नई दिल्ली : अप्रैल फूल दिवस मनाने की परंपरा वैसे तो पाश्चात्य देशों से हमारे देश में आयी है, लेकिन इस दिन लोग कुछ खास करके अपने मित्रों व संबंधियों को अप्रैल फूल बनाते हैं. पश्चिमी देशों में हर साल पहली अप्रैल को मूर्ख दिवस को बड़े जोशोखरोश के साथ मनाया जाता है. इस दिन सार्वजनिक अवकाश भले न हों लेकिन इस दिन का लोग पूरे दिन आनंद उठाते हैं.
1 अप्रैल को मनाए जाने वाले अप्रैल फूल दिवस को लोग एक दूसरे के साथ व्यावाहारिक हास परिहास और सामान्य तौर पर मजाकिया हरकतें करते हैं, ताकि सामने वाला व्यक्ति मूर्ख बनकर कुछ मूर्खतापूर्ण हरकत करे और वह हंसी का पात्र बन जाए. इस दिन मित्रों, परिजनों, रिश्तेदारों, शिक्षकों, पड़ोसियों, सहकर्मियों आदि के साथ अनेक तरह की हास्य विनोद बढ़ाने वाली हरकतें करके लोग आनंदित होते हैं. यह दिन व्यावहारिक परिहास को बढ़ाने के उद्देश्य से मनाया जाता है. जिसमें लोग आसानी से बेवकूफ बन जाते हैं और कभी कभी अनाड़ी लोग परेशान भी हो जाते हैं.
दुनिया के कई देशों में लीक से हटकर आयोजन किए जाते हैं. कई देशों में पारम्परिक तौर पर अखबार भी निकाले जाते हैं, जिसमें चटपटी और मजेदार खबरें होती हैं. न्यूज़ीलैण्ड, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों में इस प्रकार के परिहास के लिए दोपहर तक का समय फिक्स किया जाता है. उसके बाद लोग अपने रुटीन के कार्यों में जुट जाते हैं. ग्रेट ब्रिटेन के कई समाचारपत्र 1 अप्रैल को मनाए जाने वाले अप्रैल फूल दिवस पर मुख्य पृष्ठ पर विशेषांक भी निकालते हैं. इसके अतिरिक्त फ़्रांस, आयरलैण्ड, इटली, दक्षिण कोरिया, जापान, के साथ-साथ रूस, नीदरलैण्ड, जर्मनी, ब्राजील, कनाडा और अमेरिका जैसे देशों में जोक्स और हंसी मजाक का सिलसिला पूरे दिन चलता रहता है.
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