हॉकी के 'पहले खेल रत्न' धनराज पिल्लै : खिलाड़ियों के उत्पादों का प्रचार करने पर की थी तल्ख टिप्पणी
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अलग-अलग खेलों के आयोजनों में पैसों का खर्च भी अलग-अलग होता है. बदलते समय के साथ खिलाड़ियों को कई ब्रांड के लिए प्रचार करते भी देखा जाता है. भारत में अक्सर क्रिकेट और इसे खेलने वाले खिलाड़ी सुर्खियों में रहते हैं. अन्य खेलों के खिलाड़ी भी सुर्खियां बटोरते हैं, लेकिन क्रिकेट और हॉकी के संदर्भ में देखें तो फर्क साफ नजर आता है. चार बार के ओलंपियन और दिग्गज हॉकी खिलाड़ी धनराज पिल्लै भी मानते हैं कि खिलाड़ियों को उत्पादों का प्रचार करना चाहिए, लेकिन इसमें अति नहीं होनी चाहिए. वर्षों पहले ईटीवी के साथ बात करते हुए धनराज ने यह टिप्पणी श्रीलंकाई क्रिकेट टीम के हाथों भारत को मिली हार के बाद की थी. इसके अलावा उन्होंने सौरव गांगुली और उनकी तुलना किए जाने से भी इनकार किया था. यह बात आज प्रासंगिक इसलिए है क्योंकि केंद्र सरकार ने राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार का नाम हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले मेजर ध्यानचंद के नाम पर रखने का एलान किया है. ऐसे में हॉकी में देश को अलग पहचान दिलाने वाले धनराज पिल्लै, जो राजीव गांधी खेल रत्न हासिल करने वाले देश के पहले हॉकी खिलाड़ी हैं. उन्हें लगभग 20 साल पहले यह अवॉर्ड मिला था.