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आंध्र प्रदेश : प्रतिबंध के बावजूद मकर संक्राति पर मुर्गों की लड़ाई जारी

आंध्र प्रदेश में अदालती आदेश और पुलिस की चेतावनी के बावजूद कई हिस्सों में मकर संक्राति के मौके पर (मुर्गों की लड़ाई) कॉक फाइट का प्रदर्शन निरंतर जारी है. पढ़ें पूरा विवरण...

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आंध्र प्रदेश में संक्राति के मौके पर कॉकफाइट निरंतर जारी
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Published : Jan 15, 2020, 5:01 PM IST

विजयवाड़ा : मकर संक्रांति के अवसर पर आंध्र प्रदेश में मुर्गा बाजी (मुर्गों की लड़ाई) की परम्परा रही है. इस क्रम में हाई कोर्ट और सरकार के प्रतिबंधों व आदेशों के बावजूद राज्य के कई हिस्सों में कॉक फाइट का आयोजन निरंतर जारी है.

मुर्गों की लड़ाई की यह परम्परा पूर्वी गोदावरी और पश्चिमी गोदावरी जिलों में ज्यादा प्रचलित है. दिन के उजालों में ही नहीं वरन रात में दुधिया रोशनी में भी मुर्गों की लड़ाई देखी जा सकती है.

आंध्र प्रदेश में संक्राति के मौके पर कॉक फाइट जारी.

दिलचस्प तो यह है कि कॉक फाइट पर करोड़ों की रकम का वारा न्यारा भी हो जाता है. विभिन्न जिलों में गली, चौराहों व नुक्कड़ों पर मुर्गों की लड़ाई का नजारा देखा जा सकता है. इस प्रदर्शन के निमित्त दर्शकों के लिए शामियाने से लेकर गैलरी तक बनाई जाती है.

आयोजकों ने कई जगहों पर इस प्रदर्शन के लिए विशेष टेंट व खुले स्थानों पर बैरिकेड लगा रखे हैं. एलईडी स्क्रीनें तक लगाई गईं हैं.

पढ़ें : तमिलनाडु में जल्लीकट्टू की धूम, मद्रास हाईकोर्ट ने नियुक्त किए पर्यवेक्षक

वस्तुतः इस प्रदर्शन में विशेष नस्ल वाले मुर्गों को छोटे चाकुओं व ब्लेड से उनके पैरों को बांधकर लड़वाया जाता है. यह लड़ाई दो में से एक मुर्गे की मौत के बाद समाप्त होती है.

राज्य की पुलिस मुर्गों की इस लड़ाई को रोकने की भरसक कोशिश कर रही है, लेकिन आयोजकों व दर्शकों का दावा है कि यह परम्परा है और इसीलिए वे इसका आयोजन कर रहे हैं.

विजयवाड़ा : मकर संक्रांति के अवसर पर आंध्र प्रदेश में मुर्गा बाजी (मुर्गों की लड़ाई) की परम्परा रही है. इस क्रम में हाई कोर्ट और सरकार के प्रतिबंधों व आदेशों के बावजूद राज्य के कई हिस्सों में कॉक फाइट का आयोजन निरंतर जारी है.

मुर्गों की लड़ाई की यह परम्परा पूर्वी गोदावरी और पश्चिमी गोदावरी जिलों में ज्यादा प्रचलित है. दिन के उजालों में ही नहीं वरन रात में दुधिया रोशनी में भी मुर्गों की लड़ाई देखी जा सकती है.

आंध्र प्रदेश में संक्राति के मौके पर कॉक फाइट जारी.

दिलचस्प तो यह है कि कॉक फाइट पर करोड़ों की रकम का वारा न्यारा भी हो जाता है. विभिन्न जिलों में गली, चौराहों व नुक्कड़ों पर मुर्गों की लड़ाई का नजारा देखा जा सकता है. इस प्रदर्शन के निमित्त दर्शकों के लिए शामियाने से लेकर गैलरी तक बनाई जाती है.

आयोजकों ने कई जगहों पर इस प्रदर्शन के लिए विशेष टेंट व खुले स्थानों पर बैरिकेड लगा रखे हैं. एलईडी स्क्रीनें तक लगाई गईं हैं.

पढ़ें : तमिलनाडु में जल्लीकट्टू की धूम, मद्रास हाईकोर्ट ने नियुक्त किए पर्यवेक्षक

वस्तुतः इस प्रदर्शन में विशेष नस्ल वाले मुर्गों को छोटे चाकुओं व ब्लेड से उनके पैरों को बांधकर लड़वाया जाता है. यह लड़ाई दो में से एक मुर्गे की मौत के बाद समाप्त होती है.

राज्य की पुलिस मुर्गों की इस लड़ाई को रोकने की भरसक कोशिश कर रही है, लेकिन आयोजकों व दर्शकों का दावा है कि यह परम्परा है और इसीलिए वे इसका आयोजन कर रहे हैं.

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Cock fighs are a tradition in andhra pradesh during sankranthi festival. Despite high court and  government's restrictions and orders to not organise these cock fights, the organisers pay a deaf ear. these cock fights are more predominant in east godavari and west godavari district . These fights are going on in flood lights too in nights. crores of  money is being changing hands in the cock fights. they are going on in every nook and  corner of the districts. shamiaanas, galleries are also organised for spectators.





  Knifes are tied to the cocks making it more violent without lisetning to aurhorities. spectators from different regions arrived to the spots for eyeing this cock fights. many cocks died in this fight.





      Police are putting their efforts to avoid these fights but spectators and the organisers are showing more intrest and compelling that they are organising it as a tradition.



        


Conclusion:
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