बच्चे का जन्म उसकी माता के लिए भी दूसरा जन्म माना जाता है. गर्भावस्था के नौ महीने और उसके बाद बच्चे के जन्म की प्रक्रिया माता के शरीर को शारीरिक व दिमागी तौर पर कमजोर बना देती है. ऐसे में योग आसन उनकी काफी मदद कर सकते हैं. नई माताओं के लिए उपयोगी योगाभ्यासों के बारे में विमल योग की संस्थापक तथा एमए योगाचार्य, योग विशेषज्ञ रिंकी आर्या ने विशेष जानकारियां ETV भारत सुखीभवा की टीम के साथ साझा की.
कौन से योगासन कर सकते हैं मदद
योगाचार्य रिंकी आर्या बताती हैं कि ऐसी महिलाएं, जिन्होंने हाल ही में शिशु को जन्म दिया हो, उनके लिए योग बहुत मददगार साबित हो सकता है. शरीर की थकान दूर कर स्फूर्ति लाने, कमर दर्द, कंधों तथा शरीर के अन्य हिस्सों में होने वाले दर्द से आराम देने, शरीर में रक्त संचार बनाने तथा शरीर को स्वस्थ रखने में योग आसन बहुत मदद करते हैं.
लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि जब भी आसनों का अभ्यास प्रारंभ किया जाए वह किसी प्रशिक्षित व्यक्ति के दिशा निर्देशन में ही होना चाहिए. जच्चाओं के लिए उपयोगी कुछ आसन इस प्रकार है.
1. मार्जरी आसन
- मार्जरी आसन का नाम मार्जार शब्द पर रखा गया है, जिसका मतलब होता है बिल्ली.
- इस आसन में अपने घुटनों और हाथों के बल बैठ जाएं. अब अपनी सांस को छोड़ते हुए सिर को छाती की तरफ ले जाएं और पीठ को बिल्ली की तरह उपर की तरफ खींचे. इससे मुद्रा में पीठ के उपरी हिस्से में खिंचाव आएगा.
- अब गहरी सांस लेते हुए सिर को आसमान की तरफ ले जाएं और उपरी कमर को अंदर की तरफ गोलाई में खिंचने का प्रयास करें.
- इस आसन से पीठ और गर्दन में खिंचाव आता है और रीढ़ की हड्डी और पेट के अंगों को फायदा पहुंचाता है. यह आसन दमा और पीठ दर्द में फायदा पहुंचाता है.
2. सलंब भुजंगासन
- यह भुजंगासन का संशोधित रूप है और उन लोगों के लिए अच्छा है, जिनकी कमर के निचले हिस्से में दर्द होता है. यह आसन शरीर में रक्त का संचार करता है, पेट के अंगों में खिंचाव लाता है, साथ ही तनाव से भी राहत दिलाता है.
- इस आसन में पेट के बल लेट जाएं, और पैरों को फर्श पर सामानान्तर रखें. पांव तथा एड़ी एक दूसरे से जुड़ी होनी चाहिए.
- हाथों को आगे की तरफ रखें और हथेलियां जमीन पर हो. अब गहरी सांस लेते हुए पहले सिर, फिर छाती और फिर पेट को उपर आसमान की तरफ खींचे.
- ध्यान रहे की नाभि जमीन पर ही टिकी रहनी चाहिए. सांस छोड़ते हुए वापस अपने धड़ के अग्रभाग को पहले वाली अवस्था में लेकर आएं.
3. गरुडासन
- गरुडासन शरीर का संतुलन बढ़ाता है, पैरों की मांसपेशियो को मजबूत बनाता है तथा कटिस्नायूशूल यानि स्याटिका तथा गठिया में लाभदायक होता है.
- इस आसन को करने के लिए पहले ताड़ासन में खड़े हो जाएं. फिर अपने घुटनों को थोड़ा मोड़े तथा बाएं पैर को उठाकर दाएं पैर पर घुमा लें. ध्यान रहे की बाएं पैर पर उंगलियां जमीन की तरफ होनी चाहिए.
- अब दोनों हाथों को सामने की ओर लाएं तथा कोहनियों को 90 डिग्री में उपर की ओर क्रोस करते हुए इस तरह मोड़े कि दोनों हथेलियों में नमस्कार जैसी मद्रा बन जाए.
- इसी अवस्था में कुछ क्षण गहरी सांस लेते हुए खड़े रहें. फिर धीरे-धीरे पहली अवस्था में वापस आ जाए. अब दूसरे पैर और हाथ को घुमाते हुए यही प्रक्रिया दोहराएं.
4. सेतुबंध आसन
- सेतुबंध आसन मेटाबॉलिज्म सुधारता है. बेचैनी, थकान, कमर दर्द, सिर दर्द तथा नींद न आने जैसी बीमारियों में फायदेमंद है. तथा रीढ़ की हड्डी को मजबूत बनाता है.
- इस आसन में पीठ के बल लेट जाएं. सांसों को सामान्य रखते हुए अपने हाथों को बगल में रखें.
- अब अपने घुटनों को मोड़ें और पैरों को नितंबों के समीप ले आएं.
- अब गहरी सांस लेकर नितंब यानि अपने हिप्स को जितना हो सके फर्श से उपर की ओर हवा में उठाएं. हाथ जमीन पर ही रहना चाहिए.
- कुछ क्षण सांस रोककर इसी अवस्था में रहें और फिर सांस छोड़ते हुए वापस पुरानी अवस्था में वापस आएं.
5. उत्थित त्रिकोणासन
- उत्थित त्रिकोणासन पैरों, जांघों और टखनों में खिंचाव लाता है. कमर दर्द से राहत दिलाता है तथा तनाव से छुटकारा दिलाने में मदद करता है.
- इस आसन के लिए ताड़ासन में खड़े हो जाएं. सांस अंदर लें और अपने दोनों पैरों के बीच दूरी बनाएं.
- अब इसी अवस्था में पहले दोनों पैरों के पंजों को बायीं दिशा में मोड़े. अब अपने हाथों को कंधों के सीध में खोलें.
- अब सांस छोड़ते हुए अपने धड़ को बायीं ओर नीचे की ओर मोड़े तथा बाएं हाथ से ही बाएं पंजे को छूने की कोशिश करें. ध्यान रहे की इस प्रक्रिया में आपका कूल्हा सीधा रहना चाहिए.
- कुछ समय पश्चात वापस पहले वाली अवस्था में आएं फिर ये प्रक्रिया दूसरी दिशा में दोहराएं.