आमतौर पर इस आशंका के साथ की कहीं बच्चे को उसके आहार से पूरा पोषण मिल रहा है या नही या फिर इस डर या इस भ्रम में बच्चों के विकास के लिए उन्हे ज्यादा पोषण की जरूरत होती है, कई मातापिता अपने बच्चों को विभिन्न प्रकार के सप्लीमेंट्स देने लगते हैं. कभी मल्टीविटामिन, कभी दूध में मिलाये जाने वाले सप्लीमेंट्स, तो कभी कैपसूल या सिरप के रूप कई मातापिता अपने बच्चों को अतिरिक्त पोषण देने का प्रयास करते रहते हैं, लेकिन बिना जरूरत सप्लीमेंट्स का सेवन बच्चों में कुछ समस्याओं का कारण भी बन सकता है.
सभी के लिए सप्लीमेंट्स जरूरी नहीं
गाजियाबाद की बाल रोग विशेषज्ञ डॉ आशा राठौर बताती हैं कि बच्चों के विकास के लिए पोषण बहुत जरूरी है, लेकिन उनकी उम्र के अनुसार उनके लिए कितनी मात्रा में पोषण जरूरी है इस बात की जानकारी होना भी बहुत जरूरी है.
वह बताती हैं कि आमतौर जो बच्चे सही मात्रा में सब्जी, फलों और अनाज से युक्त पौष्टिक आहार ग्रहण करते हैं उन्हे सप्लीमेंट्स की जरूरत नही होती है. लेकिन ऐसे बच्चे जो हरी सब्जियां, फल और सामान्य भोजन खाने में आनाकानी करते हैं, और उसकी बजाय जंकफूड या चिप्स आदि स्नैक्स ज्यादा खाते हैं, उनके शरीर में जरूरी पोषण की मात्रा जरूर कम हो सकती है. या फिर कई बार किसी विशेष शारीरिक अवस्था या रोग के कारण भी बच्चों के शरीर में पोषण की कमी हो सकती है.
ऐसे में बच्चे के शरीर की जरूरत और उसके शरीर में किस प्रकार के पोषण की कमी नजर आ रही है इस बात को ध्यान में रखते हुए बच्चों के लिए फूड सप्लीमेंट या सामान्य सप्लीमेंट प्रिस्क्राइब किए जाते हैं. लेकिन बच्चे के शरीर में यदि पोषण की कमी नजर नही आ रही है, या उसे किसी प्रकार की कोई समस्या नही हो रही हो तो आकारण उन्हे सप्लीमेंट देने की जरूरत नही होती है.
बिना जरूरत सप्लीमेंट का सेवन हो सकता है नुकसानदायक
वह बताती हैं कि कई बार माता पिता बगैर जरूरत तथा बिना चिकित्सक की सलाह लिए बच्चों को अपने आप या किसी के कहने पर कैल्शियम, प्रोटीन या आयरन सप्लीमेंट देने लगते हैं जो कई बार शरीर में कुछ परेशानियों का सबब बन सकता हैं.
वह बताती हैं कि यह सही है कि सामान्य अवस्था में बढ़ती उम्र में बच्चों को यदि थोड़ी अतिरिक्त मात्रा में पोषण मिलता भी है तो उससे रोग या समस्याओं का खतरा ज्यादा नही बढ़ता है, लेकिन यदि यह पोषण यदि उसे प्राकृतिक स्वरूप में यानी उसके आहार के माध्यम से मिले तो ही शरीर पर खराब प्रभाव नही दिखाता है. आमतौर पर बाजार में मिलने वाले कुछ मल्टीविटामिन सिरप, कैप्सूल, प्रोटीन पॉउडर या एनर्जी ड्रिंक्स में अतिरिक्त शक्कर सहित कई ऐसे तत्व भी पाए जाते हैं , जिनका लगातार तथा ज्यादा मात्रा में सेवन बच्चों में मधुमेह, पाचन तंत्र में समस्या, आहार या त्वचा संबंधी एलर्जी तथा कुछ अन्य प्रकार की समस्याओं का कारण बन सकते हैं.
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कब जरूरी हैं सप्लीमेंट्स
वह बताती हैं कि कई बार बच्चे बाजार में मिलने वाले या जंक फूड की श्रेणी में आने वाले आहार का सेवन ज्यादा करने लगते हैं. ऐसे में वे शरीर के लिए जरूरी पौष्टिक आहार कम मात्रा में खाते हैं. ऐसे में कई बार उनमें थकान, शरीर में दर्द, विकास की गति का धीमा पड़ना, आलस की मात्रा बढ़ जाना, त्वचा की रंगत बदलना, आंखे कमजोर होना, त्वचा संबंधी समस्या तथा पेट संबंधी समस्याएं होने जैसे लक्षण नजर आने लगते हैं. ऐसी अवस्था में उनकी सम्पूर्ण जांच के बाद चिकित्सक उन्हे कुछ विशेष सप्लीमेंट देने की सलाह दे सकते हैं. लेकिन आमतौर पर सभी चिकित्सकों का परामर्श यही होता है शरीर में पोषण की कमी आहार से हो पूरी की जाय .
इसके अलावा ऐसे बच्चे जो लैक्टोज़ इंटोलेरेंट होते हैं यानी जो दूध नहीं पी पाते हैं, वे बच्चे जिन्हे ग्लूटिन एलर्जी होती हैं और वे कई प्रकार के अनाज नही खा पाते हैं, या ऐसे बच्चे जो केवल सामान्य शाकाहारी भोजन करते हैं, उनमें विटामिन डी 3 व अन्य विटामिन, कैल्शियम, बी-12 , ओमेगा-3, जिंक तथा आयरन आदि पोषक तत्वों की कमी हो सकती है. ऐसी अवस्था में बच्चों को चिकित्सक की सलाह पर सप्लीमेंट दिये जा सकता है. इसके अलावा भी कई अन्य प्रकार की चिकित्सीय परिस्तिथ्यों में बच्चों को सप्लीमेंट्स देना जरूरी हो जाता है.
सावधानी जरूरी
डॉ आशा बताती हैं कि कई बार माता पिता अपने बच्चे को इस सोच के साथ, कि मल्टीविटामिन या अन्य सप्लीमेंट देने से उनके बच्चे के शरीर की सभी जरूरतें पूरी हो रही हैं , उनके आहार की तरह ज्यादा ध्यान नही देते हैं, जो बिल्कुल सही नही है. मल्टीविटामिन या अन्य सप्लीमेंट का सेवन एक इमरजेंसी विकल्प के रूप में ही करना चाहिए.
इसके अलावा आजकल बाजार में बच्चों के लिए भी कई प्रकार के एनर्जी ड्रिंक और एनर्जी बार मिलते हैं. जिनके बारें में यह कहा जाता है यदि बच्चा जरूरी मात्रा में खाना नहीं खा रहा है तो वे उसके शरीर के पोषण की जरूरत को पूरा करते हैं और उन्हे एनर्जी और ताकत देते हैं. लेकिन इन खाद्य पदार्थों में कई आर्टिफ़िशियल तत्व मिलाए जाते हैं. ऐसे में इन्हे खाने या पीने से बच्चों में मोटापा तथा डायबिटीज सहित कई प्रकार की बीमारियों का जोखिम बढ़ सकता है.