कोयंबटूर: आज देश में महिलाएं हर एक क्षेत्र में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने के साथ अपने नाम का परचम लहरा रही हैं. इसी बात को तमिलनाडु के पोल्लाची में रहने वाली शांति भी साबित करके दिखा रहीं हैं. दरअसल, 4 बच्चों की मां शांति शहर की सौ साल पुरानी नगर पालिका की पहली महिला ड्राइवर बनी हैं, लेकिन उनकी राह इतनी आसान भी नहीं थी.
यहां पोल्लाची के राजा मिल रोड की रहने वाली शांति के पति का सालों पहले देहांत हो गया था, जिससे उनके परिवार की जिम्मेदारी उन पर आ गई. इसके लिए शुरुआत में उन्होंने मजदूरी की, लेकिन उससे उन्हें इतनी आय नहीं होती थी की वे अपने 3 बेटियों और 1 बेटे का पालन पोषण कर सकें. इसके बाद उन्होंने ड्राइविंग सीखने की ठानी और बिना किसी की मदद से न सिर्फ ड्राइविंग सीखी बल्कि लाइसेंस भी हासिल किया. वहीं शांति के बारे में जानने के बाद नगर पालिका के चेयरमैन श्यामला नवनीतकृष्णन ने उन्हें नगर पालिका में ही ड्राइवर की नौकरी के विषय में पूछा जिसके बाद वे नगर पालिका कि पहली महिला ड्राइवर बनीं.
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इसपर बात करते हुए शांति ने बताया कि, 'मैंने अपने पति को खो दिया जिसके बाद चारों बच्चों की जिम्मेदारी अकेले मुझपर आ गई. जब घर चलाना मुश्किल हो गया तब मैनें खुद से ड्राइविंग सीखी. इसके बाद, मैं कोचिन, बेंगलुरु सहित अन्य जिलों में भी गाड़ी चलाई. मैं बिना किसी एक्सीडेंट के दस सालों से गाड़ी चला रही हूं और मैं कार के साथ भारी वाहन भी चला लेती हूं. कोरोना महामारी के समय मुझे काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा और घर के किराए और अन्य चीजों के लिए भी संघर्ष करना पड़ा. अब मैं पोल्लाची के नगर पालिका में काम करती हूं. उन्होंने यह संदेश देते हुए कहा कि महिलाओं को सभी क्षेत्रों में आगे आना चाहिए.'