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विश्व बुजुर्ग दुर्व्यवहार जागरूकता दिवस 2021

वर्ष 2017 में डब्ल्यूएचओ द्वारा कराए गए अध्ययन के अनुसार समस्त विश्व में 60 वर्ष से अधिक उम्र वाले बुजुर्गों में से अनुमानतः 15.7% बुजुर्गों के साथ अर्थात विश्व में प्रत्येक 6 में से एक बुजुर्ग के साथ दुर्व्यवहार हुआ हैं । विभिन्न वर्गों में अनुमानित दुर्व्यवहार की आंकड़ों की माने तो मनोवैज्ञानिक दुर्व्यवहार 11.6 %, वित्तीय दुरुपयोग 6.8 %, उपेक्षा 4.2%, शारीरिक शोषण 2.6 % तथा यौन शोषण 0.9 %था। बुजुर्गों के साथ दुर्व्यवहार को रोकने के लिए तथा उन्हे उनके अधिकारों के बारें में अवगत करने के उद्देश्य हर साल  विश्व बुजुर्ग दुर्व्‍यवहार रोकथाम जागरूकता दिवस मनाया जाता है।

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विश्व बुजुर्ग दुर्व्यवहार जागरूकता दिवस 2021
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Published : Jun 15, 2021, 4:10 PM IST

महामारी के दौर में ज्यादा सावधान रहें बुजुर्ग

जून माह वर्ष 2006 में संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव 66/127 के परिणामस्वरूप 15 जून को बुजुर्गों के लिए विशेष दिन घोषित करने का निर्णय लिया गया था। जिसके उपरांत संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 2011 में विश्व बुजुर्ग दुर्व्यवहार जागरूकता दिवस को आधिकारिक रूप से मान्यता प्रदान की थी। यह प्रस्ताव तब सामने आया था जब इंटरनेशनल नेटवर्क फॉर प्रिवेंशन ऑफ एल्डर एब्यूज ने जून 2006 में इस दिन को मनाने का अनुरोध किया था।

चूंकि विश्व बुजुर्ग दुर्व्यवहार जागरूकता दिवस बुजुर्गों के साथ दुर्व्यवहार के मुद्दे को उजागर करने के लिए समर्पित है इसलिए इस वर्ष यह दिवस 'न्याय तक पहुंच' थीम पर मनाया जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी एक सूचना के अनुसार इस वर्ष का विश्व बुजुर्ग दुर्व्यवहार जागरूकता दिवस कोरोना वायरस के प्रकोप के बीच और भी ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है। विशेषज्ञों ने बुजुर्गों (60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों) को कोरोना वायरस से बचाव के लिए अधिक सावधान रहने की सलाह दी है क्योंकि वे इसके प्रति ज्यादा संवेदनशील हैं।

दुनिया भर में बुजुर्गों की स्तिथि

दुनिया में बुजुर्गों की आबादी बढ़ रही है, वैसे-वैसे उनके साथ दुर्व्‍यवहार की घटनाएं भी बढ़ रही हैं। यह एक गंभीर सामाजिक बुराई है जो मानव अधिकारों को प्रभावित करती है। बढ़ती हुई जनसंख्या तथा चिकित्सीय सुविधाओं के परिणामस्वरूप बुजुर्गों की संख्या में तीव्र गति से वृद्धि हो रही है जो स्वाभाविक ही है, परंतु समस्या की बात यह है कि इन बुजुर्गों के साथ दुर्व्यवहार की घटनाएं भी बढ़ रही है जो विचारणीय है।

बुजुर्गों के साथ दुर्व्यवहार शारीरिक, यौन, सामाजिक, मनोवैज्ञानिक और वित्तीय हो सकता है और इसमें उपेक्षा भी शामिल हो सकता है। बड़े पैमाने पर बुजुर्गों के साथ दुर्व्यवहार की घटनाएं होती हैं लेकिन आमतौर पर इसके मामले कम दर्ज किए जाते हैं। क्योंकि ज़्यादातर मामलों में दुर्व्यवहार करने वाले व्यक्ति उनके परिजन विशेषकर उनके बच्चे होतें है।

हेल्पएज इंडिया की शोध के अनुसार बुजुर्गों को जिस तरह के दुर्व्यवहार का सबसे ज्यादा सामना करना पड़ता है वह है- तिरस्कार 56 प्रतिशत, गाली-गलौज 49 प्रतिशत, अनदेखी 33 प्रतिशत। ज्यादातर लोगों को लगता है कि बहुएं सास-ससुर के साथ बुरा बर्ताव करती हैं। लेकिन इस हेल्पएज की स्टडी की मानें तो सास-ससुर के साथ दुर्व्यवहार करने वाली बहुओं की संख्या तो 38 प्रतिशत है जबकि अपने ही मां-बाप का शोषण करने वाले बेटों की संख्या 57 प्रतिशत। बुजुर्गों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार को 6 वर्गों में वर्गीकृत किए जा सकता है।

