ETV Bharat / sukhibhava

ध्यान न दें तो घातक हो सकता है ल्यूकोरिया

महिलाओं की योनि से सफेद पानी आना एक आम बात है.  लेकिन ध्यान न देने पर यह गंभीर बीमारी का रूप ले सकता है. ल्यूकोरिया या श्वेत प्रदर नाम से जानी जाने वाली यह समस्या आमतौर पर योनि में संक्रमण के लक्षणों में से एक मानी जाती है, लेकिन आमतौर पर महिलायें या बच्चियाँ, जब तक यह समस्या कष्टकारी ना हो तब तक इस ओर ज्यादा ध्यान नही देती है.

leucorrhoea can be indicating an illness,  female health,  vaginal infections in females,  श्वेत प्रदर, ल्यूकोरिया
ल्यूकोरिया
author img

By

Published : Dec 4, 2021, 3:15 PM IST

ल्यूकोरिया (Leukorrhea) या श्वेत प्रदर वैसे तो हर उम्र की महिलाओं में हो सकने वाली आम बीमारी है, लेकिन यदि इस समस्या को अनदेखा किया जाय तो यह कैंसर जैसे घातक रोग का कारण भी बन सकती है.

उत्तरखंड की महिला योग विशेषज्ञ डॉ विजयलक्ष्मी बताती हैं कि महिलाओं की योनि से अलग-अलग समय में अलग-अलग प्रकार के स्राव होते हैं, जैसे मासिक धर्म के दौरान रक्तस्राव, सामान्य अवस्था में सफेद पानी जिसे संक्रमण होने पर श्वेत प्रदर नाम से भी जाना जाता है, रक्त मिश्रित पानी तथा सहवास के दौरान योनि में चिकनाई उत्पन्न करने के लिए होने वाला स्राव.

महिलाओं की योनि से होने वाला स्राव सामान्य हो तो कई समस्या नही पहुंचाता है. बल्कि कही न कही इससे योनि की सफाई होती रहती है. लेकिन यदि योनि से लगातार बदबूदार सफेद डिस्चार्ज हो रहा हो तथा उसी मात्रा भी अपेक्षाकृत ज्यादा हो . साथ ही स्राव के साथ योनि में खुजली, जलन या दर्द भी हो रहा हो, तो यह परेशानी का कारण बन सकता है.

डॉ विजयलक्ष्मी बताती हैं कि ल्यूकोरिया कई कारणों से हो सकता है. आमतौर इसके लिए बैक्टीरियल वेजिनोसिस और योनि खमीर संक्रमण जैसे संक्रमणों को जिम्मेदार माना जाता है. इसके अलावा अस्वच्छ शारीरिक संबंधों के कारण, बच्चे दानी के मुंह पर कोई संक्रमण या घाव, बच्चेदानी में समस्या तथा कैंसर होने की अवस्था में भी श्वेत प्रदर हो सकता है.

श्वेत प्रदर के लक्षण

जलन, दर्द या खुजली के साथ योनि से सफेद स्राव होना ही श्वेत प्रदर का एकमात्र लक्षण नही है. इसके अलावा भी यह समस्या होने पर हमारा शरीर अलग अलग तरह से संकेत देने लगता है, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.

  • जब सफेद पानी अधिक गाढ़ा, चिपचिपा, बदबूदार तथा मटमैला या लाल-भूरी रंगत लिए हुए हो.
  • डिस्चार्ज के साथ ही रोगी के हाथ-पैर, पिंडलियों और घुटनों में तथा सर में दर्द दर्द होने लगे.
  • चक्कर , शरीर में कमजोरी, पेट के निचले हिस्से में दर्द तथा कमर में दर्द होने लगे.
  • चेहरे का रंगत बदलना , भूख न लगना, चिड़चिड़ापन, किसी काम में मन न लगना, सिर के बालों का अधिक मात्रा में गिरना, कब्ज होना.
  • बार-बार पेशाब आना, योनि का गीला रहना, योनि में खुजली या जलन होना.

