उत्तराखंड में कारगर साबित होगा अर्ली वार्निंग सिस्टम? मौसम निदेशक ने उठाए सवाल - early warning system
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हिमालय की गोद में बसा उत्तराखंड अपने प्राकृतिक सुंदरता के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध है. यही वजह है कि हर साल देश-विदेश से लाखों पर्यटक देवभूमि में प्रकृति का अद्भूत नजारा देखने के लिए खींचे चले आते हैं, लेकिन एक ओर जहां कुदरत ने देवभूमि को प्राकृतिक सौंदर्य से नवाजा है, वहीं यहां कुदरत का कहर भी देखने को मिलता है. हिमालय क्षेत्र में होने के कारण उत्तराखंड बेहद संवेदनशील माना जाता है. जिसकी वजह से यहां हमेशा आपदा का खतरा बना रहता है. भूकंप, एवलॉन्च, बादल फटना हो या फिर प्रलयकारी बाढ़ इन सबसे हर साल देवभूमि में भारी जानमाल की क्षति होती है. ऐसे में आपदा से निपटने के लिए आपदा प्रबंधन विभाग एक नई टेक्नोलॉजी पर काम कर रहा है. जिसका नाम अर्ली वार्निंग सिस्टम है, जो आपदा की घड़ी में वक्त रहते अलर्ट कर देता है. जिसकी मदद से आपदा आने से पहले लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा जा सकेगा और इससे होने वाले भारी नुकसान को कम किया जा सकेगा. एक ओर जहां आपदा प्रबंधन विभाग आपदा से होने वाले नुकसान को रोकने के लिए अर्ली वार्निंग सिस्टम की रणनीति पर काम कर रहा है. वहीं, दूसरी ओर मौसम विभाग के निदेशक डॉ. विक्रम सिंह इस सिस्टम को उत्तराखंड के भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए इसे ज्यादा कारगर नहीं बता रहे हैं.