कुछ लोगों को आपने बैठकर या लेटकर पैर हिलाते हुए देखा होगा. इनमें से कई लोगों को पैर हिलाने की आदत होती है, लेकिन दूसरी तरफ कुछ लोगों में ये एक गंभीर बीमारी की ओर इशारा करता है. आपको बता दें रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम से पीड़ित इंसान के बैठने या लेटने पर पैरों में होने वाली झनझनाहट के कारण पैर हिलाने लगता है.
रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम (आरएलएस) एक ऐसी स्थिति है, जिसमें इंसान अपने पैर हिलाने लगता है. यह एक गंभीर बीमारी है और किसी भी उम्र में उजागर हो सकती है. यह तंत्रिका तंत्र में होने वाला विकार है, जिसका सीधा प्रभाव पैरों पर पड़ता है. यह समस्या आम तौर पर रात में सोने के दौरान उत्पन्न होता है. रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम को विलिस एकबॉम डिजीज भी कहा जाता है. यह बीमारी उम्र बढ़ने के साथ अधिक तकलीफ देती है. आरएलएस आम तौर पर मधुमेह रोगी को प्रभावित करता है, और साथ ही उन लोगो को जिन्हे पहले से ही स्वास्थ्य सम्बंधित समस्याएं हो जैसे की हाइपोथायरायडिज्म, गंभीर एनीमिया, विटामिन डी की कमी, कैल्शियम की कमी, इन सभी समस्याओं को नियंत्रित रखते हुए, आरएलएस से निपटा जा सकता है.
आरएलएस के लक्षण
आरएलएस से पीड़ित व्यक्ति के पैरों में सनसनी होती है और उसे हिलाने में दर्द महसूस करता है. इन अन्य कई लक्षण पाये गये है:
- जलन
- खुजली
- दर्द
- पैरों में सनसनी महसूस होना
- पैरों में दर्द या खिंचाव
- चुभन महसूस होना
बीमारी के कारण
अनुवांशिक: परिवार में अगर किसी को पहले से रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम की बीमारी है, तो उसकी आने वाली पीढ़ी को भी होने की संभावना अधिक हो जाती है.इसके अलावा और भी कारण है, जिसकी वजह से आरएलएस की बीमारी होने का खतरा बना रहता है.
- आयरन व मैग्नीशियम की कमी.
- अधिक मात्रा में शराब का सेवन.
- नींद की कमी.
- एलर्जी की दवाओं का दुष्प्रभाव.
- विटामिन बी की कमी.
आरएलएस का उपचार
- ज्यादा समय तक एक जगह पर न बैठें.
- कम से कम 8 घंटे की नींद लें.
- आयरन, मैग्नीशियम, विटामिन बी युक्त आहार का सेवन करें.
- पैरों की मालिश.
- मांसपेशियों को आराम देना.
- पैरों पर बर्फ की पैक लगाएं.
- रोजाना व्यायाम करें.
- शराब और कैफीन पीने से बचें.
कई मामलों में आरएलएस की बीमारी होकर ठीक भी हो जाती है, लेकिन कई पीड़ित लोगों में यह स्थिति जीवन भर बनी रहती है.. इसके प्राथमिक इलाज और देखभाल से आरएलएस से ग्रस्त इंसान इस बीमारी से छुटकारा पा सकता है.