विजयवाड़ा : मकर संक्रांति के अवसर पर आंध्र प्रदेश में मुर्गा बाजी (मुर्गों की लड़ाई) की परम्परा रही है. इस क्रम में हाई कोर्ट और सरकार के प्रतिबंधों व आदेशों के बावजूद राज्य के कई हिस्सों में कॉक फाइट का आयोजन निरंतर जारी है.
मुर्गों की लड़ाई की यह परम्परा पूर्वी गोदावरी और पश्चिमी गोदावरी जिलों में ज्यादा प्रचलित है. दिन के उजालों में ही नहीं वरन रात में दुधिया रोशनी में भी मुर्गों की लड़ाई देखी जा सकती है.
दिलचस्प तो यह है कि कॉक फाइट पर करोड़ों की रकम का वारा न्यारा भी हो जाता है. विभिन्न जिलों में गली, चौराहों व नुक्कड़ों पर मुर्गों की लड़ाई का नजारा देखा जा सकता है. इस प्रदर्शन के निमित्त दर्शकों के लिए शामियाने से लेकर गैलरी तक बनाई जाती है.
आयोजकों ने कई जगहों पर इस प्रदर्शन के लिए विशेष टेंट व खुले स्थानों पर बैरिकेड लगा रखे हैं. एलईडी स्क्रीनें तक लगाई गईं हैं.
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वस्तुतः इस प्रदर्शन में विशेष नस्ल वाले मुर्गों को छोटे चाकुओं व ब्लेड से उनके पैरों को बांधकर लड़वाया जाता है. यह लड़ाई दो में से एक मुर्गे की मौत के बाद समाप्त होती है.
राज्य की पुलिस मुर्गों की इस लड़ाई को रोकने की भरसक कोशिश कर रही है, लेकिन आयोजकों व दर्शकों का दावा है कि यह परम्परा है और इसीलिए वे इसका आयोजन कर रहे हैं.