  • सरंचनात्मक और सामाजिक दुर्व्यवहार
  • अनदेखी और परित्यक्तता
  • असम्मान और वृद्धों के प्रति अनुचित व्यवहार करना
  • मनोवैज्ञानिक, भावनात्मक और गाली-गलौज करना
  • शारीरिक रूप से मारपीट करना
  • आर्थिक रूप से दुर्व्यवहार करना

बुजुर्गों को दुर्व्यवहार से बचाने के लिए कानून
भारत की जनसंख्या भी तेजी से बुढ़ापे की तरफ बढ़ रही है और पूरी आबादी का 20 प्रतिशत हिस्सा 60 साल से अधिक उम्र के लोगों का होगा।

बुजुर्गों के लिए वर्ष 2007 में मेंटेनेंस एंड वेल्फेयर ऑफ पेरेंट्स एंड सिटीजन एक्ट नाम से एक कानून बनाया गया था, जिसमें माता-पिता की देखभाल के लिए पर प्रावधान निर्धारित किए गए थे। इस कानून के तहत माता-पिता अपनी शिकायत भी दर्ज करवा सकते हैं, जिसके चलते यदि कोर्ट चाहे तो बच्चों को माता-पिता की देखभाल करने का आदेश भी दे सकती है साथ ही हर महीने 10 हजार रुपये गुजारा भत्ता भी देने को कह सकती है।

इतना ही नहीं, अगर कोई अपने माता-पिता के साथ दुर्व्यवहार करता है या उन्हें अकेले अपना गुजारा करने के लिए छोड़ देता है इसके लिए आरोपी व्यक्ति को 3 से 6 महीने की जेल की सजा भी हो चुकी है।

जागरूकता के अभाव में इस कानून के बारे में कम ही लोगों को जानकारी है। इसके अलावा समाज में नाम खराब होने के डर, अपने परिवारवालों पर निर्भरता, आर्थिक और शारीरिक रूप से कमजोर होने सहित बाट से ऐसे कारण होते हैं जिनके कारण बुजुर्ग अपने साथ दुर्व्यवहार की रिपोर्ट दर्ज नही करवाते हैं।

कोरोना काल में बुजुर्गों के जीवन पर बढ़ा खतरा
वायरस महामारी के प्रकोप और उसके बाद लगे लॉकडाउन ने बुजुर्गों चुनौतियां केवल बढ़ाई हैं। कोरोना के कारण बुजुर्ग लोगों को मृत्यु और गंभीर बीमारियों का अधिक खतरा होता है। वहीं कोरोना काल में वरिष्ठ नागरिकों को संक्रमण को लेकर ज्यादा संवेदनशील माना जाता है। एजवेल फाउंडेशन द्वारा की गई एक रिसर्च से पता चला है कि भारत में कोरोना महामारी की दूसरी लहर के बीच लॉकडाउन के दौरान लगभग 73 प्रतिशत बुजुर्गों को दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ा। विश्व बुजुर्ग दुर्व्यवहार जागरूकता दिवस 2021 से पहले यह सर्वेक्षण जारी किया गया है। इस सर्वेक्षण में 5,000 से अधिक बुजुर्गों को शामिल किया गया था। 5,000 बुजुर्गों में से 82 फीसदी बुजुर्गों ने माना की मौजूदा कोरोना महामारी की स्थिति ने उनके जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है।

महामारी के दौर में ज्यादा सावधान रहें बुजुर्ग

जून माह वर्ष 2006 में संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव 66/127 के परिणामस्वरूप 15 जून को बुजुर्गों के लिए विशेष दिन घोषित करने का निर्णय लिया गया था। जिसके उपरांत संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 2011 में विश्व बुजुर्ग दुर्व्यवहार जागरूकता दिवस को आधिकारिक रूप से मान्यता प्रदान की थी। यह प्रस्ताव तब सामने आया था जब इंटरनेशनल नेटवर्क फॉर प्रिवेंशन ऑफ एल्डर एब्यूज ने जून 2006 में इस दिन को मनाने का अनुरोध किया था।

चूंकि विश्व बुजुर्ग दुर्व्यवहार जागरूकता दिवस बुजुर्गों के साथ दुर्व्यवहार के मुद्दे को उजागर करने के लिए समर्पित है इसलिए इस वर्ष यह दिवस 'न्याय तक पहुंच' थीम पर मनाया जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी एक सूचना के अनुसार इस वर्ष का विश्व बुजुर्ग दुर्व्यवहार जागरूकता दिवस कोरोना वायरस के प्रकोप के बीच और भी ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है। विशेषज्ञों ने बुजुर्गों (60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों) को कोरोना वायरस से बचाव के लिए अधिक सावधान रहने की सलाह दी है क्योंकि वे इसके प्रति ज्यादा संवेदनशील हैं।

दुनिया भर में बुजुर्गों की स्तिथि

दुनिया में बुजुर्गों की आबादी बढ़ रही है, वैसे-वैसे उनके साथ दुर्व्‍यवहार की घटनाएं भी बढ़ रही हैं। यह एक गंभीर सामाजिक बुराई है जो मानव अधिकारों को प्रभावित करती है। बढ़ती हुई जनसंख्या तथा चिकित्सीय सुविधाओं के परिणामस्वरूप बुजुर्गों की संख्या में तीव्र गति से वृद्धि हो रही है जो स्वाभाविक ही है, परंतु समस्या की बात यह है कि इन बुजुर्गों के साथ दुर्व्यवहार की घटनाएं भी बढ़ रही है जो विचारणीय है।

