Geeta Saar : जिस प्रकार वायुरहित स्थान में दीपक हिलता-डुलता नहीं उसी तरह जिस...
समाधि की आनंदमयी स्थिति में स्थापित मनुष्य कभी सत्य से विपथ नहीं होता और इस सुख की प्राप्ति हो जाने पर वह इससे बड़ा कोई दूसरा लाभ नहीं मानता. समाधि की आनंददायी स्थिति को पाकर मनुष्य किसी कठिनाई में भी विचलित नहीं होता. यह नि:संदेह भौतिक संसर्ग से उत्पन्न होने वाले दुःखों से वास्तविक मुक्ति है. मन अपनी चंचलता तथा अस्थिरता के कारण जहां कहीं भी विचरण करता हो, मनुष्य को चाहिए कि उसे वहां से खींचकर अपने वश में करे. योगाभ्यास के द्वारा सिद्धि या समाधि की अवस्था में मनुष्य का मन संयमित हो जाता है. तब मनुष्य शुद्ध मन से खुद को देख सकता है, अपने आप में ही आनंद उठा सकता है. Geeta Saar . Todays Motivational Quotes .