Tihar Jail: हत्या, नशा और रंगदारी का खेल, क्या यही है तिहाड़ जेल?
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नई दिल्ली: एशिया की सबसे बड़ी और सबसे सुरक्षित मानी जाने वाली तिहाड़ जेल में पिछले कुछ समय में हुई घटनाओं ने इसकी सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोल दी है. पिछले दिनों जेल में हुई गैंगस्टर टिल्लू ताजपुरिया की हत्या और उसके बाद उसके सीसीटीवी फुटेज जिस तरह से लीक हुए उससे यह जगजाहिर हो गया है कि तिहाड़ जेल में सुरक्षा व्यवस्था बस कागजी है. हाल में हुई कुछ घटनाओं से साबित हो गया है कि यहां पर पैसे और पद के रसूख के आगे कानून व्यवस्था बौनी है.
मनी लांड्रिंग के मामले में जेल में बंद दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन के मसाज कराते और वीवीआइपी ट्रीटमेंट लेते वीडियो से भी तिहाड़ जेल की व्यवस्था पर सवाल उठ चुके हैं. ऐसे में तिहाड़ जेल अब पैसा और रसूख वाले लोगों के लिए आरामगाह बन गया है. जेल में देशभर के कुख्यात अपराधी और गैंगस्टर बंद हैं. टिल्लू ताजपुरिया से पहले गैंगस्टर प्रिंस तेवतिया और अंकित गुर्जर की भी जेल में हत्या हो चुकी है. यह हाल तब है जब सुरक्षा के लिहाज से जेल के वार्डों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है. इनमें जनरल वार्ड, स्पेशल सिक्योरिटी वार्ड व हाई रिस्क सिक्योरिटी वार्ड शामिल हैं.
गैंगवार के कारण लगा जेल की साख पर बट्टा: पिछले कुछ सालों के दौरान तिहाड़ जेल में गैंगवार और कैदियों के बीच झड़प बढ़ी है. इससे इसकी साख पर बट्टा लगा है. जेल में बंद गैंगस्टर और उनके साथी जेल के अंदर और बाहर अपना खौफ कायम रखने के लिए समय-समय पर वारदात करते रहते हैं. अब इसे जेल अधिकारियों की मिलीभगत कहें या उनकी लापरवाही, दोनों ही दशा में सवाल उन्हीं पर उठते हैं.
जेल के अंदर रहते हुए गैंगस्टर जेल के बाहर अपने गैंग संचालित करते रहते हैं. इसके लिए वह मोबाइल फोन का भी धड़ल्ले से इस्तेमाल करते हैं. मोबाइल के जरिए अपराध करने की साजिश रचते हैं और अपने गिरोह के लोगों से बात करते हैं. पिछले साल एक कैदी के पेट में 5 मोबाइल मिलने की घटना ने तो लोगों को हैरत में डाल दिया था. कैदी स्मगलिंग कर जेल के अंदर दूसरे कैदियों को बेचने के लिए मोबाइल लाया था लेकिन पेट से फोन निकाल नहीं पाया. पेट दर्द होने पर डॉक्टरों ने ऑपरेशन कर कैदी के पेट से फोन निकाले.
तिहाड़ में होती है नशीले पदार्थों की स्मगलिंग: तिहाड़ जेल में नशीले पदार्थों की स्मगलिंग भी खूब होती है. यहां ड्रग्स, चरस, गांजा, तंबाकू जेल के अंदर लाने के लिए कैदी तरह तरह के हथकंडे अपनाते हैं. यह नशीले पदार्थ जेल के अंदर बंद कैदियों को महंगे दामों पर बेचते हैं. पिछले साल तिहाड़ की जेल नंबर-3 में एक कैदी ने स्पीड पोस्ट से कपड़े के बहाने चरस और तंबाकू मंगवाया था. शक होने पर जेल अधिकारियों ने तलाशी ली तो उसमें कपड़ों के साथ ही नशीले पदार्थ भी मिले.
रसूख के साथ ही बर्बरता की कहानियों ने भी लोगों को झकझोरा: तिहाड़ जेल में सिर्फ रसूख ही नहीं बर्बरता का मामला भी बीच-बीच में आता रहता है. जेल में बंद गैंगस्टर अंकित गुर्जर के साथ भी ऐसा ही हुआ था. अगस्त 2021 में अंकित गुर्जर की संदिग्ध हालत में मौत हो गई थी. उसके रिजनों ने जेल अधिकारियों पर अंकित के साथ बर्बरता का आरोप लगाया था.
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में परिजनों के आरोप कि पुष्टि हुई तो तिहाड़ जेल नंबर 3 के डिप्टी जेलर नरेंद्र कुमार मीणा सहित जेल कर्मचारी राम अवतार मीणा, दिनेश छिकारा, हरफूल मीणा, विनोद कुमार मीणा और दीपक डबास सहित छह लोगों पर अंकित की पीटकर हत्या करने का मामला दर्ज किया गया था.
