शरीर में विटामिन डी की कमी वैसे तो एक आम समस्या मानी जाती है जो दुनिया के हर हिस्से में हर उम्र के लोगों में देखी जाती है. लेकिन पिछले एक दशक में खराब आहार शैली व जीवनशैली संबंधी तथा अन्य कारणों के चलते दुनिया भर में इस समस्या से पीड़ितों की संख्या तथा उनमें इस डेफ़िशिएनसी के चलते अन्य समस्याओं के ट्रिगर होने के मामले काफी ज्यादा बढ़ रहे हैं. वहीं कोविड-19 संक्रमण ने लोगों में इस डेफ़िशिएंसी तथा इसके कारण होने वाले रोगों व समस्याओं के मामलों को और भी ज्यादा बढ़ा दिया है. इस संबंध में किए गए कई शोधों में इस बात की पुष्टि हुई है कि कोविड 19 के पार्श्व प्रभावों में विटामिन डी की कमी काफी प्रमुखता से देखी जा रही है.
कोविड 19 के बाद बढ़े हैं विटामिन डी डेफिशिएंसी के मामले
आमतौर पर लोगों को लगता है शरीर में विटामिन डी की जरूरत सिर्फ हड्डियों को स्वस्थ रखने के लिए होती है. यह सही है कि हड्डियों को स्वस्थ रखने में यह काफी अहम भूमिका निभाता है लेकिन विटामिन डी की जरूरत तथा उसके फायदे सिर्फ हड्डियों तक ही सीमित नहीं है. शरीर के विकास, रोगों से बचाव तथा कई तंत्रों के सुचारू रूप से कार्य करने के लिए शरीर में विटामिन डी का सही मात्रा में होना बहुत जरूरी है. वहीं शरीर में इस पोषक तत्व की कमी ना सिर्फ शारीरिक बल्कि कई मानसिक समस्याओं का कारण भी बन सकती है.
वैसे तो हर उम्र के लोगों में विटामिन डी की आंशिक कमी होना बहुत आम समस्या है, लेकिन यदि यह कमी बढ़ जाए तो ना सिर्फ कई रोगों के लिए ट्रिगर का कार्य कर सकती है बल्कि शरीर में इम्यून सिस्टम को भी प्रभावित कर सकती है. चिंता की बात यह है कि वर्तमान समय में लोगों में विटामिन डी की ज्यादा कमी के मामले काफी ज्यादा प्रकाश में आ रहे हैं. चिकित्सकों का मानना है कि कोरोना संक्रमण से पीड़ित रह चुके लोगों में विटामिन डी की सिवीयर डेफ़िशिएनसी के मामले काफी देखने में आ रहे हैं क्योंकि संक्रमण के प्रभाव के चलते उनके इम्यून सिस्टम पर काफी असर पड़ा है.
पहले संक्रमण का कारण अब पार्श्व प्रभाव
वर्ष 2020 में यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो के एक शोध में बताए गए आंकड़ों कि माने तो जिन लोगों में विटामिन डी की कमी थी उनमें से तकरीबन 20% लोग कोविड-19 पॉजिटिव पाए गए थे. इस बात की पुष्टि कुछ अन्य शोधों में भी की गई थी की शरीर में विटामिन डी की कमी लोगों को कोरोना संक्रमण को लेकर संवेदनशील बना सकती है.
लेकिन संक्रमण के कारणों में से गिनी जाने वाली यह समस्या लोगों में वर्तमान समय में इसके पार्श्व प्रभाव के रूप में भी नजर आ रही है. चिकित्सकों तथा अन्य माध्यमों से प्राप्त आंकड़ों की माने तो कोरोना काल से पहले जहां लोगों में विटामिन डी की कमी के लगभग 40% मामले सामने आ रहे थे वहीं अब यह संख्या बढ़कर 90% से ज्यादा हो गई है. यहां तक शरीर में विटामिन डी की जरूरत से ज्यादा कमी को कोविड-19 के सबसे ज्यादा नजर आने वाले प्रभावों में से एक माना जा रहा है.
विटामिन डी डेफिशिएंसी के कारण
लखनऊ के आर्थोपेडिक चिकित्सक डॉ रशीद खान बताते हैं कि दरअसल कोरोना संक्रमण के कारण कई पीड़ित रह चुके लोग शरीर में इम्यूनोमोड्यूलेशन की समस्या का सामना कर रहे हैं. संक्रमण के उनके इम्यून सिस्टम पर पड़े प्रभाव के चलते उन्हे ना सिर्फ शरीर में कई तरह के दर्द और समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है वहीं उनके शरीर में आहार से मिलने वाले पोषक तत्वों के सही तरह से अवशोषिण में भी समस्या देखने में आ रही है. जिसका प्रभाव शरीर पर कई तरह से नजर आ रहा है.
