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गर्भगृह में विराजने से पहले 24 घंटे सोएंगे रामलला, 22 को तालियों-मंत्रोच्चार से जगाया जाएगा - अयोध्या राम मंदिर

रामलला के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम (Ramlalla Pran Pratistha) के लिए वाराणसी से 50 विद्वानों का समूह अयोध्या पहुंचेगा. कार्यक्रम के संबंध में पंडित सुनील लक्ष्मीकांत दीक्षित ने पूरी जानकारी दी. उन्होंने बताया कि किस दिन से कार्यक्रम की शुरुआत होगी और रामलला को एक बच्चे की तरह कैसे निद्रा कराई जाएगी.

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 2, 2024, 5:11 PM IST

Updated : Jan 3, 2024, 6:18 AM IST

रामलला प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम की जानकारी देते कर्मकांडी विद्वान सुनील लक्ष्मीकांत दीक्षित

वाराणसी: अयोध्या में 22 जनवरी को भगवान राम के बाल स्वरूप यानी रामलला के स्थापना समारोह के साथ भव्य राम मंदिर के लोकार्पण की प्रक्रिया को पूरा किया जाएगा. इसे लेकर अब तैयारी लगभग अंतिम दौर में है. 16 जनवरी को विद्वानों का समूह अयोध्या पहुंच जाएगा और 17 जनवरी से अनुष्ठान की शुरुआत भी हो जाएगी.

काशी से 50 विद्वानों का समूह लेकर कर्मकांडी विद्वान पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित अपने बेटों और अन्य विद्वानों के साथ अयोध्या पहुंचेंगे. इन सबके बीच अयोध्या में आयोजन कैसे होगा? आयोजन की रूपरेखा क्या होगी? यह हर कोई जानना चाहता है. वैसे तो 17 तारीख से अलग-अलग अधिवास के साथ अनुष्ठान शुरू होगा. लेकिन, सबसे महत्वपूर्ण होगा 21 जनवरी का दिन. जब सैय्या अधिवास के साथ भगवान रामलला को निद्रा करवाने का क्रम पूरा किया जाएगा. एक बच्चे की तरह भगवान को सुलाया जाएगा और 24 घंटे की गहरी नींद के बाद 22 जनवरी की सुबह तालियों और मंत्रोचार के साथ घंटे घड़ियाल की ध्वनि से भगवान रामलला को जगाकर उनका आह्वान करते हुए गर्भगृह में स्थापना की प्रक्रिया को शुरू किया जाएगा. क्या होगा पूरा अनुष्ठान का क्रम और कैसे रामलला को निद्रा में ले जाने के बाद अगले दिन जागने की प्रक्रिया की जाएगी इस बारे में पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित के बेटे पंडित सुनील लक्ष्मीकांत दीक्षित ने पूरी जानकारी को साझा किया.

सुनील लक्ष्मीकांत दीक्षित ने बताया कि काशी से इस अनुष्ठान को पूरा कराने के लिए 50 विद्वान जाएंगे. वैसे पूर्व में तैयारी के लिए आना-जाना लगा हुआ है. वहां मंडप की तैयारी चल रही है. मंदिर के गर्भग्रह की तैयारी भी चल रही है, जो-जो कार्यक्रम होने हैं जो सामग्री आनी है, वह प्रक्रिया अपने आप में चल रही है. 16 जनवरी से पूर्व रंग प्राण प्रतिष्ठा का आरंभ होगा. प्रायश्चित संस्कार होने के बाद जल यात्रा होगी. जल यात्रा के बाद 17 जनवरी को भगवान की मूर्ति का नगर भ्रमण अयोध्या नगरी में किया जाएगा. 17 जनवरी को यह प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद 18 जनवरी को इस प्राण प्रतिष्ठा समारोह का आरंभ मध्यान्ह में लगभग 1 बजे से शुरू हो जाएगा. उस दिन गणेश पूजन इत्यादि जो सामान्य प्रक्रिया होती है और मंडप के सभी देवताओं की स्थापना की जाएगी. सभी विद्वानों को वर्ण किया जाएगा और 19 जनवरी की सुबह प्रातः काल लगभग 8 बजे से 9 बजे के बीच अर्णी मंथन द्वारा अग्नि स्थापना अग्नि को प्रकट किया जाएगा. प्राण प्रतिष्ठा से संबंधित जितने भी हवन हैं, वह 9 कुंडों में संपन्न किए जाएंगे.