सत्येंद्र जैन के वीडियो से कटघरे में पहुंच गया था जेल प्रशासन: मनी लांड्रिंग के मामले में जेल में बंद दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन को मिल रही सुख-सुविधाओं के कई वीडियो जब पिछले साल वायरल हुए तो जेल की व्यवस्थाओं पर सवाल उठने लगे. भाजपा ने इसे बड़ा मुद्दा भी बनाया.अब गैंगस्टर टिल्लू ताजपुरिया की हत्या के वीडियो भी एक-एक कर सामने आ रहे हैं. इनमें साफ दिख रहा है कि टिल्लू ताजपुरिया की हत्या कई लोगों के सामने ही की गई.
एक वीडियो में तो यहां तक दिख रहा है पुलिस के सामने ही टिल्लू ताजपुरिया पर हमला हुआ, लेकिन पुलिस और जेल के सुरक्षाकर्मी तमाशबीन बने रहे. अब सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि जेल प्रशासन की मिलीभगत के बिना यह वीडियो कैसे हुए. कहा तो यहां तक जा रहा है कि गोगी गिरोह ने जानबूझकर यह वीडियो लीक करवाए हैं ताकि जेल के अंदर और बाहर उसका खौफ कायम रहे.
महाठग सुकेश ने जेल में मौज मस्ती के लिए दिया था करोड़ों: मंडोली जेल में बंद देश के महाठग सुकेश चंद्रशेखर ने जेल में मौज मस्ती से रहने की एवज में अधिकारियों को करोड़ों रुपए की रिश्वत दी थी. उसकी मदद करने वाले 80 से अधिक अधिकारियों पर कार्रवाई भी हुई है. फरवरी में जब मंडोली जेल में उसकी सेल में छापेमारी की गई तो सुकेश चंद्रशेखर के पास से करीब डेढ़ लाख की कीमत वाली ब्रांडेड स्लीपर और 80 हजार रुपये की कीमत वाली दो जींस मिली थीं. इसके अलावा उसके पास से लाखों रुपए के ऐसे सामान मिले जो एक कैदी को रखने की अनुमति नहीं होती है.
सीसीटीवी कैमरों की 24 घंटे की जाए निगरानी: एडवोकेट एलएन राव
दिल्ली पुलिस के रिटायर्ड डीसीपी एवं एडवोकेट एलएन राव ने बताया कि दिल्ली की जेलों में कैदियों को अगर इस तरह की चीजें और सुख सुविधाएं मुहैया करवाई जा रही हैं तो इससे लोगों में गलत संदेश जाता है. साथ ही कानून व्यवस्था पर भी सवाल उठते हैं. उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों की सख्ती से जांच की जानी चाहिए और यह स्पष्ट रूप से पता किया जाना चाहिए कि इसमें जेल अधिकारियों की मिलीभगत है या लापरवाही. उन्होंने कहा कि दिल्लू ताजपुरिया की हत्या के बाद जेल के सीसीटीवी के दो वीडियो वायरल हुए जिनमें यह साफ दिख रहा है कि जेल में अव्यवस्था और लापरवाही है.
इससे पूरी दुनिया में भारत की बदनामी हुई है. ऐसी घटनाओं से बड़े अपराधियों में भी यह गलत संदेश जाता है कि सजा मिलने के बाद भी वह जेल में मौज मस्ती से रह सकते हैं. एडवोकेट राव ने कहा कि जेल में सीसीटीवी कैमरे लगे जरूर हैं, लेकिन इनकी निगरानी ठीक से नहीं होती है. कंट्रोल रूम में सीसीटीवी कैमरों की लगातार निगरानी की जाती तो टिल्लू ताजपुरिया के हत्यारे जेल में ग्रिल से हथियार नहीं बना पाते. जब वह बेडशीट लटकाकर नीचे कूदे थे तभी उन्हें रोका जा सकता था, लेकिन वीडियो देखकर ऐसा लग रहा है कि कैमरों की निगरानी की ही नहीं जाती. वह सिर्फ दिखावे के लिए लगा दिए गए हैं.
वहीं, सुरक्षाकर्मियों के सामने टिल्लू ताजपुरिया पर दोबारा हमला किया जाना तो और वीभत्स है. वीडियो में साफ दिख रहा है कि टिल्लू पर हमला के दौरान मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें रोकने की कोशिश नहीं की. ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए जेल की सुरक्षा व्यवस्था की नई सिरे से समीक्षा की जाए और सीसीटीवी कैमरा की संख्या बढ़ाई जाए. इसके साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाए कि सीसीटीवी कैमरों की 24 घंटे निगरानी हो ताकि इस तरह की कोई भी घटना घटित होने से पहले उसे रोका जा सके.
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