नमो भगवते वासुदेवाय : जिसका मन परमात्मा में स्थिर रहता है, वह निश्चय ही ...

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योगाभ्यास में निरंतर लगकर आत्मसंयमी योगी समस्त भौतिक कल्मष से मुक्त हो जाता है और भगवान की दिव्य प्रेम भक्ति में परम सुख प्राप्त करता है. जिस योगी का मन परमात्मा में स्थिर रहता है,वह निश्चय ही दिव्य सुख की सर्वोच्च सिद्धि प्राप्त करता है. मनुष्य को चाहिए कि मनोधर्म से उत्पन्न समस्त इच्छाओं को निरपवाद रूप से त्याग दे और मन के द्वारा सभी ओर से इन्द्रियों को वश में करे.मनुष्य को चाहिए कि मन के द्वारा सभी ओर से इन्द्रियो को वश में करे. Geeta Quotes . Geeta Sar. Thursday Motivational Quotes. Aaj Ki Prerna . Geeta Gyan .

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