Positive Bharat Podcast: लौंगी भुइयां के संघर्ष की कहानी, 30 साल के कठिन परिश्रम के बाद खोद डाली नहर - खोद डाली नहर
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कौन कहता है आसमां में सुराख हो नहीं सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों. बिहार के रहने वाले दशरथ मांझी के नाम से आप सभी भलीभांति वाकिफ होंगे, वही दशरथ मांझी जिन्होंने एक पहाड़ को काट कर सड़क बना दी थी. इस कारण आज दुनिया भर में वह माउंटेन मैन नाम से भी प्रसिद्ध हैं. लेकिन आज के पॅाडकास्ट में हम मांझी की नहीं, बल्कि उसी गया जिला से ताल्लुकात रखने वाले एक बुजुर्ग लौंगी भुइंया की कहानी सुनेंगे, जिन्होंने बहुत हद तक मांझी जैसा ही कारनामा कर दिखाया. पटना से लगभग 200 किमी दूर गया जिले के बाकें बाजार प्रखंड के लोगों का मुख्य पेशा कृषि है, लेकिन यहां के लोग सिंचाई का साधन न होने के चलते धान और गेहूं की खेती नहीं कर पाते थे. इस वजह से यहां का युवा वर्ग मजबूरी में काम की तलाश में बाहर के जिलों और राज्यों में पलायन करने लगा था. लेकिन गांव के लौंगी भुइंया जानते थे कि ऐसा सिर्फ तभी किया जा सकता है, जब गांव में खेती के संसाधन मौजूद हो.ऐसे में गांव में पानी की किल्लत के चलते खेती-बाड़ी दूर-दूर तक संभव नहीं थी. लौंगी भुइंया फिर एक बार सोच में पड़ गए, तभी एक दिन अपने गांव से सटे बंगेठा पहाड़ पर बकरी चराते हुए उन्हें यह ख्याल आया कि अगर गांव की इस पानी की परेशानी को खत्म कर दिया जाए, तो शायद भारी मात्रा में हो रहा यह पलायन रुक सकता है, फसल उगाई जा सकती है और घर में रह कर ही अपने परिवार का अच्छे तरीके से भरण-पोषण किया जा सकता है. लौंगी भुइंया ने गौर किया कि बरसात के दिनों में बारिश तो होती है, मगर सारा पानी बंगेठा पहाड़ के बीच में ठहर जाता है. उन्हें इससे उम्मीद की रोशनी दिखी, जिसके बाद पूरे इलाके में घूम कर लौंगी भुइंया ने पहाड़ पर ठहरे पानी को खेत तक ले जाने का नक्शा तैयार किया और फिर जुट गए पहाड़ को काट कर नहर बनाने के काम में, लौंगी भुइंया ने अकेले फावड़ा चला कर 3 किमी लंबी 5 फीट चोड़ी और 3 फीट तक गहरी नहर बना दी. इसे करने में उन्हें पूरे 30 साल का वक्त लगा, लेकिन अंत में भुइंया ने पहाड़ के पानी को गांव के सूखे तालाबों तक पहुंचा दिया और गांव की हरी फसलों और लोगों को नया जीवन दिया.