वह बताते हैं कि विटामिन डी हमारे शरीर में कैल्शियम, फास्फेट तथा मैग्नीशियम जैसे मिनरल तथा कई अन्य पोषक तत्वों के अवशोषण में मदद करता है. जिससे ना सिर्फ हमारी हड्डियां और मांसपेशियां मजबूत रहती हैं बल्कि ह्रदय, किडनी व शरीर के कई अन्य अंगों से जुड़ी समस्याओं से भी बचाव होता है. इसके अतिरिक्त यह हमारी इम्यूनिटी को मजबूत करने के साथ शरीर में कई हार्मोन संबंधी क्रियाओं को विनियमित करने का कार्य भी करता है.
ऐसे में शरीर में विटामिन डी की कमी सिर्फ हड्डियों सम्बधी हल्के और जटिल रोगों ही नहीं, बल्कि कई अन्य शारीरिक और कई बार न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर या समस्याओं का कारण या उन्हे ट्रिगर करने वाला कारक बन सकती है.
विटामिन डी डेफिशिएंसी के लक्षण व प्रभाव
वर्ष 2021 में मेडिकल जनरल नेचर में प्रकाशित एक अध्ययन में बताया गया था कि भारत अफगानिस्तान और ट्यूनीशिया जैसे देशों में लगभग 20% आबादी विटामिन डी की कमी से जूझ रही है. इस शोध में यह भी बताया गया था कि उस समय तक भारत में लगभग 49 करोड़ लोगों में विटामिन डी की भारी कमी थी.
डॉ रशीद बताते हैं कि शरीर में विटामिन डी की कमी होने पर आमतौर पर लोगों में बहुत ही आम लक्षण नजर आते हैं...
- लगातार थकान व सुस्ती
- हड्डियों,पीठ व जोड़ों में दर्द
- बालों का टूटना व झड़ना
- मूड में बदलाव
- तनाव की अधिकता
- कमजोर इम्यूनिटी
- किसी चोट या घाव का जल्दी ठीक ना होना
चूंकि ये लक्षण बहुत आम है इसलिए शुरुआती दौर में ज्यादातर लोग इन्हे लेकर कोई ध्यान नहीं देते हैं लेकिन यदि शरीर में विटामिन डी की कमी जरूरत से ज्यादा होने लगे तो इन लक्षणों की तीव्रता ज्यादा नजर आने लगती है. वहीं इसके चलते शरीर में कई अन्य रोगों के पनपने की आशंका भी बढ़ जाती है. आमतौर पर ऑटोइम्यून संबंधी , न्यूरोलॉजिकल, ह्रदय और यहां तक की कैंसर जैसे जटिल रोगों के लिए शरीर में विटामिन डी की कमी को एक जिम्मेदार कारक के रूप में माना जाता है. यहां तक की इसकी कमी के चलते कई बार गर्भावस्था में जटिलताएं हो सकती हैं तथा गर्भस्थ शिशु के विकास पर भी असर पड़ सकता है.
इसे भी जरूर पढ़ें.. 'अच्छे' कोलेस्ट्रॉल का लेवल ज्यादा होने से Heart Attack में कमी की कोई गारंटी नहीं
विटामिन डी डेफिशिएंसी से कैसे करें बचाव
वह बताते हैं कि सही खानपान, विशेषकर ऐसे आहार का सेवन करना जिसमें विटामिन डी ज्यादा मात्रा में पाया जाता हो जैसे दूध विशेषकर गाय का दूध, दही, पनीर, मक्खन आदि डेयरी उत्पाद, अंडा, संतरे का जूस, मशरूम, साबुत अनाज, सोया उत्पाद, कॉड लिवर ऑयल तथा मांसाहार में मछली या ओयस्टर व झींगा जैसे सीफूड आदि तथा प्रतिदिन धूप में कम से कम 20 से 30 मिनट का समय बिताकर तथा जरूरत पड़ने पर सप्लीमेंट की मदद लेकर विटामिन डी की कमी को दूर किया जा सकता है या उससे बचा जा सकता है.
साथ ही वह यह भी बताते हैं कि धूप में समय बिताने से पहले यह जानना भी जरूरी है कि किस मौसम में किस समय की धूप विटामिन डी की पूर्ति में फायदेमंद होती है. दरअसल हर मौसम में धूप की तीव्रता अलग अलग होती है, तथा गलत समय में या ज्यादा तेज धूप में ज्यादा समय बिताने से त्वचा संबंधी तथा कुछ अन्य समस्याएं भी हो सकती है. वह बताते हैं कि गर्मी के मौसम में सुबह की यानी 10 बजे तक की धूप लेना फायदेमंद होता है वहीं सर्दियों में दोपहर तक भी धूप में बैठा जा सकता है.
सप्लीमेंट की जरूरत और फायदे के बारें में डॉ रशीद बताते हैं कि विटामिन डी के सप्लीमेंट का सेवन हमेशा चिकित्सक की सलाह के उपरांत ही करना चाहिए. क्योंकि शरीर में विटामिन डी का जरूरत से ज्यादा होना भी कई बार सेहत पर विपरीत प्रभाव भी दे सकता है.
ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप