नई दिल्लीः चलती फिरती हुई आंखों से अजां देखी है, मैंने जन्नत तो नहीं देखी है मां देखी है. मां होना ही अपने आप में एक बड़ी जिम्मेदारी है. यह जिम्मेदारी और ज्यादा तब बढ़ जाती है, जब वह अकेले ही अपने बच्चों का लालन-पालन कर रही हो. उन्हें जिम्मेदारियों के साथ मुश्किलों और चुनौतियों की एक लंबी फेहरिस्त से जूझना पड़ता है. जैसा कि हम सभी जानते हैं कि एक बच्चे को अच्छी और सफल परवरिश देने में माता-पिता दोनों का ही योगदान होता है. लेकिन हम यह सोच कर भी डर जाते हैं कि यदि एक मां को अकेले ही बच्चे की परवरिश करनी पड़े तो उन्हें किस तरह की परिस्थितियों का सामना करना पड़ेगा ? ऐसी बहुत-सी सिंगल मदर्स हैं, जिन्होंने अकेले अपने दम पर बच्चों को पाला और काबिल बनाया है.
ETV भारत के साथ सिंगल माताओं ने अपने जज्बातों को साझा किया है. पिछले 20 साल से अकेले अपनी दो बेटियों को पालने वाली रीना ने बताया कि वह एक क्लिनिकल लैब में काम करती हैं. 20 साल पहले उनके पति का देहांत हो गया था. लेकिन उन्होंने खुद को कभी कमजोर नहीं पड़ने दिया. रीना ने बताया कि उन्होंने ने कभी अपनी बेटियों को इस बात का एहसास नहीं होने दिया कि उनके ऊपर से पिता का साया उठ गया है. उन्होंने अपनी विल पावर को मजबूत बनाते हुए अपनी बेटियों को माता-पिता दोनों का प्यार दिया.
पिता के न होने का एहसास बच्चों को न होने देंः रीना ने अपनी बड़ी बेटी की शादी बहुत धूमधाम से की. अब छोटी बेटी की शादी करने की तैयारियां कर रही हैं. उनका कहना है कि उस परेशानी के दौर में उन्होंने ईश्वर का अत्यंत सिमरण किया. आज वह एक सफल महिला होने के साथ अपने बच्चों के लिए एक आदर्श मां भी हैं. रीना उन सभी माताओं के लिए एक मिशाल हैं, जो अकेले अपने बच्चों को एक सफल जीवन दे रही हैं. रीना ने कहा कि हर ऐसी मां को अपनी विल पॉवर को स्ट्रांग रखने की जरूरत है, जो अकेले अपने बच्चों का ध्यान रखती हैं. उनका कहना है कि बच्चों को कभी इस बात का एहसास न होने दें कि उनके पिता अब उनके साथ नहीं हैं. बच्चों को हमेशा एक सफल जीवन के प्रति अग्रसर करना चाहिए.
कोई भी स्त्री चाहे वह तलाक की वजह से अकेली हुई हो या फिर पति की मौत या किसी और वजह से. उसके सामने सबसे बड़ी चुनौती आर्थिक स्थिति को मैनेज करने की होती है. आज के दौर में बच्चों को पढ़ाना, उनकी इच्छाओं को पूरा करना और फिर उनकी शादी करना ऐसी जिम्मेदारियां हैं, जिनको नकारा नहीं जा सकता है. ऐसी ही एक मां हैं संगीता सूरी. उनकी तीन बेटियां और एक बेटा है. जब उनके पति का देहांत हुआ उस दौरान उनकी आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर थी. उन्होंने दिन-रात सिलाई का काम कर अपने बच्चों को पाला.
