess on Hydro Power Generation Act 2023 हिमाचल विधानसभा में हुआ पारित

'किसी जल संधि का उल्लंघन नहीं हुआ है'- सीएम सुक्खू ने कहा कि वाटर सेस लगाने के फैसले पर पंजाब सरकार की आपत्ति गलत है और हिमाचल के बिल से इंडस वाटर ट्रीटी का उल्लंघन नहीं हुआ है. पानी पर टैक्स लगाना राज्य सरकार का विषय है, BBMB की 3 परियोजनाओं के जलाशयों से हिमाचल के पर्यावरण को नुकसान हुआ है लेकिन हमें तय लाभ आज तक नहीं मिले हैं. सीएम ने कहा कि हिमाचल सरकार द्वारा जो Water Cess on Hydro Power Generation Act 2023 लागू किया गया है वो राज्यों के बीच की जल संधियों या indus Water Treaty 1960 का उल्लंघन नहीं करता है.

'पानी पर सेस लगाना सरकार का अधिकार'- सीएम सुक्खू ने कहा कि पंजाब औऱ हरियाणा का ये कहना बिल्कुल भी तर्कसंगत नही हैं कि वाटर सेस का फैसला अंतर्राजीय जल विवाद अधिनियम 1956 का उल्लंघन है. क्योंकि हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट्स पर Water Cess लगाने से पड़ोसी राज्यों को छोड़े जाने वाले पानी पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता. इस फैसले का कोई भी प्रावधान पड़ोसी राज्यों के जल अधिकार का उल्लंघन नहीं करता है. सीएम ने कहा कि बिजली उत्पादन पर सेस लगाना राज्य का अधिकार है. मुख्यमंत्री ने साफ किया कि संवैधानिक प्रावधान के अनुसार पानी राज्य का विषय है और इसके जल संसाधनों पर राज्य का अधिकार है. इस कदम का सिंधु जल संधि, 1960 पर कोई असर नहीं पड़ेगा क्योंकि वाटर सेस लगाने से ना तो पड़ोसी राज्यों को पानी छोड़े जाने पर कोई असर पड़ता है और ना ही नदियों के प्रभाव के पैटर्न में कोई परिवर्तन आएगा.

Water Cess on हिमाचल के Hydro Power Generation Act 2023 के खिलाफ पंजाब और हरियाणा विधानसभा में प्रस्ताव पारित
Water Cess on हिमाचल के Hydro Power Generation Act 2023 के खिलाफ पंजाब और हरियाणा विधानसभा में प्रस्ताव पारित

'जल विद्युत योजनाओं का हिमाचल को नुकसान'- सीएम सुक्खू ने कहा कि बीबीएमबी की तीन परियोजनाओं से हिमाचल की लगभग 45000 हेक्टेयर भूमि जलमग्न हो गई है. प्रदेश में इन परियोजनाओं से बने जलाशयों से पर्यावरण पर दशकों से विपरीत प्रभाव पड़ रहा है. क्षेत्रीय जलवायु से लेकर कृषि बागवानी और स्वास्थ्य और सामाजिक- आर्थिक रूप से विपरीत प्रभाव पड़ है. आज बनने वाली जल विद्युत परियोजनाओं में इस तरह की प्रभावों का आकलन करके पर्यावरण से लेकर सामाजिक सुरक्षा के व्यापक कदम उठाए जाते हैं लेकिन बीबीएमबी की किसी भी परियोजना में इन मुद्दों को लेकर जरूरी कदम नहीं उठाए गए. इन जलाशयों से कृषि-बागवानी की भूमि, धार्मिक स्थल, श्मशान घाट आदि जलमग्न हुए हैं. यातायात के साधन बाधित हुए हैं और कई दशकों से उजड़े परिवारों का पुनर्वास अब तक नहीं हो पाया है.

'हिमाचल ऐसा करने वाला पहला राज्य नहीं है'- सीएम सुक्खू ने कहा कि हिमाचल सरकार ने अपने राज्य में मौजूद हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट्स द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले पानी पर सेस लगाया है ना कि पड़ोसी राज्य की सीमाओं में बहने वाले पानी पर, इसलिये पंजाब सरकार का इस कदम को गैरकानूनी बताना तर्कसंगत नहीं है. साथ ही मुख्यमंत्री ने पड़ोसी राज्य पंजाब को याद दिलाया कि हिमाचल पहला राज्य नहीं है जिसने ये प्रावधान किया है. उत्तराखंड ने साल 2013 और जम्मू कश्मी ने साल 2010 में Water Cess Act पारित किया था. सुखविंदर सुक्खू ने कहा कि पहाड़ी राज्यों के पास आय के सीमित साधन हैं ऐसे में राज्य के पास आय के स्त्रोत बढ़ाने का पूरा अधिकार है.