उन्होंने बताया कि प्राण प्रतिष्ठा की सारी प्रक्रिया चलती रहेगी. पहले दिन कुटीर क्रम होगा जो 18 जनवरी को संभवत सायं काल में होगा. उसके बाद भगवान को जल में विराजमान करवाकर जलाधिवास की शुरुआत होगी. 19 जनवरी को प्रातः काल हवन कुंड में अग्नि को स्थापित करने के बाद नवग्रह होम हवन की शुरुआत होगी. इसके पश्चात सभी मंडप के जितने भी देवता हैं. उनके स्थापना की प्रक्रिया चलेगी. शाम को भगवान को चावल व अन्य अन्न इत्यादि में रखा जाएगा. इस प्रक्रिया को धान्या यानी धन अधिवास कहते हैं. उसे पूर्ण किया जाएगा. इसके अतिरिक्त जो दिव्या प्रासाद यानी जो भगवान राम का भव्य मंदिर बन रहा है, उसकी वास्तु शांति होगी. 19 जनवरी को वास्तु शांति होगी. जैसे कोई जब किसी नए घर में जाता है तो गृह प्रवेश होता है वैसे ही पूजन होगा. इस दिन पूरे परिसर को जल से शुद्धिकरण करने का काम 81 कलशों से किया जाएगा, जो अलग-अलग नदियों से आएगा. इससे मंदिर का स्नान होगा. फिर 20 जनवरी को घृता अधिवास यानि भगवान को घृत (घी) में रखा जाएगा और उनको स्नान करवाया जाएगा. इसके अलावा पुष्पा अधिवास, रत्ना अधिवास, जिसमें पुष्प में और अलग-अलग महंगे रत्नों में भी भगवान को विराजमान किया जाएगा. फला दिवस भी होगा. इसमें कई तरह के फलों में भगवान की प्रतिमा को रखकर अनुष्ठान को आगे बढ़ाया जाएगा.

पंडित सुनील दीक्षित ने बताया कि सबसे महत्वपूर्ण 20 जनवरी के बाद 2 दिन का अनुष्ठान होगा. जो 21 और 22 जनवरी को होने वाला है. 21 जनवरी को शैय्या अधिवास का कार्यक्रम होगा. इसके पूर्व भगवान रामचंद्र का 96 दिव्य कलशों से और कुछ लौकिक कलशों से सभी वेदों के मंत्रों के पठन के साथ भगवान को दिव्य स्नान करवाया जाएगा और उनकी दिव्य दृष्टि खोली जाएगी. भगवान का नेत्रों मिलन संस्कार होगा और सांकेतिक शोभायात्रा होगी. क्योंकि, जो भगवान पहले दिन 17 जनवरी को नगर भ्रमण कर चुके होंगे. इसलिए 21 जनवरी को बड़ी शोभा यात्रा नहीं निकलेगी, बल्कि मंदिर प्रांगण में ही भगवान को शोभा यात्रा के साथ घुमाया जाएगा और इसके बाद भगवान को शैय्या पर सुलाया जाएगा. इस दौरान भगवान के विधिवत न्यास संपन्न होंगे.

न्यास का तात्पर्य हमारा शरीर जो जड़ है, उस शरीर में चैतन्यता लाने की प्रक्रिया को पूरा किया जाएगा. जब शरीर चेतन हो जाएगा तो वह दर्शन योग्य होगा तो उसमें प्राण तत्व, जीव तत्व, आत्म तत्व, यह सारे तत्व लाने के लिए मंत्रों के जरिए जो-जो मंत्र प्राण प्रतिष्ठा के लिए इस्तेमाल होंगे उनके जरिए न्यास संपन्न किया जाएगा. न्यास संपन्न होने के बाद उसी दिन भगवान को शैय्या पर सुलाया जाएगा. सुलाने के पश्चात अगले दिन सुबह भगवान का देव प्रबोधन होगा. हम भगवान को उठाएंगे, जिसके लिए विशेष मंत्र उत्तिष्ठोत्तिष्ठ गोविन्द उत्तिष्ठ गरुडध्वज। उत्तिष्ठ कमलाकान्त त्रैलोक्यं मङ्गलं कुरु।। यानि प्रभु उठिये हमारे इस त्रिलोक का मंगल कीजिए. हम भगवान राम से प्रार्थना करेंगे इस उद्बोधन के साथ वह उठेंगे और आह्वान करेंगे कि वह 22 जनवरी को अपने गर्भगृह में प्रवेश करें. बड़ी मूर्ति तो पहले से ही प्रवेश करके स्थापित हो जाएगी. लेकिन, छोटी मूर्ति को हम लेकर प्रवेश करेंगे. उस दिन प्राण प्रतिष्ठा और हवन का कार्य चलता रहेगा. उन्होंने बताया कि इसी के साथ ही प्राण प्रतिष्ठा की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी.