बुजुर्गों के साथ दुर्व्यवहार शारीरिक, यौन, सामाजिक, मनोवैज्ञानिक और वित्तीय हो सकता है और इसमें उपेक्षा भी शामिल हो सकता है। बड़े पैमाने पर बुजुर्गों के साथ दुर्व्यवहार की घटनाएं होती हैं लेकिन आमतौर पर इसके मामले कम दर्ज किए जाते हैं। क्योंकि ज़्यादातर मामलों में दुर्व्यवहार करने वाले व्यक्ति उनके परिजन विशेषकर उनके बच्चे होतें है।

हेल्पएज इंडिया की शोध के अनुसार बुजुर्गों को जिस तरह के दुर्व्यवहार का सबसे ज्यादा सामना करना पड़ता है वह है- तिरस्कार 56 प्रतिशत, गाली-गलौज 49 प्रतिशत, अनदेखी 33 प्रतिशत। ज्यादातर लोगों को लगता है कि बहुएं सास-ससुर के साथ बुरा बर्ताव करती हैं। लेकिन इस हेल्पएज की स्टडी की मानें तो सास-ससुर के साथ दुर्व्यवहार करने वाली बहुओं की संख्या तो 38 प्रतिशत है जबकि अपने ही मां-बाप का शोषण करने वाले बेटों की संख्या 57 प्रतिशत। बुजुर्गों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार को 6 वर्गों में वर्गीकृत किए जा सकता है।

  • सरंचनात्मक और सामाजिक दुर्व्यवहार
  • अनदेखी और परित्यक्तता
  • असम्मान और वृद्धों के प्रति अनुचित व्यवहार करना
  • मनोवैज्ञानिक, भावनात्मक और गाली-गलौज करना
  • शारीरिक रूप से मारपीट करना
  • आर्थिक रूप से दुर्व्यवहार करना

बुजुर्गों को दुर्व्यवहार से बचाने के लिए कानून
भारत की जनसंख्या भी तेजी से बुढ़ापे की तरफ बढ़ रही है और पूरी आबादी का 20 प्रतिशत हिस्सा 60 साल से अधिक उम्र के लोगों का होगा।

बुजुर्गों के लिए वर्ष 2007 में मेंटेनेंस एंड वेल्फेयर ऑफ पेरेंट्स एंड सिटीजन एक्ट नाम से एक कानून बनाया गया था, जिसमें माता-पिता की देखभाल के लिए पर प्रावधान निर्धारित किए गए थे। इस कानून के तहत माता-पिता अपनी शिकायत भी दर्ज करवा सकते हैं, जिसके चलते यदि कोर्ट चाहे तो बच्चों को माता-पिता की देखभाल करने का आदेश भी दे सकती है साथ ही हर महीने 10 हजार रुपये गुजारा भत्ता भी देने को कह सकती है।

इतना ही नहीं, अगर कोई अपने माता-पिता के साथ दुर्व्यवहार करता है या उन्हें अकेले अपना गुजारा करने के लिए छोड़ देता है इसके लिए आरोपी व्यक्ति को 3 से 6 महीने की जेल की सजा भी हो चुकी है।

जागरूकता के अभाव में इस कानून के बारे में कम ही लोगों को जानकारी है। इसके अलावा समाज में नाम खराब होने के डर, अपने परिवारवालों पर निर्भरता, आर्थिक और शारीरिक रूप से कमजोर होने सहित बाट से ऐसे कारण होते हैं जिनके कारण बुजुर्ग अपने साथ दुर्व्यवहार की रिपोर्ट दर्ज नही करवाते हैं।

कोरोना काल में बुजुर्गों के जीवन पर बढ़ा खतरा
वायरस महामारी के प्रकोप और उसके बाद लगे लॉकडाउन ने बुजुर्गों चुनौतियां केवल बढ़ाई हैं। कोरोना के कारण बुजुर्ग लोगों को मृत्यु और गंभीर बीमारियों का अधिक खतरा होता है। वहीं कोरोना काल में वरिष्ठ नागरिकों को संक्रमण को लेकर ज्यादा संवेदनशील माना जाता है। एजवेल फाउंडेशन द्वारा की गई एक रिसर्च से पता चला है कि भारत में कोरोना महामारी की दूसरी लहर के बीच लॉकडाउन के दौरान लगभग 73 प्रतिशत बुजुर्गों को दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ा। विश्व बुजुर्ग दुर्व्यवहार जागरूकता दिवस 2021 से पहले यह सर्वेक्षण जारी किया गया है। इस सर्वेक्षण में 5,000 से अधिक बुजुर्गों को शामिल किया गया था। 5,000 बुजुर्गों में से 82 फीसदी बुजुर्गों ने माना की मौजूदा कोरोना महामारी की स्थिति ने उनके जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है।

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