हमारे समाज में महिलाओं का शारीरिक संबंधों के बाद चरम सुख के बारे में बात करना उतना ही शर्मनाक समझा जाता है, जितना पुरुषों का अपने दोस्तों के बीच इस बारे में बात करना मजेदार. हमारे पुरुष प्रधान समाज में हमेशा इस बात को तवज्जों दी जाती है कि शारीरिक संबंधों से पुरुष संतुष्ट है या नहीं, वह असीम उत्तेजना का अनुभव कर पाता है या नहीं, लेकिन महिलाओं का क्या. एक संभोग के लिए स्त्री और पुरुष दोनों ही जिम्मेदार होते हैं, तो हमेशा एक पक्ष को आनंद की भावनाओं का हकदार क्यों समझा जाता है. शारीरिक संबंधों के दौरान महिलाओं की भावनाओं को लेकर ETV भारत सुखीभवा टीम ने मनोचिकित्सीय सलाहकार डॉ. प्रज्ञा रश्मि से बात की.
सेक्स संबंधी विषयों पर समाज का रवैया
समाज में महिलाओं की स्थिति पर तथा शारीरिक संबंधों के प्रति उसके रवैये को लेकर बात करते हुए डॉ. रश्मि ने बताया कि हालांकि समय बदल रहा है, लेकिन फिर भी महिलाओं में ऑर्गेज्म एक ऐसा विषय है, जिस पर बहुत कम महिलाएं खुल कर अपने विचार सांझा कर पाती है.
संबंधों के दौरान शारीरिक उत्तेजना के चरम के बारे में बात करना तो दूर की बात है, महिलाएं खुल कर अपनी शारीरिक परेशानियों के बारे में भी चर्चा नहीं करती हैं. जिसका मुख्य कारण हैं की सदियों से हमारे पुरुष प्रधान समाज में संभोग को सिर्फ पुरुष के अधिकार क्षेत्र में अंकित किया गया है. वहीं महिलाओं में शारीरिक संबंधों को उसकी प्रजनन क्षमताओं से जोड़ा जाता है.
यदि कोई महिला शारीरिक संबंधों में अपनी इच्छाओं तथा अपनी संतुष्टि के बारे में सिर्फ अपने पति से भी बात करना चाहे तो उसे शर्मसार करने वाली उपमाओं से नवाजा जाता है. आंकड़े बताते हैं कि हमारे देश में एक बहुत बड़ा प्रतिशत है, उन महिलाओं का जो यह नहीं जानती की जिस तरह पुरुष शारीरिक संबंधों के दौरान चरम सुख प्राप्त करते हैं, उसी तरह महिलाएं भी उत्तेजना के चरम को प्राप्त करती है. जिसे साधारण शब्दों में ऑर्गेज्म कहते हैं.
क्या अंतर है मेल ऑर्गेज्म और फीमेल ऑर्गेज्म में
डॉ. रश्मि बताती हैं कि मेल ऑर्गेज्म यानि पुरुषों में उत्तेजना की वह स्थिति जहां वह स्खलित होता है. शारीरिक संबंधों के दौरान पुरुष एक ही बार चरम उत्तेजना की स्थिति में पहुंचता है. लेकिन महिलाओं के लिए शारीरिक संबंध उत्तेजना के साथ भावना भी जुड़ा होता है.
यह भी सच है कि आदर्श शारीरिक संसर्ग के दौरान महिला पांच से ज्यादा बार ऑर्गेज्म प्राप्त कर सकती है. ये ऑर्गेज्म उनके जननांग के अलग-अलग हिस्सों जैसे भगशेफ या क्लाइटोरिस, योनि तथा ग्रीवा के निचले भाग से जुड़ा होता है. महिलाएं जब साधारण संभोग के दौरान ऑर्गेज्म या संतुष्टि प्राप्त नहीं कर पाती है, तो हस्तमैथुन भी उनके लिए एक संतुष्टिदायक तरीका होता है, चरम तक पहुंचने के लिए. इसके अलावा महिलाओं के शरीर के कई बिन्दु बहुत संवेदनशील होते हैं, जो उसे रतिक्रिया के दौरान अलग-अलग चरणों में ऑर्गेज्म पाने में मदद करते हैं.
डॉ. रश्मि बताती हैं कि एक आनंददायक संबंध महिलाओं की मनस्थिति को काफी बेहतर बना सकता है, तनाव से मुक्ति दिला सकता है. यही नहीं मासिक के दौरान होने वाले दर्द को भी काफी हद तक नियंत्रित कर सकता है. इसके अलावा महिलाओं के हार्मोनल स्वास्थ्य पर भी एक अच्छे शारीरिक संबंध का काफी सकारात्मक असर पड़ता है.
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