ETV Bharat / bharat

अयोध्या मामले पर SC ने कहा, पार्टियां अगर चाहें तो मध्यस्थता कर सकती है, इकबाल अंसारी ने कही ये बात...

अयोध्या मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रोजाना हो रही सुनवाई 18 अक्टूबर तक पूरी कर ली जाए. कोर्ट ने बताया कि इस पर फैसला लिखने के लिए चार सप्ताह का समय चाहिए. इस पर बाबरी मस्जिद के पक्षकार इकबाल अंसारी ने कहा कि कोर्ट जो भी फैसला होगा वह सर्वमान्य होगा.

अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट का बयान
author img

By

Published : Sep 18, 2019, 7:47 PM IST

Updated : Oct 1, 2019, 2:42 AM IST

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले में कहा कि पक्षकार चाहें तो मध्यस्थता के माध्यम से इस विवाद का सर्वसम्मत समाधान कर सकते हैं. परंतु उसने दोनों ही पक्षों के वकीलों से कहा कि वह चाहती है कि इस मामले की रोजाना हो रही सुनवाई 18 अक्टूबर तक पूरी की जाये ताकि न्यायाधीशों को फैसला लिखने के लिये करीब चार सप्ताह का समय मिल सके.

सुप्रीम कोर्ट रामजन्म भूमि और बाबरी मस्जिद पर जल्द फैसला सुनाएगी, इस खबर के बाद ईटीवी भारत ने बाबरी मस्जिद के पक्षकार इक़बाल अंसारी से बातचीत की. उन्होंने कहा कि, अब मध्यस्था की कोई जरूरत नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने कह दिया है कि 18 अक्टूबर तक सभी जिरह पूरे हो जाएंगे. ऐसे में अयोध्या के लोगों ने खुशी जताई है.

इकबाल अंसारी ( बाबरी मस्जिद के पक्षकार)

कोर्ट का फैसला मान्य होगा: इकबाल अंसारी

मध्यस्था के पत्र पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर दोनों पक्ष मध्यस्था चाहते हैं तो कोर्ट को अवगत कराएं. इक़बाल असारी ने मध्यस्थता को सिरे से नकार दिया है. उनका साफ कहना है कि, सुप्रीम कोर्ट का निर्णय ही अंतिम एवं सर्वमान्य होगा.

मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता में जो पैनल गठित हुआ है वो 18 अक्टूबर तक दलील पूरी करने के निर्देश दिए हैं.

अब मध्यस्था की चर्चा नहीं होनी चाहिए क्योंकि मध्यस्थता के लिए बहुत पहले प्रयास किया जा चुका है उससे कोई समाधान नहीं निकला. सुप्रीम कोर्ट ने स्वयं पैनल का गठन किया था इसके बाद भी जब मेडिएशन से कोई बात नहीं बनी तब नियमित सुनवाई शुरू हुई. अब सर्वोच्च न्यायालय साक्ष्यों के आधार पर फैसला करने वाला है.

संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजर शामिल हैं. पीठ ने मंगलवार को हिन्दू और मुस्लिम पक्षकारों के वकीलों से उनकी बहस पूरी करने के लिये अनुमानित समय के बारे में जानकारी मांगी थी.

संविधान पीठ ने यह भी कहा कि उसे इस प्रकरण में मध्यस्थता के लिये बनायी गयी समिति के अध्यक्ष पूर्व न्यायाधीश एफ एम आई कलीफुल्ला से एक पत्र मिला है जिसमें कहा गया है कि कुछ पक्षकारों ने मध्यस्थता प्रक्रिया फिर से शुरू करने के लिये उन्हें खत लिखा है.

बुधवार की सुनवाई

संविधान पीठ ने बुधवार को सुनवाई शुरू होते ही कहा, ‘‘इससे संबंधित एक मुद्दा है. हमें एक पत्र मिला है कि कुछ पक्षकार इस मामले को मध्यस्थता के माध्यम से सुलझाना चाहते हैं.’’ पीठ ने यह भी कहा कि पक्षकार ऐसा कर सकते हैं और मध्यस्थता समिति के समक्ष होने वाली कार्यवाही गोपनीय रह सकती है.

