Marriage of Trees : जानें, कहां प्रकृति प्रेमियों ने करायी बरगद और पीपल की शादी

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शादी समारोह के माहौल के बीच पारंपरिक बैंड-बाजे की गुंज और पुजारी के मंत्रोच्चारण. ऐसा ही कुछ माहौल था ओडिशा के कोरापुट में एक अनोखी शादी के दौरान. यह शादी अनोखी इसलिए थी, क्योंकि यहां दूल्हा-दुल्हन बनकर मंडप पर बैठे लड़का-लड़की नहीं, बल्कि दो पेड़ थे. जी हां, कोरापुट जिले के कोलाब जलाशय के पास नुआ पुकी गांव में दो पेड़ों की शादी करायी गई. यहां पीपल का पेड़ दूल्हा और बरगद का पेड़ दुल्हन बने थे. विवाह कराने वाले पुरोहित भगवान रथ ने बताया कि मनु पराशर के शास्त्रों में बरगद और पीपल के पेड़, जिन्हें पवित्र वृक्ष माना जाता है, के बीच विवाह की प्रथा का वर्णन है. यह भी कहा गया है कि इन पेड़ों के फल देने से पहले इन दोनों पेड़ों की शादी होनी चाहिए. वहीं, यहां के प्रकृति प्रेमी आदिवासियों का मानना है कि शास्त्रों के अनुसार इस तरह के विवाह से उनकी इच्छा पूरी होती है. वे हरे-भरे रहते हैं और फलते-फुलते हैं. इस बारे में नुआ पुकी विलेज स्कूल के शिक्षक जयराम सुना के अनुसार, समुदाय के लोगों की यह धारणा थी कि शास्त्रों के अनुसार, इस तरह के विवाह से ग्रामीणों की इच्छा पूरी होती है, जो कि प्रकृति को अपने जीवन का आधार मानते हैं. इसलिए इसी मान्यता को ध्यान में रखते हुए 2013 में जिस गांव में कोई मंदिर नहीं था, वहां गांव के एक स्कूल के सामने बरगद का पेड़ और एक पीपल का पेड़ लगाया गया. तब से गांव वालों ने इन दोनों पेड़ों की देखभाल दो प्यारे बच्चों की तरह की. शिक्षक सुना ने बताया कि तब गांव के वरिष्ठ नागरिक मदन खिला ने खुद को इन दो पेड़ों की सेवा में समर्पित कर दिया.

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