'पोलियोमेलाइटिस' संक्रामक वायरस के चलते पोलियो ने 1940 से 1950 के दशक में 2 मिलियन से ज्यादा लोगों को या तो अपंग बना दिया था या उनकी जान ले ली थी. इस त्रासदी के उपरांत पोलियो की भयावता से आमजन विशेषकर बच्चों को बचाने के लिए वैश्विक स्तर पर विभिन्न अभियानों तथा प्रयासों को शुरू किया गया. जिसका परिणाम यह है कि आज दुनिया के ज्यादातर देश पोलियो मुक्त हो चुके हैं.
गौरतलब है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन तथा रोटरी फाउंडेशन के ग्लोबल पोलियो उन्मूलन अभियान की पहल पर दुनिया के सभी देशों को पोलियो मुक्त बनाने के उद्देश्य से सर्वप्रथम वर्ष 1988 में प्रयास शुरू किए गए थे. उस समय दुनिया के लगभग 125 देशों में पोलियो के 3,50,000 मामले सामने आए थे.
पोलियो टीकाकरण और पोलियो उन्मूलन की जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से दुनिया भर में विश्व पोलियो दिवस हर साल 24 अक्टूबर को मनाया जाता है. दरअसल पोलियो की पहली वैक्सीन की खोज करने वाली टीम के सदस्य जोनास साल्क के जन्मदिवस को रोटरी इंटरनेशनल ने टविश्व पोलियो दिवसट के रूप में मनाए जाने का निर्णय लिया था. गौरतलब है कि जोनास साल्क का जन्म अक्टूबर माह में हुआ था. इस वर्ष यह विशेष दिवस टडिलीवरिंग ऑन ए प्रॉमिसट थीम पर मनाया जा रहा है.
भारत में पोलियो टीकाकरण अभियान
हमारे देश में पोलियो टीकाकरण की शुरुआत 1995 में हुई थी, जिसके उपरांत वर्ष 2012 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत को पोलियो प्रभावित देशों की सूची से हटा दिया था, लेकिन भारत के पोलियो मुक्त होने की घोषणा विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वर्ष 2014 में की थी. आंकड़ों की मानें तो वर्ष 2014 के बाद से अब तक हमारे देश में पोलियो का एक भी मामला सामने नहीं आया है.
पिछले कई वर्षों से हमारे देश में 'दो बूंद जिंदगी की' टैग लाइन के साथ पोलियो उन्मूलन अभियान चलाया जा रहा है. जिसके चलते स्वास्थ्य कर्मी घर घर जाकर छोटे बच्चों को पोलियोड्रॉप की दो-दो बूंद पिलाते हैं. इसके अलावा पोलियो से बचाव के लिए टीका भी मौजूद है जो बच्चे के जन्म के उपरांत उसे लगाया जा सकता है.
क्या है पोलियो रोग
पोलियो एक संक्रामक वायरस जनित रोग है, जो पीड़ित के तंत्रिका तंत्र को स्थाई नुकसान पहुंचा सकता है. यहां तक कि यह मांसपेशियों को कमजोर बना देता है. यह संक्रमण पीड़ित को लकवा ग्रस्त या जीवनभर के लिए अपंग बना सकता है. यह संक्रमण इतना गंभीर होता है कि इसके चलते पीड़ित की मृत्यु भी हो सकती है. पोलियो संक्रमण सबसे ज्यादा 5 साल से कम उम्र के बच्चों को प्रभावित करता है. यूं तो इसका कोई इलाज नहीं है लेकिन बचपन में बच्चों को नियमित पोलियो ड्रॉप्स पिलाकर तथा पोलियो टीके का टीका लगवा कर उन्हें इस संक्रमण से बचाया जा सकता है.