योनि को साफ और सुरक्षित रखना जरूरी

डॉ विजय लक्ष्मी बताती हैं कि गंभीर श्वेत प्रदर से बचने के लिए जरूरी है की योनि को संक्रमण मुक्त रखने का प्रयास किया जाय . इसके लिए बहुत जरूरी है कि योनि को साफ सुथरा और सुरक्षित रखने के प्रयास किए जाय. जिसके लिए कुछ उपाय अपनाए जा सकते हैं, जैसे:

  • योनि को हमेशा रसायन रहित , खुशबू रहित और हल्की प्रकृति के साबुन और साफ पानी से धोना चाहिए तथा उसे हमेशा सुखा रखने का प्रयास करना चाहिए.
  • मासिक धर्म के दौरान हर 5-6 घंटे में पैड बदलते रहना चाहिए.
  • संभोग से पहले और विशेषकर बाद में प्रजनन अंगों को अच्छे से धोना साफ करना चाहिए.
  • सेक्स के दौरान कोंडोम जैसी सुरक्षा का इस्तेमाल जरूर करें तथा तथा यदि मनोरंजन के लिए सेक्स टॉय्ज का इस्तेमाल किया जा रहा है तो ध्यान रहे कि वे पूरी तरह से साफ और किटाणु रहित हो साथ ही उनके इस्तेमाल से अंदरूनी अंगों को किसी भी प्रकार की चोट न लगे.
  • पेशाब जाने या मल त्याग के बाद तथा सामान्य अवस्था में भी बैक्टीरिया को योनि में जाने से रोकने के लिए योनि को धोते समय पानी हमेशा आगे से पीछे की ओर डाले तथा इस क्षेत्र को धोते तथा पोंछते समय हमेशा आगे से पीछे की तरफ जाए.
  • जहां तक संभव हो सूती और आरामदायक अंडरवियर पहनें.
  • इसके अलावा, सुरक्षित संभोग करें और एसटीआई से बचने के लिए सुरक्षा का उपयोग करें.

जांच जरूरी

डॉ विजयलक्ष्मी बताती है सफेद पानी के साथ संक्रमण के लक्षण नजर आते ही चिकित्सक से जांच अवश्य करानी चाहिए, जिससे समय रहते संक्रमण तथा अन्य समस्याओं का निवारण हो सके. इसके अलावा प्रजनन अंगों में किसी भी संक्रमण या समस्या के बारे में जाने के लिए 30 वर्ष की आयु के बाद महिलाओं को हर पांच साल में एक बार पैपस्मीयर जांच अवश्य करवानी चाहिए.

इसके साथ ही बहुत जरूरी है बच्चियों को उनके निजी अंगों की सफाई और सुरक्षा के महत्व को समझाएं, साथ ही उन्हे बताये की योनि में किसी भी प्रकार की असहजता होने या समस्या होने पर अपनी माँ या घर में किसी महिला को अवश्य बताए जिससे उसका इलाज हो सके.

पढ़ें: कुछ टिप्स से पाएं मेनोपॉज से जुड़ी समस्याओं में राहत

ल्यूकोरिया (Leukorrhea) या श्वेत प्रदर वैसे तो हर उम्र की महिलाओं में हो सकने वाली आम बीमारी है, लेकिन यदि इस समस्या को अनदेखा किया जाय तो यह कैंसर जैसे घातक रोग का कारण भी बन सकती है.

उत्तरखंड की महिला योग विशेषज्ञ डॉ विजयलक्ष्मी बताती हैं कि महिलाओं की योनि से अलग-अलग समय में अलग-अलग प्रकार के स्राव होते हैं, जैसे मासिक धर्म के दौरान रक्तस्राव, सामान्य अवस्था में सफेद पानी जिसे संक्रमण होने पर श्वेत प्रदर नाम से भी जाना जाता है, रक्त मिश्रित पानी तथा सहवास के दौरान योनि में चिकनाई उत्पन्न करने के लिए होने वाला स्राव.

महिलाओं की योनि से होने वाला स्राव सामान्य हो तो कई समस्या नही पहुंचाता है. बल्कि कही न कही इससे योनि की सफाई होती रहती है. लेकिन यदि योनि से लगातार बदबूदार सफेद डिस्चार्ज हो रहा हो तथा उसी मात्रा भी अपेक्षाकृत ज्यादा हो . साथ ही स्राव के साथ योनि में खुजली, जलन या दर्द भी हो रहा हो, तो यह परेशानी का कारण बन सकता है.

डॉ विजयलक्ष्मी बताती हैं कि ल्यूकोरिया कई कारणों से हो सकता है. आमतौर इसके लिए बैक्टीरियल वेजिनोसिस और योनि खमीर संक्रमण जैसे संक्रमणों को जिम्मेदार माना जाता है. इसके अलावा अस्वच्छ शारीरिक संबंधों के कारण, बच्चे दानी के मुंह पर कोई संक्रमण या घाव, बच्चेदानी में समस्या तथा कैंसर होने की अवस्था में भी श्वेत प्रदर हो सकता है.

