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किसानों को गुलाम बनाना चाहती है सरकार : रणदीप सुरजेवाला

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Published : Sep 12, 2020, 8:30 PM IST

मीडिया को संबोधित करते हुए कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह कृषि संबंधित अध्यादेश लाकर मुठ्ठी भर पूंजीपतियों को फायदा पहुंचा कर किसानों को गुलाम बनाना चाहती है.

रणदीप सुरजेवाला
रणदीप सुरजेवाला

नई दिल्ली : हरियाणा सरकार द्वारा कृषि के तीन अध्यादेशों का विरोध करने वाले किसानों पर लाठी चार्ज करने के एक दिन बाद, कांग्रेस पार्टी ने भाजपा नीत केंद्र सरकार पर हरित क्रांति की उपलब्धियों के खिलाफ साजिश रचने का आरोप लगाया है.

कांग्रेस ने कहा कि इस संबंध में सभी राजनीतिक दल एक जुट होकर संसद में इसका विरोध करेंगे.

प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए, कांग्रेस के चीफ प्रवक्ता, रणदीप सिंह सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार पहले गरीबों की जमीन पर कब्जा करने के लिए एक अध्यादेश लाई और अब वह किसानों को गुलाम बनाना चाहती है.

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार द्वारा लाए गए बेरहम अध्यादेश से अभी भी किसान यूनियन और उनके प्रतिनिधि जूझ रहे हैं. यह अध्यादेश भारत में कृषि के लिए ताबूत में आखिरी कील है.

उन्होंने आगे कहा यह अध्यादेश मुट्ठी भर पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए किसानों को कम से कम समर्थन मूल्य की प्रणाली के तहत उनकी फसलों पर पारिश्रमिक मूल्य बढ़ाने के बजाय, उन्हें मजदूर बनाना चाहती है.

जून में मोदी सरकार द्वारा शुरू किए गए तीन अध्यादेशों में आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 में संशोधन, मूल्य उत्पादन और कृषि सेवा अध्यादेश, 2020 और किसान (अधिकारिता और संरक्षण) समझौते शामिल हैं.

कांग्रेस नेता ने इसे 'ईस्ट इंडिया कंपनी' कहकर केंद्र पर तीखा हमला किया, जबकि यह कहते हुए कि सत्ताधारी भाजपा किसानों को लागत 50 प्रतिशत लाभ प्रदान करने के वादे के साथ सत्ता में आई, लेकिन उसने किसानों का विनाश कर दिया है.

उन्होंने आरोप लगाया कि इन अध्यादेशों के पीछे केंद्र सरकार का असली उद्देश्य शांता कुमार कमेटी की रिपोर्ट को लागू करना है, जो एक साल में लगभग एक लाख करोड़ रुपये बचाने में मदद करेगा.

पढ़ें - कांग्रेस पार्टी में फेरबदल असंतुष्टों को एक स्पष्ट संदेश : संजय झा

शांता कुमार कमेटी की रिपोर्ट, जो 2015 में आई थी, उसमें कहा गया था कि भारतीय खाद्य निगम (FCI) को राज्यों को गेहूं, धान, चावल के सभी खरीद कार्यों को सौंपना चाहिए.

जब मंडी प्रणाली समाप्त हो जाएगी, तो किसान अनुबंध केवल खेती पर निर्भर होगा और बड़ी कंपनियां उसकी फसल की कीमत निर्धारित करेंगी. सुरजेवाला ने पूछा कि यह नई जमींदारी प्रणाली नहीं तो क्या है?

उन्होंने इस मामले पर सहकारी संघवाद की आवश्यकता पर भी तर्क दिया, क्योंकि केंद्र सरकार ने इन तीन अध्यादेशों को पेश करने से पहले राज्यों से कोई अनुमोदन नहीं लिया है.

सुरजेवाला ने कहा, जब इस मामले पर कांग्रेस की संसदीय रणनीति के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हम हर पार्टी से बात करेंगे. हमारे फ्लोर के नेता पहले से ही संपर्क में हैं. हम मोदी सरकार के किसान संगठनों को एक संयुक्त विरोध में खड़ा करेंगे, जिसका उद्देश्य किसान समुदाय को अधीन करना है, करोड़ों लोगों को प्रभावित करना है, जो अनाज बाजार प्रणाली के साथ गठबंधन कर रहे हैं.

