लीड्स: इन-विट्रो फर्टिलाजेशन (आईवीएफ) जैसी प्रक्रिया ने मातृत्व के सुख को पाने और प्रजनन की समस्याओं से जूझने वाले लोगों को एक परिवार शुरू करने में मदद करने की संभावना में काफी सुधार किया है. लेकिन अभी भी इसकी सफलता दर मात्र 24 प्रतिशत के आसपास ही है. यही कारण है कि आईवीएफ के माध्यम से गर्भधारण करने की कोशिश कर रहे कुछ लोग, बच्चा होने की संभावनाओं को बढ़ाने की उम्मीद में तथाकथित अतिरिक्त उपचारों के बारे में सोचते हैं. इसमें ऐसी कई ऐड-ऑन प्रक्रियाएं हैं जो निजी और सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रदाताओं द्वारा पेश की जा रही हैं. लेकिन इन प्रक्रियाओं के साथ समस्या यह है कि वर्तमान में इस बात के बहुत कम प्रमाण हैं कि ये प्रक्रियाएं वास्तव में बच्चा पैदा करने की संभावनाओं में सुधार करती हैं.
इसके बावजूद, यूके के एनएचएस सहित स्वास्थ्य प्रदाता, मरीजों पर इन महंगी प्रक्रियाओं का इस्तेमाल कर रहे हैं. इसलिए यदि आप आईवीएफ से जुड़ी अतिरिक्त प्रक्रियाओं पर विचार कर रहे हैं, तो यह बहुत महत्वपूर्ण है कि आप इसे ठीक से समझें कि ये हैं क्या, और वे आपके गर्भधारण की संभावना को क्यों नहीं बढ़ा सकते. इसमें यह सबसे सामान्य प्रक्रियाएं शामिल हैं-
टाइम लैप्स इमेजिंगटाइम-लैप्स इमेजिंग: एक नॉन-इनवेसिव तकनीक है. इसमें कैमरे लगे विशेष रूप से तैयार इनक्यूबेटर में भ्रूण को रखा जाता है. यह कैमरा लगातार अंतराल पर प्रत्येक भ्रूण की तस्वीरें लेता है, जिससे भ्रूणविज्ञानी एक ऐसे भ्रूण का चयन कर सकते हैं जिसके बच्चे के रूप में विकसित होने की सबसे अधिक संभावना है.पारंपरिक आईवीएफ प्रक्रियाओं के दौरान, भ्रूण को इनक्यूबेटर से हटा दिया जाता है और माइक्रोस्कोप से इसकी जांच की जाती है. तो टाइम लैप्स इमेजिंग का लाभ यह है कि भ्रूण स्थानांतरण तक भ्रूण को इनक्यूबेटर में अबाधित छोड़ा जा सकता है. लेकिन दुर्भाग्यवश, वर्तमान में इस बात का कोई सबूत नहीं है कि यह तकनीक पारंपरिक आईवीएफ विधियों की तुलना में बच्चे के जन्म की संभावनाओं में सुधार करती है.
भ्रूण की जांच पीजीटी-ए (भ्रूण बायोप्सी के बाद की जांच): इस प्रक्रिया में एक भ्रूण से कई कोशिकाओं को लेकर उसके क्रोमोसोम्स की संख्या का आकलन करना शामिल है. इस विश्लेषण का उपयोग यह दिखाने के लिए किया जाता है कि भ्रूण में क्रोमोसोम्स का सामान्य या असामान्य जोड़ा है या नहीं. परंपरागत रूप से, यह उपचार उन महिलाओं को दिया जाता है जो अधिक उम्र की होती हैं. आमतौर पर 37 वर्ष से अधिक उम्रवाली महिलाओं में भ्रूण में गुणसूत्र असामान्यताओं की संभावना अधिक होती है. पीजीटी-ए उन रोगियों को भी दिया जाता है जिनका गर्भपात का इतिहास रहा है या जिनके परिवार में ऐनुप्लोइडी (जिनमें क्रोमोसोम नहीं हैं या उनमें अतिरिक्त क्रोमोसोम है) का इतिहास है. पीजीटी-ए का लाभ यह है कि यह लोगों को आनुवंशिक रूप से सामान्य भ्रूण को स्थानांतरित करने में मदद देता है. मूल्यांकन के पारंपरिक तरीके, जो स्थानांतरण से पहले केवल एक माइक्रोस्कोप के तहत भ्रूण को देख सकते हैं लेकिन इसका पता लगाने में सक्षम नहीं होंते. हालांकि, वर्तमान में प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर सवाल हैं. इस प्रक्रिया में यह अधिक संभावना है कि क्रोमोसोम्स के एक सामान्य सेट वाले भ्रूण को स्थानांतरित किया जाए, लेकिन इस प्रक्रिया को बच्चा होने की संभावना को बढ़ाने के तौर पर नहीं देखा गया है.
एंडोमेट्रियल स्क्रैचिंग: इस प्रक्रिया में महिला को गर्भवती होने के लिए, भ्रूण को उसके गर्भ के भीतर प्रत्यारोपित करने किया जाता है. आईवीएफ चक्र में ऐसा होने की संभावना को बेहतर बनाने के लिए, कुछ क्लीनिक 'एंडोमेट्रियल स्क्रैचिंग' नामक एक प्रक्रिया की पेशकश करते हैं. इसमें एक छोटी, प्लास्टिक ट्यूब के साथ एंडोमेट्रियल लाइनिंग को 'खरोचा' जाता है. ऐसा माना जाता है कि इससे शरीर मरम्मत तंत्र को सक्रिय करने में मदद करता है. कहा जाता है कि कोख की सतह की मरम्मत के लिए आवश्यक हार्मोन और प्रोटीन भ्रूण के स्वयं प्रत्यारोपण की संभावनाओं में सुधार करते हैं. लेकिन यह उपचार कठिन है और कुछ रोगियों के लिए परेशानी पैदा कर सकता है. इसके साथ ही यह भी पता नहीं है कि इस प्रक्रिया से भ्रूण को कोई खतरा है या नहीं. इस प्रक्रिया की पेशकश आमतौर पर केवल उन महिलाओं को की जाती है जो बार-बार आरोपण के प्रयासों में विफल रही हैं. हालांकि इसके महिलाओं को गर्भधारण करने में मदद करने के लिए पारंपरिक आईवीएफ विधियों से बेहतर होने का वर्तमान में कोई सबूत नहीं है. यह ध्यान देने योग्य है कि इस तरह के किसी भी उपचार को ह्यूमन फर्टिलाइजेशन एंड एम्ब्रियोलॉजी अथॉरिटी (एचएफईए) द्वारा ग्रीन लाइट रेटिंग नहीं दी गई है.
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ग्रीन लाइट रेटिंग केवल उन प्रक्रियाओं को दी जाती है जो पारंपरिक आईवीएफ से परे गर्भधारण की संभावनाओं को बेहतर बनाने में सुरक्षित और प्रभावी मानी जाती हैं. फर्टिलिटी क्लीनिक संतान प्राप्ति के लिए प्रयास कर रहे लोगों की मदद कर सकते हैं, लेकिन यह समझना महत्वपूर्ण है कि इन अतिरिक्त उपायों का पारंपरिक आईवीएफ तकनीकों पर कोई लाभ नहीं है - विशेष रूप से यह देखते हुए कि ये उपचार कितने महंगे हो सकते हैं. अक्सर, एक मानक आईवीएफ चक्र अपने आप में ही सफलता का सर्वोत्तम अवसर प्रदान करता है.
(पीटीआई-भाषा)