श्वेत प्रदर के लक्षण

जलन, दर्द या खुजली के साथ योनि से सफेद स्राव होना ही श्वेत प्रदर का एकमात्र लक्षण नही है. इसके अलावा भी यह समस्या होने पर हमारा शरीर अलग अलग तरह से संकेत देने लगता है, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.

  • जब सफेद पानी अधिक गाढ़ा, चिपचिपा, बदबूदार तथा मटमैला या लाल-भूरी रंगत लिए हुए हो.
  • डिस्चार्ज के साथ ही रोगी के हाथ-पैर, पिंडलियों और घुटनों में तथा सर में दर्द दर्द होने लगे.
  • चक्कर , शरीर में कमजोरी, पेट के निचले हिस्से में दर्द तथा कमर में दर्द होने लगे.
  • चेहरे का रंगत बदलना , भूख न लगना, चिड़चिड़ापन, किसी काम में मन न लगना, सिर के बालों का अधिक मात्रा में गिरना, कब्ज होना.
  • बार-बार पेशाब आना, योनि का गीला रहना, योनि में खुजली या जलन होना.

योनि को साफ और सुरक्षित रखना जरूरी

डॉ विजय लक्ष्मी बताती हैं कि गंभीर श्वेत प्रदर से बचने के लिए जरूरी है की योनि को संक्रमण मुक्त रखने का प्रयास किया जाय . इसके लिए बहुत जरूरी है कि योनि को साफ सुथरा और सुरक्षित रखने के प्रयास किए जाय. जिसके लिए कुछ उपाय अपनाए जा सकते हैं, जैसे:

  • योनि को हमेशा रसायन रहित , खुशबू रहित और हल्की प्रकृति के साबुन और साफ पानी से धोना चाहिए तथा उसे हमेशा सुखा रखने का प्रयास करना चाहिए.
  • मासिक धर्म के दौरान हर 5-6 घंटे में पैड बदलते रहना चाहिए.
  • संभोग से पहले और विशेषकर बाद में प्रजनन अंगों को अच्छे से धोना साफ करना चाहिए.
  • सेक्स के दौरान कोंडोम जैसी सुरक्षा का इस्तेमाल जरूर करें तथा तथा यदि मनोरंजन के लिए सेक्स टॉय्ज का इस्तेमाल किया जा रहा है तो ध्यान रहे कि वे पूरी तरह से साफ और किटाणु रहित हो साथ ही उनके इस्तेमाल से अंदरूनी अंगों को किसी भी प्रकार की चोट न लगे.
  • पेशाब जाने या मल त्याग के बाद तथा सामान्य अवस्था में भी बैक्टीरिया को योनि में जाने से रोकने के लिए योनि को धोते समय पानी हमेशा आगे से पीछे की ओर डाले तथा इस क्षेत्र को धोते तथा पोंछते समय हमेशा आगे से पीछे की तरफ जाए.
  • जहां तक संभव हो सूती और आरामदायक अंडरवियर पहनें.
  • इसके अलावा, सुरक्षित संभोग करें और एसटीआई से बचने के लिए सुरक्षा का उपयोग करें.

जांच जरूरी

डॉ विजयलक्ष्मी बताती है सफेद पानी के साथ संक्रमण के लक्षण नजर आते ही चिकित्सक से जांच अवश्य करानी चाहिए, जिससे समय रहते संक्रमण तथा अन्य समस्याओं का निवारण हो सके. इसके अलावा प्रजनन अंगों में किसी भी संक्रमण या समस्या के बारे में जाने के लिए 30 वर्ष की आयु के बाद महिलाओं को हर पांच साल में एक बार पैपस्मीयर जांच अवश्य करवानी चाहिए.

इसके साथ ही बहुत जरूरी है बच्चियों को उनके निजी अंगों की सफाई और सुरक्षा के महत्व को समझाएं, साथ ही उन्हे बताये की योनि में किसी भी प्रकार की असहजता होने या समस्या होने पर अपनी माँ या घर में किसी महिला को अवश्य बताए जिससे उसका इलाज हो सके.

पढ़ें: कुछ टिप्स से पाएं मेनोपॉज से जुड़ी समस्याओं में राहत

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.