मजदूर मां की तरफ बेटे के साथ खड़ी रहीः उन्होंने बताया कि पति के देहांत से पहले वह तीनों बेटियों की शादी कर चुकी थीं. लेकिन, बेटा उस समय 10वीं में पढ़ रहा था. बाद में पैसों की तंगी का सामना करना पड़ा. बेटे को ओपन स्कूल से 12वीं करवाया. लेकिन फिर भी उनकी परेशानियां लंबे समय तक बनी रहीं. बहुत कोशिश के बाद बेटे को नौकरी मिली. संगीता ने बताया कि उन्होंने बच्चों को कभी कमजोर नहीं पड़ने दिया. वह हमेशा एक मजदूर मां बन कर अपने बेटे के साथ खड़ी रहीं. आज उनका बेटा सफल जीवन जी रहा है. बेटे की नौकरी लगाने के बाद उन्होंने सिलाई का काम बंद कर दिया. अब वह अपने परिवार के साथ पूरा समय आनंद के साथ बिताती हैं.
भावनात्मक दवाब से मां मुश्किल में आ जाती हैंः बच्चों की परवरिश एक ऐसा मुद्दा है, जिसके लिए हर माता-पिता अपनी पूरी ताकत झोंक देते हैं. लेकिन एक सिंगल मदर को यह काम अकेले ही करना पड़ता है. जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते जाते हैं, वैसे-वैसे कई अलग-अलग तरह की मुश्किलें आने लगती हैं. यदि अकेली मां है, तो उन्हें भी इनसे भी दो-चार होना पड़ता है. चाहे फैसले बहुत बड़े न हों, जैसे बच्चे को किस स्कूल में जाना चाहिए या उसे क्या विषय पढ़ना चाहिए? कौन से दोस्त अच्छे हैं और कब बच्चा परिपक्व हो गया है, जैसे निर्णय मां को अकेले ही लेने होते हैं. इस तरह का भावनात्मक दबाव मां को खासी मुश्किल में डाल देता है.
उन मुश्किलों को चुनौती समझ कर उनका हल निकालना एक सिंगल मां बाखूबी जानती हैं. एक वर्किंग वीमेन भी कई बड़ी चुनौतियों का सामना करते हुए बच्चों को पालती है. लेकिन अगर ऐसी माताओं के साथ अनहोनी हो जाए, जिसकी वह कल्पना भी नहीं कर सकती, तो उनकी लिए संभलना आसान नहीं होता.
कहते हैं न एक मां अपने बच्चों के लिए भगवन से भी लड़ जाती है, लेकिन उनके ऊपर कभी परेशानियों की आंच तक नहीं आने देती. ETV भारत से बातचीत के दौरान 63 वर्षीय संगीता नागपाल ने बताया कि वह अपनी शादी के पहले से जॉब कर रही है. जब उनके बच्चे हुए तो भी जॉब जारी रखी, लेकिन 57 वर्ष की उम्र में उनके साथ एक ऐसा हादसा हुआ, जिसका उन्होंने एक मजबूत मां के रूप में सामना किया. दरअसल, एक बीमारी के चलते उनके पति की मृत्यु हो गई. इसके बाद उन्होंने अपनी जॉब और बच्चों की परवरिश को बाखूबी निभाया.
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स्पेशल फील कराने के लिए मां को गिफ्ट देंः उन्होंने कभी हिम्मत नहीं हारी और उनको एक सफल जिंदगी दी. संगीता ने बताया कि उनके बच्चे उनका बहुत आदर करते हैं. एक मां के लिए इससे बड़ी बात और कुछ नहीं हो सकती. जैसा कि आप जानते हैं, हर साल मई के दूसरे रविवार को दुनिया भर में मदर्स-डे मनाया जाता है. इस साल यह 14 मई 2023, रविवार के दिन मनाया जाएगा. अमेरिका, भारत, न्यूजीलैंड, कनाडा और कई देशों में इस पर्व को मई के दूसरे रविवार के दिन मनाया जाता है. वहीं कुछ देशों में मदर्स-डे को मार्च के महीने में मनाया जाता है. आजकल भाग दौड़ भरी जिंदगी में बहुत से लोग अपनी मां के लिए वक्त नहीं निकाल पाते और ना ही उनसे मिल पाते हैं. तो मदर्स डे के दिन सभी बच्चे अपनी मां को स्पेशल फील कराने के लिए अलग-अलग गिफ्ट दे सकते हैं. फूल और अन्य सामान देकर अपनी मां को स्पेशल फील करा सकते हैं.
