अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कोरोना वायरस से संक्रमित हुए हैं. आपात चिकित्सा उपचार के बाद अब ट्रंप अस्पताल से व्हाइट हाउस वापस लौट चुके हैं. व्हाइट हाउस जाने के बाद उन्होंने कई बार नागरिकों से कोरोना वायरस से नहीं डरने की अपील की. ट्रंप ने खुद की प्रशंसा भी की कि वर्तमान सरकार के नेतृत्व में अमेरिका में श्रेष्ठ दवाएं और चिकित्सा जानकारी है. लेकिन ट्रंप के बयान से अमेरिकी नागरिक अप्रसन्न हैं. बहुत-से नेटिजनों ने कहा कि हम कोरोना वायरस से डरते हैं, कारण और तथ्य है कि हर किसी अमेरिकी को कारगर दवा और डॉक्टर जल्दी से नहीं मिल सकता है. अधिकांश लोगों की इतनी अच्छी स्थिति नहीं है. राष्ट्रपति होने के नाते ट्रंप को ज्यादा ध्यान और बेहतर देखभाल मिली. उन्हें दिया गया उपचार आम अमेरिकियों को नहीं मिल सकती है. आम अमेरिकियों को उपचार के लिए मोटी रकम देनी पड़ती है.
यह सच है कि महामारी में अमेरिकी लोगों की स्थिति कठिन बनी हुई है. रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका में रोगियों के लिए 6 दिनों तक अस्पताल में भर्ती रहने की औसत लागत करीब 73 हजार 300 डॉलर है. जबकि चीन में स्थिति बिलकुल अलग है. चीनी सरकार ने वचन दिया है कि कोरोना वायरस से संक्रमित सभी मरीजों का चिकित्सा खर्च सरकार खुद ही वहन करेगी, ताकि मरीज बगैर किसी चिंता के अपना उपचार करवा सके.
आंकड़ों के अनुसार 31 मई तक सरकार ने मरीजों के लिए 1 अरब 35 करोड़ युआन की चिकित्सा फीस जमा करवायी है. पुष्ट मामलों के प्रति व्यक्ति चिकित्सा खर्च करीब 23 हजार युआन है. बहुत-से लोगों का मानना है कि यह चीन में महामारी की रोकथाम में विजय पाने का एक अन्य कारण भी है.
अब अमेरिका में कोविड-19 के मौत के मामलों की संख्या 2.1 लाख से अधिक हो चुकी है. अमेरिका में महामारी की स्थिति फिर भी दुनिया में सबसे ज्यादा गंभीर है. प्रसिद्ध अमेरिकी संक्रामक रोग विशेषज्ञ एंथोनी फौची ने चेतावनी दी कि अगर कारगर रोकथाम नहीं की जाती है, तो अमेरिका में मौत के मामलों की संख्या 4 लाख के पार हो जाएगी. शायद दबाव के कारण ट्रंप ने अभी-अभी वचन दिया है कि उन्हें मिली चिकित्सा मुफ्त में अमेरिकी लोगों को दी जाएगी. हम आशा करते हैं कि सभी अमेरिकी मरीज राष्ट्रपति की तरह श्रेष्ठ चिकित्सा उपचार प्राप्त करेंगे.