ज्यादातर लोग जानते हैं कि हमारे शरीर के लिए आयोडीन जरूरी है. लेकिन क्यों कितनी मात्रा में तथा शरीर में आयोडीन की कमी कौन-कौन से रोगों तथा समस्याओं का कारण बन सकती है, इस बारें में ज्यादातर लोगों को नहीं पता होता है. हर साल दुनियाभर में बड़ी संख्या में लोग विशेषकर बच्चे आयोडीन की कमी (Iodine Deficiency) के चलते, कई रोगों व विकारों का शिकार बनते हैं. आयोडीन की कमी हमारी सेहत व शारीरिक विकास के लिए कितनी जरूरी है तथा इसकी कमी सेहत पर किस तरह से भारी पड़ सकती है इस बारें में आमजन को जागरूक करने के लिए दुनिया भर में 21 अक्टूबर को विश्व आयोडीन अल्पता निवारण दिवस (World Iodine Deficiency Prevention Day 21 October) मनाया जाता है. World iodine deficiency disorders prevention day . Iodine deficiency disease . Iodine salt . Iodine containing food . Iodine food .
विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) के अनुसार वर्तमान समय में दुनिया की लगभग एक तिहाई आबादी Iodine Deficiency से होने वाले रोगों के होने के जोखिमों से घिरी हुई है. हालांकि सालों से दुनियाभर में सेहत के लिए आयोडीन के लाभ (Iodine Benefits) तथा इसकी कमी से होने वाले रोगों के बारें में कई प्रकार के जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं लेकिन इसके बावजूद दुनिया के लगभग 54 देशों में आयोडीन अल्पता अभी तक मौजूद है. दुनिया भर में लोगों को आयोडीन की कमी से होने वाले रोगों के बारे में जागरूक करने तथा घर-घर में आयोडीन युक्त नमक की उपलब्धता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से हर साल 21 अक्टूबर को विश्व आयोडीन अल्पता निवारण दिवस या विश्व आयोडीन विकास दिवस मनाया जाता है.
क्यों है आयोडीन जरूरी (Iodine Importance) : आयोडीन दरअसल एक माइक्रोन्यूट्रिएंट हैं जो एक हमारे शरीर के विकास तथा शरीर के कई तंत्रों तथा कार्य प्रणालियों को सुचारू रूप से चलाने के लिए जरूरी है. यह मानव के शारीरिक ही नहीं बल्कि उनके मानसिक विकास के लिए भी बहुत जरूरी होता है. आयोडीन हमें नमक से मिलता है लेकिन यहां यह जानना भी बहुत जरूरी है सिर्फ आयोडीन की कमी ही नहीं बल्कि आयोडीन का जरूरत से ज्यादा सेवन भी शरीर के लिए नुकसानदायक होता है. इसलिए चिकित्सक हमेशा संतुलित मात्रा में नमक के सेवन की ही सलाह देते हैं.
महिलाओं में आयोडीन की कमी : विशेष तौर पर गर्भवती महिलाओं तथा बच्चों के लिए सही तथा संतुलित मात्रा में आयोडीन का सेवन बहुत जरूरी माना जाता है. बाल्यावस्था में बच्चों के सही तरह से शारीरिक व मानसिक विकास के लिए सभी प्रकार के पोषण के साथ आयोडीन भी बेहद जरूरी होता है. इससे शरीर की विकास प्रक्रिया तो सुचारू रहती ही है साथ ही यह बच्चों के दिमाग के विकास के लिए भी बेहद जरूरी होता है. आयोडीन शरीर में थायराइड प्रक्रिया के लिए भी जरूरी तत्व माना जाता है. वही गर्भवती महिलाओं के शरीर में यदि आयोडीन की कमी हो जाए तो ऐसे में उसके गर्भ में पल रहे बच्चे के विकास में समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं. महिलाओं में आयोडीन की कमी कई बार गर्भपात, मृत शिशु के जन्म और यहां तक की बच्चे में बौने पन का कारण भी बन सकती है. आंकड़ों की माने तो तकरीबन 100 में से 6 गर्भपात के मामलों के लिए आयोडीन की कमी जिम्मेदार होती है. शरीर में आयोडीन की कमी से सिर्फ विकास संबंधी ही नहीं बल्कि कई अन्य प्रकार के विकार या रोग भी हो सकते हैं. आयोडीन की कमी से होने वाले रोग (Iodine deficiency diseases) .
- घेंघा रोग (Goitre disease)
- थायराइड ग्रंथि का बढ़ना या (Thyroid gland or hypothyroidism) हाइपोथाइरॉएडिज्म
- बच्चों के शारीरिक व मानसिक विकास का रुकना
- तंत्रिकाओं व मांसपेशियों में जकड़न (Nerves and muscle stiffness)
- मानसिक विकलांगता (Mental disability)
- बौनापन (Dwarfism)
- अपंगता (Disability )
- देखने में समस्या (Vision Problems)
- गूंगापन व बहरापन (Deafness And Deafness)
- नाखून, त्वचा, तथा बाल संबंधी समस्याएं (Nail, Skin, And Hair Problems)
विभिन्न संगठनों के प्रयास
World Health Organization 1980 के दशक से आयोडीन की कमी के चलते होने वाले रोगों तथा समस्याओं को लेकर आमजन को जागरूक करने के उद्देश्य से “राष्ट्रीय नमक आयोडीन करण कार्यक्रम” (National Salt Iodization Program) के तहत कई तरह के कार्यक्रम संचालक कर रहा है. वही UNICEF तथा “International Council for Control of Iodine Deficiency Disorders” द्वारा भी संयुक्त रूप से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाते हैं. आंकड़े बताते हैं कि इस अभियान के चलते अब तक लगभग 66% घरों में आयोडीन युक्त नमक की उपलब्धता को सुनिश्चित किया जा चुका है. भारत सरकार द्वारा भी आयोडीन की कमी को लेकर कई सालों से कई तरह के अभियान चलाए जाते रहे हैं. सर्वप्रथम इस समस्या की जटिलता को महसूस करते हुए भारत सरकार ने 1962 में “राष्ट्रीय घेंघा रोग नियंत्रण कार्यक्रम” (National Goitre Disease Control Program) की शुरुआत की थी. जिसका नाम 1992 में बदलकर “राष्ट्रीय आयोडीन अल्पता विकार नियंत्रण कार्यक्रम” (National Iodine Deficiency Disorder Control Program) कर दिया गया. इस कार्यक्रम के तहत जन जन को आयोडीन युक्त नमक उपलब्ध कराने, आयोडीन कि कमी से होने वाले रोगों को लेकर सर्वेक्षण/पुनर्सर्वेक्षण करने, आयोडीन वाले नमक पर प्रयोगशालाओं में नजर रखने तथा इससे जुड़े स्वास्थ्य, शिक्षा और जागरूकता व प्रचार पर ध्यान दिया जाता है. इस के अतिरिक्त घर-घर में आयोडीन युक्त नमक का उपयोग सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार द्वारा ने खाद्य अपमिश्रण निवारण अधिनियम 1954 (Prevention of Food Adulteration Act 1954) के अंतर्गत मई 2006 से आयोडीन रहित नमक की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने की सूचना भी जारी की गई थी.
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