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ओडिशा : भगवान जगन्नाथ के श्रीक्षेत्र की परिक्रमा से धुल जाते हैं सारे पाप

ओडिशा में इस समय भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा की तैयारियां धूमधाम से चल रही है. रथ यात्रा के अलावा पुरी के श्रीक्षेत्र का बहुत महत्व है. इस स्थान को भगवान जगन्नाथ का निवास स्थान कहा जाता है. अगहन (मार्गशीर्ष) महीने के कृष्ण पक्ष के पांचवें दिन श्रद्धालु यहां परिक्रमा करने जाते हैं. कहा जाता है कि इस दिन परिक्रमा करने से सभी पाप धुल जाते हैं.

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Published : Jun 16, 2020, 8:02 PM IST

Updated : Jun 16, 2020, 10:59 PM IST

Srikhetra Parikrama
डिजाइन तस्वीर

भुवनेश्वर : श्रीक्षेत्र (पुरी का पवित्र कस्बा), श्रीमंदिर (भगवान जगन्नाथ का मंदिर) और भगवान जगन्नाथ सभी भक्तों के लिए आस्था का केंद्र है. यह क्षेत्र भगवान जगन्नाथ का स्थायी निवास है. इस स्थान को सभी पवित्र स्थानों में सर्वोच्च माना जाता है. इस स्थान की परिक्रमा मात्र से जीवन के सभी पाप धुल जाते हैं.

तीर्थयात्रा की यह पवित्र भूमि मोक्ष, मुक्ति और ज्ञान प्राप्ति का प्रमुख स्थान है. इस स्थान की अनोखी विशेषताएं हैं. इस पवित्र भूमि की मात्र एक बार परिक्रमा करने से ही सभी पाप धुल जाते हैं और पीड़ा खत्म हो जाती है. श्रीक्षेत्र या पंचतीर्थ (पांच पवित्र भूमियों का मिलन) की यह परिक्रमा ओड़िया के मार्गशीर महीने (हिन्दू पंचांग के अनुसार अगहन या मार्गशीर्ष) के कृष्ण पक्ष के पांचवें दिन की जाती है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

श्रीक्षेत्र की परिक्रमा श्री जगन्नाथ मंदिर के सिंह द्वार से शुरू की जाती है. भक्त झांझ बजाते व भक्ति गान करते हुए मंदिर के चारों द्वारों की परिक्रमा करते हैं. इसके साथ ही श्रद्धालु मारकंडेय, इंद्रद्युमन और नरेंद्र जैसे पवित्र सरोवरों की यात्रा करते हैं और बंगाल की खाड़ी में स्नान करते हैं. इसके साथ ही भक्त लोकनाथ और चक्रतीर्थ मंदिर में भी दर्शन करते हैं.

पुराणों के मुताबिक यदि कोई व्यक्ति श्रीक्षेत्र की परिक्रमा करता है तो उसके सारे पाप धुल जाते हैं और पीड़ा खत्म हो जाती है. इसके साथ ही उसे दिव्य आशीर्वाद की प्राप्ति होती है.

पढ़ें : टाहिया जो बढ़ाता है श्री जगन्नाथ रथ यात्रा की भव्यता

भगवान जगन्नाथ की इस भूमि को शंख क्षेत्र के रूप में भी जाना जाता है. यहां सभी देवी-देवताओं का निवास होता है. यदि कोई पुरी की पवित्र भूमि की परिक्रमा करता है, तो उसे देश के चारों धामों का वांछित फल मिलता है.

भुवनेश्वर : श्रीक्षेत्र (पुरी का पवित्र कस्बा), श्रीमंदिर (भगवान जगन्नाथ का मंदिर) और भगवान जगन्नाथ सभी भक्तों के लिए आस्था का केंद्र है. यह क्षेत्र भगवान जगन्नाथ का स्थायी निवास है. इस स्थान को सभी पवित्र स्थानों में सर्वोच्च माना जाता है. इस स्थान की परिक्रमा मात्र से जीवन के सभी पाप धुल जाते हैं.

तीर्थयात्रा की यह पवित्र भूमि मोक्ष, मुक्ति और ज्ञान प्राप्ति का प्रमुख स्थान है. इस स्थान की अनोखी विशेषताएं हैं. इस पवित्र भूमि की मात्र एक बार परिक्रमा करने से ही सभी पाप धुल जाते हैं और पीड़ा खत्म हो जाती है. श्रीक्षेत्र या पंचतीर्थ (पांच पवित्र भूमियों का मिलन) की यह परिक्रमा ओड़िया के मार्गशीर महीने (हिन्दू पंचांग के अनुसार अगहन या मार्गशीर्ष) के कृष्ण पक्ष के पांचवें दिन की जाती है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

श्रीक्षेत्र की परिक्रमा श्री जगन्नाथ मंदिर के सिंह द्वार से शुरू की जाती है. भक्त झांझ बजाते व भक्ति गान करते हुए मंदिर के चारों द्वारों की परिक्रमा करते हैं. इसके साथ ही श्रद्धालु मारकंडेय, इंद्रद्युमन और नरेंद्र जैसे पवित्र सरोवरों की यात्रा करते हैं और बंगाल की खाड़ी में स्नान करते हैं. इसके साथ ही भक्त लोकनाथ और चक्रतीर्थ मंदिर में भी दर्शन करते हैं.

पुराणों के मुताबिक यदि कोई व्यक्ति श्रीक्षेत्र की परिक्रमा करता है तो उसके सारे पाप धुल जाते हैं और पीड़ा खत्म हो जाती है. इसके साथ ही उसे दिव्य आशीर्वाद की प्राप्ति होती है.

पढ़ें : टाहिया जो बढ़ाता है श्री जगन्नाथ रथ यात्रा की भव्यता

भगवान जगन्नाथ की इस भूमि को शंख क्षेत्र के रूप में भी जाना जाता है. यहां सभी देवी-देवताओं का निवास होता है. यदि कोई पुरी की पवित्र भूमि की परिक्रमा करता है, तो उसे देश के चारों धामों का वांछित फल मिलता है.

Last Updated : Jun 16, 2020, 10:59 PM IST
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