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रामलला प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम की जानकारी देते कर्मकांडी विद्वान सुनील लक्ष्मीकांत दीक्षित

वाराणसी: अयोध्या में 22 जनवरी को भगवान राम के बाल स्वरूप यानी रामलला के स्थापना समारोह के साथ भव्य राम मंदिर के लोकार्पण की प्रक्रिया को पूरा किया जाएगा. इसे लेकर अब तैयारी लगभग अंतिम दौर में है. 16 जनवरी को विद्वानों का समूह अयोध्या पहुंच जाएगा और 17 जनवरी से अनुष्ठान की शुरुआत भी हो जाएगी.

काशी से 50 विद्वानों का समूह लेकर कर्मकांडी विद्वान पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित अपने बेटों और अन्य विद्वानों के साथ अयोध्या पहुंचेंगे. इन सबके बीच अयोध्या में आयोजन कैसे होगा? आयोजन की रूपरेखा क्या होगी? यह हर कोई जानना चाहता है. वैसे तो 17 तारीख से अलग-अलग अधिवास के साथ अनुष्ठान शुरू होगा. लेकिन, सबसे महत्वपूर्ण होगा 21 जनवरी का दिन. जब सैय्या अधिवास के साथ भगवान रामलला को निद्रा करवाने का क्रम पूरा किया जाएगा. एक बच्चे की तरह भगवान को सुलाया जाएगा और 24 घंटे की गहरी नींद के बाद 22 जनवरी की सुबह तालियों और मंत्रोचार के साथ घंटे घड़ियाल की ध्वनि से भगवान रामलला को जगाकर उनका आह्वान करते हुए गर्भगृह में स्थापना की प्रक्रिया को शुरू किया जाएगा. क्या होगा पूरा अनुष्ठान का क्रम और कैसे रामलला को निद्रा में ले जाने के बाद अगले दिन जागने की प्रक्रिया की जाएगी इस बारे में पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित के बेटे पंडित सुनील लक्ष्मीकांत दीक्षित ने पूरी जानकारी को साझा किया.

सुनील लक्ष्मीकांत दीक्षित ने बताया कि काशी से इस अनुष्ठान को पूरा कराने के लिए 50 विद्वान जाएंगे. वैसे पूर्व में तैयारी के लिए आना-जाना लगा हुआ है. वहां मंडप की तैयारी चल रही है. मंदिर के गर्भग्रह की तैयारी भी चल रही है, जो-जो कार्यक्रम होने हैं जो सामग्री आनी है, वह प्रक्रिया अपने आप में चल रही है. 16 जनवरी से पूर्व रंग प्राण प्रतिष्ठा का आरंभ होगा. प्रायश्चित संस्कार होने के बाद जल यात्रा होगी. जल यात्रा के बाद 17 जनवरी को भगवान की मूर्ति का नगर भ्रमण अयोध्या नगरी में किया जाएगा. 17 जनवरी को यह प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद 18 जनवरी को इस प्राण प्रतिष्ठा समारोह का आरंभ मध्यान्ह में लगभग 1 बजे से शुरू हो जाएगा. उस दिन गणेश पूजन इत्यादि जो सामान्य प्रक्रिया होती है और मंडप के सभी देवताओं की स्थापना की जाएगी. सभी विद्वानों को वर्ण किया जाएगा और 19 जनवरी की सुबह प्रातः काल लगभग 8 बजे से 9 बजे के बीच अर्णी मंथन द्वारा अग्नि स्थापना अग्नि को प्रकट किया जाएगा. प्राण प्रतिष्ठा से संबंधित जितने भी हवन हैं, वह 9 कुंडों में संपन्न किए जाएंगे.

