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लें शपथ अंधेरे को उजाले से परिचित करवाने की: नेत्रदान पखवाड़ा विशेष - नेत्रदान पखवाड़ा का उद्देश्य

25 अगस्त से लेकर 8 सितंबर तक राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा मनाया जाता है. हर साल लाखों लोग किसी ना किसी कारण अंधेपन का शिकार हो जाते है और नेत्रदाता की कमी के चलते अंधेरे में जीने के लिए मजबूर होते है. इसलिए अधिक से अधिक लोगों को नेत्रदान के महत्व के बारे में जागरूक करने और नेत्रदान करने के लिए प्रेरित करना है.

eye donation fortnight
नेत्रदान पखवाड़ा
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Published : Aug 25, 2020, 12:14 PM IST

Updated : Aug 26, 2020, 9:32 AM IST

कभी सोचा है की कैसी होती होगी वो दुनिया जहां सिर्फ आवाज है. कोई रंग नहीं, कोई आकार नहीं, सिर्फ अंधेरा है. प्रकृति की खूबसूरती, रिश्तों के चेहरे, हमेशा दूसरों पर आश्रित रहने की मजबूरी, सोच कर भी डर लगता है. लेकिन क्या आप जानते है की एक छोटे से प्रयास से आपके इस दुनिया से जाने के बाद कोई और आपकी आंखों से अपने जीवन के कैनवास को रंगों और खुशियों से भर सकता है! ऐसे ही बहुत सी जिंदगियों को अंधकार से निकाल कर रोशनी के उजाले में लाने की सोच और उम्मीद लिए हर साल 25 अगस्त से 8 सितंबर तक राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा मनाया जाता है. नेत्रदान के महत्व को जन-जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले इस नेत्रदान कुम्भ में चिकित्सक, समाजसेवी तथा विभिन्न संगठनों से जुड़े लोग नेत्रदान को लेकर जागरूकता फैलाने का प्रयास करते हैं साथ ही लोगों को अपनी आंखें दान करने की शपथ लेने के लिए भी प्रेरित किया जाता है.

नेत्रदान महादान

विश्व स्वास्थ्य संगठन यानि डब्ल्यूएचओ के अनुसार अंधापन के कई कारण हो सकते हैं. जिनमें कॉर्निया की बीमारी मोतियाबिंद और ग्लूकोमा जैसी बीमारियां मुख्य है.

चिकित्सकों ओर जानकारों की माने तो अधिकतर दृष्टि हानि के मामलों को नेत्रदान के जरिए उपचार करके ठीक किया जा सकता है. यदि कोई व्यक्ति अपनी मृत्यु से पहले अपनी आंखे दान कर देता है, तो उसकी कॉर्निया को शल्य चिकित्सा के माध्यम से किसी जरुरतमंद व्यक्ति की आंखों में प्रत्यारोपित कर उसे नई जिंदगी दी जा सकती है.

नेत्रदान को लेकर लोगों में उदासीनता

भारत में नेत्रदान करने वालों की संख्या बेहद कम है. सिर्फ नेत्रदान ही नहीं बल्कि हर प्रकार के अंगदान को लेकर लोगों के मन में कई प्रकार के भ्रम और भ्रांतिया फैली हुई है. जागरूकता का अभाव कहा जाये, या अस्पतालों और संस्थानों में अभी भी अपर्याप्त सुविधाएं या फिर नेत्रदान को लेकर लोगों की संकीर्ण सोच, और उस पर पुराणपंथी मान्यताएं, लोग नेत्रदान के बारे में बात तो करते हैं, लेकिन स्वयं नेत्रदान की हिम्मत नहीं जुटा पाते हैं.

कौन नहीं कर सकता है नेत्र दान

हालांकि नेत्रदान कोई भी व्यक्ति कर सकता है, बशर्ते वह एड्स, सिफलिस या रक्त संबंधी संक्रमण से पीड़ित व्यक्ति ना हो. ऐसे व्यक्ति जिनकी मृत्यु रेबीज से हुई हो, उनकी आंखे दान नहीं की जा सकती है. इसके अलावा ये एक गलतफहमी है की मधुमेह या कैंसर से पीड़ित व्यक्ति अपनी आंखें दान नहीं कर सकता. मधुमेह, कैंसर, उच्च रक्तचाप तथा ऐसे व्यक्ति भी जो चश्मा लगते हो, आंखें दान कर सकता है.

कैसे करें नेत्रदान

किसी भी लिंग, जाति तथा धर्म का वयस्क व्यक्ति सरकारी वेबसाइट पर या विभिन्न संस्थाओं तथा अस्पतालों में उपलब्ध शपथपत्र को भर कर नजदीकी नेत्र बैंक में जमा करवा सकता है. एक बार नेत्रदाता के रूप में चिन्हित होने पर शपथ लिए व्यक्ति को नेत्रदाता कार्ड उपलब्ध करवाया जाता है.

नेत्रदान से जुड़ी विशेष जानकारियां

  • नेत्रदान में कोई पैसे नहीं लगते है.
  • नेत्रदान का लाभ केवल कॉर्निया से नेत्रहिन व्यक्ति को होता है.
  • जीवित व्यक्ति की आंखें दान नहीं की जा सकती है.
  • नेत्रदान में केवल 15 से 20 मिनट का समय लगता है.
  • कॉर्निया को मृत्यु के एक घंटे के अंदर निकालना जरूरी है.
  • दान की गई आंखों को खरीदा या बेचा नहीं जाता है.
  • पंजीकृत नेत्रदाता बनने के लिए नजदीकी नेत्र बैंक से भी संपर्क किया जा सकता है.
  • यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु के उपरांत उसके परिजन उसकी आंखे दान करना चाहे तो वह नेत्र बैंक में जानकारी देकर नेत्रदान कर सकते है, भले ही उन्होंने पहले से पंजीकरण ना भी करवाया हो.