'बीबीएमबी पर सिर्फ पंजाब हरियाणा का अधिकार नहीं'- सीएम सुक्खू ने कहा कि भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) की स्थापना विद्युत मंत्रालय द्वारा पंजाब पुनर्गठन एक्ट 1966 के प्रावधानों के तहत भाखड़ा नांगल परियोजना के संचालन, रख रखाव और प्रशासन के लिए हुई थी, जो संयुक्त है. बीबीएमबी राजस्थान, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, चंडीगढ़ और दिल्ली राज्यों का उपक्रम है, बीबीएमबी के प्रबंधन पर सिर्फ पंजाब और हरियाणा राज्यों का ही नियंत्रण नहीं है. इसलिये बबीएमबी की परियोजनाओं में हिाचल सरकार द्वारा लगाए गए वाटर सेस का भार हिमाचल प्रदेश सहित अन्य 5 राज्यों में समान रूप से वितरित किया जाएगा.

ये भी पढ़ें: हिमाचल में हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट्स पर वाटर सेस के विरोध में हरियाणा विधानसभा में प्रस्ताव पारित, जानिए क्या है पूरा मामला?

वाटर सेस लगाने से किसी जल संधि का उल्लंघन नहीं हो रहा- सीएम सुक्खू

शिमला : सुक्खू सरकार द्वारा हिमाचल में स्थित 172 हाइड्रो प्रोजेक्ट्स पर वाटर सेस लगाने के खिलाफ बुधवार को पंजाब औऱ हरियाणा विधानसभा में प्रस्ताव पास हुआ. दोनों विधानसभाओं ने वाटर सेस लगाने के फैसले को गैरकानूनी बताते हुए इसे इंटर स्टेट वाटर ट्रीटी के खिलाफ बताया है. पंजाब विधानसभा की ओर से तो केंद्र सरकार से हस्तक्षेप कर हिमाचल सरकार को ये आदेश वापस लेने की मांग की गई. दरअसल हिमाचल पर बढ़ते कर्ज को देखते हुए सुक्खू सरकार ने कई फैसले लिए हैं उनमें से ही एक फैसला वाटर सेस लगाने का भी है. पड़ोसी राज्यों की विधानसभाओं में प्रस्ताव पास होने के बाद सीएम सुक्खू ने गुरुवार को विधानसभा में इस मामले पर सरकार का रुख साफ किया और कहा कि पानी पर सेस लगाने का अधिकार राज्य का है और इसमें किसी भी कानून का उल्लंघन नहीं हुआ है. दरअसल Water Cess on Hydro Power Generation Act 2023 को विधानसभा से पारित हो गया है और सरकार ने इसे 10 मार्च से लागू कर दिया गया है.

'पंजाब-हरियाणा के पानी पर नहीं लगाया सेस'- सीएम सुक्खू ने कहा कि हिमाचल सरकार पंजाब या हरियाणा के पानी पर वाटर सेस नहीं लगा रही बल्कि हिमाचल में मौजूद हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट पर ये सेस लगाया गया है. इसलिये इससे पंजाब और हरियाणा सरकार को चिंता करने की जरूरत नहीं है. सीएम सुक्खू ने कहा कि वो इस मुद्दे पर जल्द ही दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों से बात करेंगे. सुक्खू ने कहा कि बीबीएमबी में 7.19% हिस्सेदारी हिमाचल की भी है, हमारी मांग है कि बीबीएमबी में हमें पार्टनर स्टेट बनाया जाए क्योंकि सारा बहता हुआ पानी तो हिमाचल का है लेकिन हमें बीबीएमबी में पार्टनर स्टेट भी नहीं माना जाता है.

Water Cess on Hydro Power Generation Act 2023 हिमाचल विधानसभा में हुआ पारित
Water Cess on Hydro Power Generation Act 2023 हिमाचल विधानसभा में हुआ पारित

'किसी जल संधि का उल्लंघन नहीं हुआ है'- सीएम सुक्खू ने कहा कि वाटर सेस लगाने के फैसले पर पंजाब सरकार की आपत्ति गलत है और हिमाचल के बिल से इंडस वाटर ट्रीटी का उल्लंघन नहीं हुआ है. पानी पर टैक्स लगाना राज्य सरकार का विषय है, BBMB की 3 परियोजनाओं के जलाशयों से हिमाचल के पर्यावरण को नुकसान हुआ है लेकिन हमें तय लाभ आज तक नहीं मिले हैं. सीएम ने कहा कि हिमाचल सरकार द्वारा जो Water Cess on Hydro Power Generation Act 2023 लागू किया गया है वो राज्यों के बीच की जल संधियों या indus Water Treaty 1960 का उल्लंघन नहीं करता है.