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नई दिल्लीः चलती फिरती हुई आंखों से अजां देखी है, मैंने जन्नत तो नहीं देखी है मां देखी है. मां होना ही अपने आप में एक बड़ी जिम्मेदारी है. यह जिम्मेदारी और ज्यादा तब बढ़ जाती है, जब वह अकेले ही अपने बच्चों का लालन-पालन कर रही हो. उन्हें जिम्मेदारियों के साथ मुश्किलों और चुनौतियों की एक लंबी फेहरिस्त से जूझना पड़ता है. जैसा कि हम सभी जानते हैं कि एक बच्चे को अच्छी और सफल परवरिश देने में माता-पिता दोनों का ही योगदान होता है. लेकिन हम यह सोच कर भी डर जाते हैं कि यदि एक मां को अकेले ही बच्चे की परवरिश करनी पड़े तो उन्हें किस तरह की परिस्थितियों का सामना करना पड़ेगा ? ऐसी बहुत-सी सिंगल मदर्स हैं, जिन्होंने अकेले अपने दम पर बच्चों को पाला और काबिल बनाया है.
ETV भारत के साथ सिंगल माताओं ने अपने जज्बातों को साझा किया है. पिछले 20 साल से अकेले अपनी दो बेटियों को पालने वाली रीना ने बताया कि वह एक क्लिनिकल लैब में काम करती हैं. 20 साल पहले उनके पति का देहांत हो गया था. लेकिन उन्होंने खुद को कभी कमजोर नहीं पड़ने दिया. रीना ने बताया कि उन्होंने ने कभी अपनी बेटियों को इस बात का एहसास नहीं होने दिया कि उनके ऊपर से पिता का साया उठ गया है. उन्होंने अपनी विल पावर को मजबूत बनाते हुए अपनी बेटियों को माता-पिता दोनों का प्यार दिया.
पिता के न होने का एहसास बच्चों को न होने देंः रीना ने अपनी बड़ी बेटी की शादी बहुत धूमधाम से की. अब छोटी बेटी की शादी करने की तैयारियां कर रही हैं. उनका कहना है कि उस परेशानी के दौर में उन्होंने ईश्वर का अत्यंत सिमरण किया. आज वह एक सफल महिला होने के साथ अपने बच्चों के लिए एक आदर्श मां भी हैं. रीना उन सभी माताओं के लिए एक मिशाल हैं, जो अकेले अपने बच्चों को एक सफल जीवन दे रही हैं. रीना ने कहा कि हर ऐसी मां को अपनी विल पॉवर को स्ट्रांग रखने की जरूरत है, जो अकेले अपने बच्चों का ध्यान रखती हैं. उनका कहना है कि बच्चों को कभी इस बात का एहसास न होने दें कि उनके पिता अब उनके साथ नहीं हैं. बच्चों को हमेशा एक सफल जीवन के प्रति अग्रसर करना चाहिए.
कोई भी स्त्री चाहे वह तलाक की वजह से अकेली हुई हो या फिर पति की मौत या किसी और वजह से. उसके सामने सबसे बड़ी चुनौती आर्थिक स्थिति को मैनेज करने की होती है. आज के दौर में बच्चों को पढ़ाना, उनकी इच्छाओं को पूरा करना और फिर उनकी शादी करना ऐसी जिम्मेदारियां हैं, जिनको नकारा नहीं जा सकता है. ऐसी ही एक मां हैं संगीता सूरी. उनकी तीन बेटियां और एक बेटा है. जब उनके पति का देहांत हुआ उस दौरान उनकी आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर थी. उन्होंने दिन-रात सिलाई का काम कर अपने बच्चों को पाला.