कभी सोचा है की कैसी होती होगी वो दुनिया जहां सिर्फ आवाज है. कोई रंग नहीं, कोई आकार नहीं, सिर्फ अंधेरा है. प्रकृति की खूबसूरती, रिश्तों के चेहरे, हमेशा दूसरों पर आश्रित रहने की मजबूरी, सोच कर भी डर लगता है. लेकिन क्या आप जानते है की एक छोटे से प्रयास से आपके इस दुनिया से जाने के बाद कोई और आपकी आंखों से अपने जीवन के कैनवास को रंगों और खुशियों से भर सकता है! ऐसे ही बहुत सी जिंदगियों को अंधकार से निकाल कर रोशनी के उजाले में लाने की सोच और उम्मीद लिए हर साल 25 अगस्त से 8 सितंबर तक राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा मनाया जाता है. नेत्रदान के महत्व को जन-जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले इस नेत्रदान कुम्भ में चिकित्सक, समाजसेवी तथा विभिन्न संगठनों से जुड़े लोग नेत्रदान को लेकर जागरूकता फैलाने का प्रयास करते हैं साथ ही लोगों को अपनी आंखें दान करने की शपथ लेने के लिए भी प्रेरित किया जाता है.

नेत्रदान महादान

विश्व स्वास्थ्य संगठन यानि डब्ल्यूएचओ के अनुसार अंधापन के कई कारण हो सकते हैं. जिनमें कॉर्निया की बीमारी मोतियाबिंद और ग्लूकोमा जैसी बीमारियां मुख्य है.

चिकित्सकों ओर जानकारों की माने तो अधिकतर दृष्टि हानि के मामलों को नेत्रदान के जरिए उपचार करके ठीक किया जा सकता है. यदि कोई व्यक्ति अपनी मृत्यु से पहले अपनी आंखे दान कर देता है, तो उसकी कॉर्निया को शल्य चिकित्सा के माध्यम से किसी जरुरतमंद व्यक्ति की आंखों में प्रत्यारोपित कर उसे नई जिंदगी दी जा सकती है.

नेत्रदान को लेकर लोगों में उदासीनता

भारत में नेत्रदान करने वालों की संख्या बेहद कम है. सिर्फ नेत्रदान ही नहीं बल्कि हर प्रकार के अंगदान को लेकर लोगों के मन में कई प्रकार के भ्रम और भ्रांतिया फैली हुई है. जागरूकता का अभाव कहा जाये, या अस्पतालों और संस्थानों में अभी भी अपर्याप्त सुविधाएं या फिर नेत्रदान को लेकर लोगों की संकीर्ण सोच, और उस पर पुराणपंथी मान्यताएं, लोग नेत्रदान के बारे में बात तो करते हैं, लेकिन स्वयं नेत्रदान की हिम्मत नहीं जुटा पाते हैं.

कौन नहीं कर सकता है नेत्र दान

हालांकि नेत्रदान कोई भी व्यक्ति कर सकता है, बशर्ते वह एड्स, सिफलिस या रक्त संबंधी संक्रमण से पीड़ित व्यक्ति ना हो. ऐसे व्यक्ति जिनकी मृत्यु रेबीज से हुई हो, उनकी आंखे दान नहीं की जा सकती है. इसके अलावा ये एक गलतफहमी है की मधुमेह या कैंसर से पीड़ित व्यक्ति अपनी आंखें दान नहीं कर सकता. मधुमेह, कैंसर, उच्च रक्तचाप तथा ऐसे व्यक्ति भी जो चश्मा लगते हो, आंखें दान कर सकता है.

कैसे करें नेत्रदान

किसी भी लिंग, जाति तथा धर्म का वयस्क व्यक्ति सरकारी वेबसाइट पर या विभिन्न संस्थाओं तथा अस्पतालों में उपलब्ध शपथपत्र को भर कर नजदीकी नेत्र बैंक में जमा करवा सकता है. एक बार नेत्रदाता के रूप में चिन्हित होने पर शपथ लिए व्यक्ति को नेत्रदाता कार्ड उपलब्ध करवाया जाता है.

नेत्रदान से जुड़ी विशेष जानकारियां

  • नेत्रदान में कोई पैसे नहीं लगते है.
  • नेत्रदान का लाभ केवल कॉर्निया से नेत्रहिन व्यक्ति को होता है.
  • जीवित व्यक्ति की आंखें दान नहीं की जा सकती है.
  • नेत्रदान में केवल 15 से 20 मिनट का समय लगता है.
  • कॉर्निया को मृत्यु के एक घंटे के अंदर निकालना जरूरी है.
  • दान की गई आंखों को खरीदा या बेचा नहीं जाता है.
  • पंजीकृत नेत्रदाता बनने के लिए नजदीकी नेत्र बैंक से भी संपर्क किया जा सकता है.
  • यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु के उपरांत उसके परिजन उसकी आंखे दान करना चाहे तो वह नेत्र बैंक में जानकारी देकर नेत्रदान कर सकते है, भले ही उन्होंने पहले से पंजीकरण ना भी करवाया हो.
Last Updated : Aug 26, 2020, 9:32 AM IST
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