'पानी पर सेस लगाना सरकार का अधिकार'- सीएम सुक्खू ने कहा कि पंजाब औऱ हरियाणा का ये कहना बिल्कुल भी तर्कसंगत नही हैं कि वाटर सेस का फैसला अंतर्राजीय जल विवाद अधिनियम 1956 का उल्लंघन है. क्योंकि हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट्स पर Water Cess लगाने से पड़ोसी राज्यों को छोड़े जाने वाले पानी पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता. इस फैसले का कोई भी प्रावधान पड़ोसी राज्यों के जल अधिकार का उल्लंघन नहीं करता है. सीएम ने कहा कि बिजली उत्पादन पर सेस लगाना राज्य का अधिकार है. मुख्यमंत्री ने साफ किया कि संवैधानिक प्रावधान के अनुसार पानी राज्य का विषय है और इसके जल संसाधनों पर राज्य का अधिकार है. इस कदम का सिंधु जल संधि, 1960 पर कोई असर नहीं पड़ेगा क्योंकि वाटर सेस लगाने से ना तो पड़ोसी राज्यों को पानी छोड़े जाने पर कोई असर पड़ता है और ना ही नदियों के प्रभाव के पैटर्न में कोई परिवर्तन आएगा.

Water Cess on हिमाचल के Hydro Power Generation Act 2023 के खिलाफ पंजाब और हरियाणा विधानसभा में प्रस्ताव पारित
Water Cess on हिमाचल के Hydro Power Generation Act 2023 के खिलाफ पंजाब और हरियाणा विधानसभा में प्रस्ताव पारित

'जल विद्युत योजनाओं का हिमाचल को नुकसान'- सीएम सुक्खू ने कहा कि बीबीएमबी की तीन परियोजनाओं से हिमाचल की लगभग 45000 हेक्टेयर भूमि जलमग्न हो गई है. प्रदेश में इन परियोजनाओं से बने जलाशयों से पर्यावरण पर दशकों से विपरीत प्रभाव पड़ रहा है. क्षेत्रीय जलवायु से लेकर कृषि बागवानी और स्वास्थ्य और सामाजिक- आर्थिक रूप से विपरीत प्रभाव पड़ है. आज बनने वाली जल विद्युत परियोजनाओं में इस तरह की प्रभावों का आकलन करके पर्यावरण से लेकर सामाजिक सुरक्षा के व्यापक कदम उठाए जाते हैं लेकिन बीबीएमबी की किसी भी परियोजना में इन मुद्दों को लेकर जरूरी कदम नहीं उठाए गए. इन जलाशयों से कृषि-बागवानी की भूमि, धार्मिक स्थल, श्मशान घाट आदि जलमग्न हुए हैं. यातायात के साधन बाधित हुए हैं और कई दशकों से उजड़े परिवारों का पुनर्वास अब तक नहीं हो पाया है.

'हिमाचल ऐसा करने वाला पहला राज्य नहीं है'- सीएम सुक्खू ने कहा कि हिमाचल सरकार ने अपने राज्य में मौजूद हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट्स द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले पानी पर सेस लगाया है ना कि पड़ोसी राज्य की सीमाओं में बहने वाले पानी पर, इसलिये पंजाब सरकार का इस कदम को गैरकानूनी बताना तर्कसंगत नहीं है. साथ ही मुख्यमंत्री ने पड़ोसी राज्य पंजाब को याद दिलाया कि हिमाचल पहला राज्य नहीं है जिसने ये प्रावधान किया है. उत्तराखंड ने साल 2013 और जम्मू कश्मी ने साल 2010 में Water Cess Act पारित किया था. सुखविंदर सुक्खू ने कहा कि पहाड़ी राज्यों के पास आय के सीमित साधन हैं ऐसे में राज्य के पास आय के स्त्रोत बढ़ाने का पूरा अधिकार है.

'बीबीएमबी पर सिर्फ पंजाब हरियाणा का अधिकार नहीं'- सीएम सुक्खू ने कहा कि भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) की स्थापना विद्युत मंत्रालय द्वारा पंजाब पुनर्गठन एक्ट 1966 के प्रावधानों के तहत भाखड़ा नांगल परियोजना के संचालन, रख रखाव और प्रशासन के लिए हुई थी, जो संयुक्त है. बीबीएमबी राजस्थान, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, चंडीगढ़ और दिल्ली राज्यों का उपक्रम है, बीबीएमबी के प्रबंधन पर सिर्फ पंजाब और हरियाणा राज्यों का ही नियंत्रण नहीं है. इसलिये बबीएमबी की परियोजनाओं में हिाचल सरकार द्वारा लगाए गए वाटर सेस का भार हिमाचल प्रदेश सहित अन्य 5 राज्यों में समान रूप से वितरित किया जाएगा.

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