मजदूर मां की तरफ बेटे के साथ खड़ी रहीः उन्होंने बताया कि पति के देहांत से पहले वह तीनों बेटियों की शादी कर चुकी थीं. लेकिन, बेटा उस समय 10वीं में पढ़ रहा था. बाद में पैसों की तंगी का सामना करना पड़ा. बेटे को ओपन स्कूल से 12वीं करवाया. लेकिन फिर भी उनकी परेशानियां लंबे समय तक बनी रहीं. बहुत कोशिश के बाद बेटे को नौकरी मिली. संगीता ने बताया कि उन्होंने बच्चों को कभी कमजोर नहीं पड़ने दिया. वह हमेशा एक मजदूर मां बन कर अपने बेटे के साथ खड़ी रहीं. आज उनका बेटा सफल जीवन जी रहा है. बेटे की नौकरी लगाने के बाद उन्होंने सिलाई का काम बंद कर दिया. अब वह अपने परिवार के साथ पूरा समय आनंद के साथ बिताती हैं.
भावनात्मक दवाब से मां मुश्किल में आ जाती हैंः बच्चों की परवरिश एक ऐसा मुद्दा है, जिसके लिए हर माता-पिता अपनी पूरी ताकत झोंक देते हैं. लेकिन एक सिंगल मदर को यह काम अकेले ही करना पड़ता है. जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते जाते हैं, वैसे-वैसे कई अलग-अलग तरह की मुश्किलें आने लगती हैं. यदि अकेली मां है, तो उन्हें भी इनसे भी दो-चार होना पड़ता है. चाहे फैसले बहुत बड़े न हों, जैसे बच्चे को किस स्कूल में जाना चाहिए या उसे क्या विषय पढ़ना चाहिए? कौन से दोस्त अच्छे हैं और कब बच्चा परिपक्व हो गया है, जैसे निर्णय मां को अकेले ही लेने होते हैं. इस तरह का भावनात्मक दबाव मां को खासी मुश्किल में डाल देता है.
उन मुश्किलों को चुनौती समझ कर उनका हल निकालना एक सिंगल मां बाखूबी जानती हैं. एक वर्किंग वीमेन भी कई बड़ी चुनौतियों का सामना करते हुए बच्चों को पालती है. लेकिन अगर ऐसी माताओं के साथ अनहोनी हो जाए, जिसकी वह कल्पना भी नहीं कर सकती, तो उनकी लिए संभलना आसान नहीं होता.
कहते हैं न एक मां अपने बच्चों के लिए भगवन से भी लड़ जाती है, लेकिन उनके ऊपर कभी परेशानियों की आंच तक नहीं आने देती. ETV भारत से बातचीत के दौरान 63 वर्षीय संगीता नागपाल ने बताया कि वह अपनी शादी के पहले से जॉब कर रही है. जब उनके बच्चे हुए तो भी जॉब जारी रखी, लेकिन 57 वर्ष की उम्र में उनके साथ एक ऐसा हादसा हुआ, जिसका उन्होंने एक मजबूत मां के रूप में सामना किया. दरअसल, एक बीमारी के चलते उनके पति की मृत्यु हो गई. इसके बाद उन्होंने अपनी जॉब और बच्चों की परवरिश को बाखूबी निभाया.
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स्पेशल फील कराने के लिए मां को गिफ्ट देंः उन्होंने कभी हिम्मत नहीं हारी और उनको एक सफल जिंदगी दी. संगीता ने बताया कि उनके बच्चे उनका बहुत आदर करते हैं. एक मां के लिए इससे बड़ी बात और कुछ नहीं हो सकती. जैसा कि आप जानते हैं, हर साल मई के दूसरे रविवार को दुनिया भर में मदर्स-डे मनाया जाता है. इस साल यह 14 मई 2023, रविवार के दिन मनाया जाएगा. अमेरिका, भारत, न्यूजीलैंड, कनाडा और कई देशों में इस पर्व को मई के दूसरे रविवार के दिन मनाया जाता है. वहीं कुछ देशों में मदर्स-डे को मार्च के महीने में मनाया जाता है. आजकल भाग दौड़ भरी जिंदगी में बहुत से लोग अपनी मां के लिए वक्त नहीं निकाल पाते और ना ही उनसे मिल पाते हैं. तो मदर्स डे के दिन सभी बच्चे अपनी मां को स्पेशल फील कराने के लिए अलग-अलग गिफ्ट दे सकते हैं. फूल और अन्य सामान देकर अपनी मां को स्पेशल फील करा सकते हैं.
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