पीठ ने कहा कि भूमि विवाद मामले की छह अगस्त से रोजाना हो रही सुनवाई ‘काफी आगे बढ़ चुकी है’ और यह जारी रहेगी.

शीर्ष अदालत ने इस विवाद का सर्वमान्य हल खोजने के लिये गठित मध्यस्थता समिति के प्रयास विफल हो जाने के बाद छह अगस्त से अयोध्या प्रकरण पर रोजाना सुनवाई करने का निश्चय किया था.
न्यायालय ने न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) कलीफुल्ला की अध्यक्षता वाली मध्यस्थता समिति की इस रिपोर्ट का संज्ञान लिया था कि मध्यस्थता की कार्यवाही विफल हो गयी है और इसके अपेक्षित नतीजे नहीं निकले हैं.
शीर्ष अदालत ने इस विवाद को सर्वमान्य समाधान के उद्देश्य से आठ मार्च को मध्यस्थता के लिये भेजा था और इसे आठ सप्ताह में अपनी कार्यवाही पूरी करनी थी. समिति में धर्म गुरू श्री श्री रविशंकर और मध्यस्थता कराने में दक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीराम पांचू को शामिल किया गया था.
समिति की कार्यवाही फैजाबाद में बंद कमरे में हुयी और इस दौरान उसने संबंधित पक्षों से विस्तार से बातचीत भी की. समिति को आशा थी कि इस विवाद का समाधान निकल आयेगा, इसलिए न्यायालय ने इसका कार्यकाल 15 अगस्त तक के लिये बढ़ा दिया था.
शीर्ष अदालत ने समिति की 18 जुलाई तक की कार्यवाही की प्रगति के बारे में रिपोर्ट का अवलोकन किया और इसके बाद ही नियमित सुनवाई करने का निश्चय किया.

शीर्ष अदालत इस समय अयोध्या में 2.77 एकड़ विवादित भूमि को सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला के बीच बराबर-बराबर बांटने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सितंबर, 2010 के फैसले के खिलाफ दायर अपीलों पर सुनवाई कर रही है.

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले में कहा कि पक्षकार चाहें तो मध्यस्थता के माध्यम से इस विवाद का सर्वसम्मत समाधान कर सकते हैं. परंतु उसने दोनों ही पक्षों के वकीलों से कहा कि वह चाहती है कि इस मामले की रोजाना हो रही सुनवाई 18 अक्टूबर तक पूरी की जाये ताकि न्यायाधीशों को फैसला लिखने के लिये करीब चार सप्ताह का समय मिल सके.

सुप्रीम कोर्ट रामजन्म भूमि और बाबरी मस्जिद पर जल्द फैसला सुनाएगी, इस खबर के बाद ईटीवी भारत ने बाबरी मस्जिद के पक्षकार इक़बाल अंसारी से बातचीत की. उन्होंने कहा कि, अब मध्यस्था की कोई जरूरत नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने कह दिया है कि 18 अक्टूबर तक सभी जिरह पूरे हो जाएंगे. ऐसे में अयोध्या के लोगों ने खुशी जताई है.

इकबाल अंसारी ( बाबरी मस्जिद के पक्षकार)

कोर्ट का फैसला मान्य होगा: इकबाल अंसारी

मध्यस्था के पत्र पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर दोनों पक्ष मध्यस्था चाहते हैं तो कोर्ट को अवगत कराएं. इक़बाल असारी ने मध्यस्थता को सिरे से नकार दिया है. उनका साफ कहना है कि, सुप्रीम कोर्ट का निर्णय ही अंतिम एवं सर्वमान्य होगा.

मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता में जो पैनल गठित हुआ है वो 18 अक्टूबर तक दलील पूरी करने के निर्देश दिए हैं.

अब मध्यस्था की चर्चा नहीं होनी चाहिए क्योंकि मध्यस्थता के लिए बहुत पहले प्रयास किया जा चुका है उससे कोई समाधान नहीं निकला. सुप्रीम कोर्ट ने स्वयं पैनल का गठन किया था इसके बाद भी जब मेडिएशन से कोई बात नहीं बनी तब नियमित सुनवाई शुरू हुई. अब सर्वोच्च न्यायालय साक्ष्यों के आधार पर फैसला करने वाला है.

संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजर शामिल हैं. पीठ ने मंगलवार को हिन्दू और मुस्लिम पक्षकारों के वकीलों से उनकी बहस पूरी करने के लिये अनुमानित समय के बारे में जानकारी मांगी थी.

संविधान पीठ ने यह भी कहा कि उसे इस प्रकरण में मध्यस्थता के लिये बनायी गयी समिति के अध्यक्ष पूर्व न्यायाधीश एफ एम आई कलीफुल्ला से एक पत्र मिला है जिसमें कहा गया है कि कुछ पक्षकारों ने मध्यस्थता प्रक्रिया फिर से शुरू करने के लिये उन्हें खत लिखा है.

बुधवार की सुनवाई

संविधान पीठ ने बुधवार को सुनवाई शुरू होते ही कहा, ‘‘इससे संबंधित एक मुद्दा है. हमें एक पत्र मिला है कि कुछ पक्षकार इस मामले को मध्यस्थता के माध्यम से सुलझाना चाहते हैं.’’ पीठ ने यह भी कहा कि पक्षकार ऐसा कर सकते हैं और मध्यस्थता समिति के समक्ष होने वाली कार्यवाही गोपनीय रह सकती है.

पीठ ने कहा कि भूमि विवाद मामले की छह अगस्त से रोजाना हो रही सुनवाई ‘काफी आगे बढ़ चुकी है’ और यह जारी रहेगी.

शीर्ष अदालत ने इस विवाद का सर्वमान्य हल खोजने के लिये गठित मध्यस्थता समिति के प्रयास विफल हो जाने के बाद छह अगस्त से अयोध्या प्रकरण पर रोजाना सुनवाई करने का निश्चय किया था.
न्यायालय ने न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) कलीफुल्ला की अध्यक्षता वाली मध्यस्थता समिति की इस रिपोर्ट का संज्ञान लिया था कि मध्यस्थता की कार्यवाही विफल हो गयी है और इसके अपेक्षित नतीजे नहीं निकले हैं.
शीर्ष अदालत ने इस विवाद को सर्वमान्य समाधान के उद्देश्य से आठ मार्च को मध्यस्थता के लिये भेजा था और इसे आठ सप्ताह में अपनी कार्यवाही पूरी करनी थी. समिति में धर्म गुरू श्री श्री रविशंकर और मध्यस्थता कराने में दक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीराम पांचू को शामिल किया गया था.
समिति की कार्यवाही फैजाबाद में बंद कमरे में हुयी और इस दौरान उसने संबंधित पक्षों से विस्तार से बातचीत भी की. समिति को आशा थी कि इस विवाद का समाधान निकल आयेगा, इसलिए न्यायालय ने इसका कार्यकाल 15 अगस्त तक के लिये बढ़ा दिया था.
शीर्ष अदालत ने समिति की 18 जुलाई तक की कार्यवाही की प्रगति के बारे में रिपोर्ट का अवलोकन किया और इसके बाद ही नियमित सुनवाई करने का निश्चय किया.

शीर्ष अदालत इस समय अयोध्या में 2.77 एकड़ विवादित भूमि को सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला के बीच बराबर-बराबर बांटने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सितंबर, 2010 के फैसले के खिलाफ दायर अपीलों पर सुनवाई कर रही है.

ZCZC
PRI GEN LGL NAT
.NEWDELHI LGD4
SC-AYODHYA MEDIATION
Ayodhya: SC says parties can go for mediation if they want to
         New Delhi, Sep 18 (PTI) The Supreme Court on Wednesday said that if parties to the Ram-Janmabhoomi Babri Masjid land dispute case want to amicably resolve the matter through mediation, they can still go ahead with it.
          A five-judge Constitution bench headed by Chief Justice Ranjan Gogoi said it has received a letter from former Supreme Court judge F M I Kalifulla, who was heading the three-member mediation panel, saying some parties have written to him for resumption of the mediation process.
          The bench said the day-to-day proceedings in the land dispute case have reached "an advanced stage" and will continue.
          The court, however, said the mediation process under the chairmanship of Justice Kalifulla can still continue and proceedings before it will remain confidential.PTI SJK LLP LLP
DV
DV
09181112
NNNN
Last Updated : Oct 1, 2019, 2:42 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.