उन्होंने बताया कि प्राण प्रतिष्ठा की सारी प्रक्रिया चलती रहेगी. पहले दिन कुटीर क्रम होगा जो 18 जनवरी को संभवत सायं काल में होगा. उसके बाद भगवान को जल में विराजमान करवाकर जलाधिवास की शुरुआत होगी. 19 जनवरी को प्रातः काल हवन कुंड में अग्नि को स्थापित करने के बाद नवग्रह होम हवन की शुरुआत होगी. इसके पश्चात सभी मंडप के जितने भी देवता हैं. उनके स्थापना की प्रक्रिया चलेगी. शाम को भगवान को चावल व अन्य अन्न इत्यादि में रखा जाएगा. इस प्रक्रिया को धान्या यानी धन अधिवास कहते हैं. उसे पूर्ण किया जाएगा. इसके अतिरिक्त जो दिव्या प्रासाद यानी जो भगवान राम का भव्य मंदिर बन रहा है, उसकी वास्तु शांति होगी. 19 जनवरी को वास्तु शांति होगी. जैसे कोई जब किसी नए घर में जाता है तो गृह प्रवेश होता है वैसे ही पूजन होगा. इस दिन पूरे परिसर को जल से शुद्धिकरण करने का काम 81 कलशों से किया जाएगा, जो अलग-अलग नदियों से आएगा. इससे मंदिर का स्नान होगा. फिर 20 जनवरी को घृता अधिवास यानि भगवान को घृत (घी) में रखा जाएगा और उनको स्नान करवाया जाएगा. इसके अलावा पुष्पा अधिवास, रत्ना अधिवास, जिसमें पुष्प में और अलग-अलग महंगे रत्नों में भी भगवान को विराजमान किया जाएगा. फला दिवस भी होगा. इसमें कई तरह के फलों में भगवान की प्रतिमा को रखकर अनुष्ठान को आगे बढ़ाया जाएगा.

पंडित सुनील दीक्षित ने बताया कि सबसे महत्वपूर्ण 20 जनवरी के बाद 2 दिन का अनुष्ठान होगा. जो 21 और 22 जनवरी को होने वाला है. 21 जनवरी को शैय्या अधिवास का कार्यक्रम होगा. इसके पूर्व भगवान रामचंद्र का 96 दिव्य कलशों से और कुछ लौकिक कलशों से सभी वेदों के मंत्रों के पठन के साथ भगवान को दिव्य स्नान करवाया जाएगा और उनकी दिव्य दृष्टि खोली जाएगी. भगवान का नेत्रों मिलन संस्कार होगा और सांकेतिक शोभायात्रा होगी. क्योंकि, जो भगवान पहले दिन 17 जनवरी को नगर भ्रमण कर चुके होंगे. इसलिए 21 जनवरी को बड़ी शोभा यात्रा नहीं निकलेगी, बल्कि मंदिर प्रांगण में ही भगवान को शोभा यात्रा के साथ घुमाया जाएगा और इसके बाद भगवान को शैय्या पर सुलाया जाएगा. इस दौरान भगवान के विधिवत न्यास संपन्न होंगे.

न्यास का तात्पर्य हमारा शरीर जो जड़ है, उस शरीर में चैतन्यता लाने की प्रक्रिया को पूरा किया जाएगा. जब शरीर चेतन हो जाएगा तो वह दर्शन योग्य होगा तो उसमें प्राण तत्व, जीव तत्व, आत्म तत्व, यह सारे तत्व लाने के लिए मंत्रों के जरिए जो-जो मंत्र प्राण प्रतिष्ठा के लिए इस्तेमाल होंगे उनके जरिए न्यास संपन्न किया जाएगा. न्यास संपन्न होने के बाद उसी दिन भगवान को शैय्या पर सुलाया जाएगा. सुलाने के पश्चात अगले दिन सुबह भगवान का देव प्रबोधन होगा. हम भगवान को उठाएंगे, जिसके लिए विशेष मंत्र उत्तिष्ठोत्तिष्ठ गोविन्द उत्तिष्ठ गरुडध्वज। उत्तिष्ठ कमलाकान्त त्रैलोक्यं मङ्गलं कुरु।। यानि प्रभु उठिये हमारे इस त्रिलोक का मंगल कीजिए. हम भगवान राम से प्रार्थना करेंगे इस उद्बोधन के साथ वह उठेंगे और आह्वान करेंगे कि वह 22 जनवरी को अपने गर्भगृह में प्रवेश करें. बड़ी मूर्ति तो पहले से ही प्रवेश करके स्थापित हो जाएगी. लेकिन, छोटी मूर्ति को हम लेकर प्रवेश करेंगे. उस दिन प्राण प्रतिष्ठा और हवन का कार्य चलता रहेगा. उन्होंने बताया कि इसी के साथ ही प्राण प्रतिष्ठा की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी.

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Last Updated : Jan 3, 2024, 6:18 AM IST
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