नई दिल्ली : हरियाणा सरकार द्वारा कृषि के तीन अध्यादेशों का विरोध करने वाले किसानों पर लाठी चार्ज करने के एक दिन बाद, कांग्रेस पार्टी ने भाजपा नीत केंद्र सरकार पर हरित क्रांति की उपलब्धियों के खिलाफ साजिश रचने का आरोप लगाया है.

कांग्रेस ने कहा कि इस संबंध में सभी राजनीतिक दल एक जुट होकर संसद में इसका विरोध करेंगे.

प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए, कांग्रेस के चीफ प्रवक्ता, रणदीप सिंह सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार पहले गरीबों की जमीन पर कब्जा करने के लिए एक अध्यादेश लाई और अब वह किसानों को गुलाम बनाना चाहती है.

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार द्वारा लाए गए बेरहम अध्यादेश से अभी भी किसान यूनियन और उनके प्रतिनिधि जूझ रहे हैं. यह अध्यादेश भारत में कृषि के लिए ताबूत में आखिरी कील है.

उन्होंने आगे कहा यह अध्यादेश मुट्ठी भर पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए किसानों को कम से कम समर्थन मूल्य की प्रणाली के तहत उनकी फसलों पर पारिश्रमिक मूल्य बढ़ाने के बजाय, उन्हें मजदूर बनाना चाहती है.

जून में मोदी सरकार द्वारा शुरू किए गए तीन अध्यादेशों में आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 में संशोधन, मूल्य उत्पादन और कृषि सेवा अध्यादेश, 2020 और किसान (अधिकारिता और संरक्षण) समझौते शामिल हैं.

कांग्रेस नेता ने इसे 'ईस्ट इंडिया कंपनी' कहकर केंद्र पर तीखा हमला किया, जबकि यह कहते हुए कि सत्ताधारी भाजपा किसानों को लागत 50 प्रतिशत लाभ प्रदान करने के वादे के साथ सत्ता में आई, लेकिन उसने किसानों का विनाश कर दिया है.

उन्होंने आरोप लगाया कि इन अध्यादेशों के पीछे केंद्र सरकार का असली उद्देश्य शांता कुमार कमेटी की रिपोर्ट को लागू करना है, जो एक साल में लगभग एक लाख करोड़ रुपये बचाने में मदद करेगा.

पढ़ें - कांग्रेस पार्टी में फेरबदल असंतुष्टों को एक स्पष्ट संदेश : संजय झा

शांता कुमार कमेटी की रिपोर्ट, जो 2015 में आई थी, उसमें कहा गया था कि भारतीय खाद्य निगम (FCI) को राज्यों को गेहूं, धान, चावल के सभी खरीद कार्यों को सौंपना चाहिए.

जब मंडी प्रणाली समाप्त हो जाएगी, तो किसान अनुबंध केवल खेती पर निर्भर होगा और बड़ी कंपनियां उसकी फसल की कीमत निर्धारित करेंगी. सुरजेवाला ने पूछा कि यह नई जमींदारी प्रणाली नहीं तो क्या है?

उन्होंने इस मामले पर सहकारी संघवाद की आवश्यकता पर भी तर्क दिया, क्योंकि केंद्र सरकार ने इन तीन अध्यादेशों को पेश करने से पहले राज्यों से कोई अनुमोदन नहीं लिया है.

सुरजेवाला ने कहा, जब इस मामले पर कांग्रेस की संसदीय रणनीति के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हम हर पार्टी से बात करेंगे. हमारे फ्लोर के नेता पहले से ही संपर्क में हैं. हम मोदी सरकार के किसान संगठनों को एक संयुक्त विरोध में खड़ा करेंगे, जिसका उद्देश्य किसान समुदाय को अधीन करना है, करोड़ों लोगों को प्रभावित करना है, जो अनाज बाजार प्रणाली के साथ गठबंधन कर रहे हैं.

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