आमतौर पर पचास की उम्र तक पहुंचते पहुंचते लोगों के शरीर में कैल्शियम तथा अन्य पोषक तत्वों की कमी, व्यायामों के अभाव तथा सुस्त जीवनशैली के चलते कई प्रकार की समस्याएं आने लगती हैं.लेकिन जानकार और चिकित्सक मानते हैं जरूरी पोषक आहार तथा नियमित योग से इन समस्याओं का काफी हद तक कम किया जा सकता है.
इंदौर की योग प्रशिक्षक मधू वर्मा बताती हैं की नियमित योग हर उम्र में हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करती हैं. बशर्ते योग का अभ्यास किसी प्रशिक्षित शिक्षक के निर्देशन में किया जाय. साथ ही पौष्टिक और संतुलित मात्रा में आहार का सेवन किया जाय , जिससे शरीर में सभी जरूरी पोषक तत्वों की आपूर्ति हो सके.
अपने विशेषज्ञों की सलाह के आधार पर ETV भारत सुखीभवा अपने पाठकों के साथ साँझा कर रहा कुछ ऐसे योग आसनों के बारें में जानकारी जो हमारे पाचन को बेहतर करने में मदद कर सकते हैं साथ ही कमर दर्द तथा अन्य संबंधित समायाओं में राहत दिल सकते हैं.
पश्चिमोत्तानासन
पश्चिमोत्तानासन गैस और कब्ज से राहत दिलाने में मदद करता है और पेट की चर्बी को भी कम करता है. बुजुर्ग लोग इस आसन को धीरे-धीरे बगैर शरीर पर जोर डालते हुए कर सकते हैं.
- अपने पैरों को अपने सामने और अपने हाथों को अपनी तरफ बढ़ाते हुए फर्श पर बैठकर शुरू करें.
- सुनिश्चित करें कि आपकी रीढ़ सीधी रहे. अब, अपनी छाती के सामने अपनी बाहों को सीधे रखें और सांस लें.
- अपनी पीठ को आगे बढ़ाएं और अपने कूल्हों से आगे झुकें और अपने पैर की उंगलियों को पकड़ने की कोशिश करें.
- लगभग एक मिनट के लिए इस स्थिति में रहें और मूल स्थिति में लौट आएं.
त्रिकोणासन
त्रिकोणासन को बुजुर्ग बहुत ही आसानी से कर सकते हैं. यह आसन उन्हे आमतौर पर होने वाली परेशानियों जैसे कूल्हों की दिक्कत व दर्द को दूर करने में मदद करने के साथ रक्त चाप को भी सामान्य रखने में मदद करता है.
- इस आसन को करने के लिए अपने पैरों को कंधों के जितना खोल कर आराम से आप खड़े हो जाएं.
- पैर खोल कर खड़े होने के बाद दाएं पंजे को थोड़ा बाहर की तरफ ले जाएं और बाएं पंजे को अंदर की तरफ करें.
- अब दोनों हाथों को दोनों तरफ कंधे की सीध में अच्छी तरह से फैला लें.
- इतना करने के बाद एक लंबी गहरी सांस लें और उसके बाद सांस को बाहर की तरफ छोड़ते हुए सिर और कमर को सामान्य रखते हुए कूल्हों की तरफ से दाई तरफ झुकें और दाएं हाथ की उंगली को तलवे के पास लगाने की कोशिश करें.
- ऐसा करने के बाद सांस लेते हुए दोबारा से अपनी उसी अवस्था में लौट आए. इसके बाद दूसरी तरफ से भी यही प्रक्रिया दोहराएं.
कटिचक्रासन
बढ़ती उम्र में कटिचक्रासन आसन जरूर करना चाहिए क्योंकि यह शरीर को सीधा रखने में बहुत ही मदद करता है. इस आसन को करने से हमारी रीढ़ की हड्डी बिल्कुल सीधी रहती है. और कमर घुटनों और मांसपेशियों के दर्द में राहत मिलती है.
- इस आसन को करने के लिए सबसे पहले अपने पैरों को थोड़ा सा खोलकर आराम से खड़े हो जाएं.
- इसके बाद अपने हाथों को कंधे की सीध में रखते हुए सामने की तरफ फैला लें.
- ऐसा करने के बाद लंबी और गहरी सांस लें और सांस छोड़ते हुए जितना हो सके अपनी कमर को दायीं तरफ ले जाएं और सिर को दाएं कंधे की तरफ झुकाएं.
- इसके बाद सांस लेते हुए पिछली वाली अवस्था में आ जाएं और फिर इस प्रक्रिया को दूसरी तरफ इसी तरह से दोहराएं.
बद्धकोणासन
यह आसन बुजुर्गों के लिए बहुत ही ज्यादा फायदेमंद साबित हो सकता है. यह उनके शरीर में लचक तथा एक्टिव बनाने में मदद करता है तथा उनकी पाचन तंत्र को भी काफी मजबूत करता है. इसके अलावा इस आसन से जांघ, घुटने की मसल्स स्ट्रेच होती हैं और जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है.
- सबसे पहले कमर को सीधा रखते हुए जमीन पर आराम से बैठ जाए और उसके बाद पैरों को सामने की ओर फैला लें.
- इसके बाद दोनों घुटनों को मोड़ते हुए उनके तलवे अपने जननांग की तरफ लाएं.
- अब दोनों पैर के तलवों को एक साथ मिला लें और जितना हो सके जननांगों के पास ले जाएं. इसके बाद अपने घुटनों और जांघों को जमीन पर अच्छी तरह से टीका लें, घुटनों और जांघों को जमीन पर टीकाने के बाद अपने हाथों के तलवों से उन्हें अच्छी तरह से पकड़ ले.
- उसके बाद लंबी गहरी सांस लें और अपनी जांघों को तितली के पंखों की तरह तेज तेज ऊपर नीचे करें. यदि आप थक जाएं तो सांस छोड़ते हुए पैरों को फैला लें और थोड़ी देर आराम करें.
मर्कटासन
इस आसन के अभ्यास से रीढ़ की हड्डी तथा मांसपेशियों में खिंचाव,तनाव और विश्राम महसूस होता है और कमर दर्द में बहुत ही आसानी से आराम मिलता है .
- इसमें आपको ज़मीन पर सीधे कमर के बल लेट जाएं.
- अब धीरे से दोनों पैरों को घुटने से मोड़ कर एड़ियों को जितना हो सके नितम्बों के पास लाना है. ध्यान रखें आपके दोनों घुटने और दोनों पंजे मिले हों.
- धीरे से दोनों हाथों को साइड में फैला लें, हवाई जहाज़ की तरह. फिर धीरे-धीरे दोनों पैरों को किसी एक दिशा में गिराएं एक-दूसरे के ऊपर सांस भरते हुए. ध्यान रखें जब आप पैरों को किसी एक तरफ़ गिराएंगे आपकी गर्दन आपको अपने पैरों के विपरीत दिशा में घुमानी है.