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महिला दिवस : आंतरिक स्वच्छता को लेकर महिलाओं में जागरूकता फैलाना जरूरी

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Published : Mar 8, 2021, 3:05 PM IST

कोरोना महामारी के बाद से लोगों को स्वच्छता के महत्व को समझाया जा रहा है। इसी कड़ी में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर महिलाओं के आंतरिक स्वच्छता को लेकर भी जागरूकता फैलाया जा रहा है, जिससे यूटीआई, पीसीओडी, मूत्राशय की सूजन जैसी समस्याओं पर नियंत्रण लाया जा सके। इसके लिए भारतीय वैज्ञानिकों ने आयुर्वेद और औषधियुक्त उत्पाद विकसित किया है।

Ayurveda strives for internal hygiene of women
महिलाओं की आंतरिक स्वच्छता के लिए आयुर्वेद का प्रयास

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर भारतीय वैज्ञानिकों ने महिलाओं को संक्रमण से बचाने के लिए नई तकनीक विकसित की है। इसका कारण यह है कि कोरोना महामारी में सरकार लोगों से स्वच्छता पर विशेष ध्यान देने के लिए जोर दे रही है। बार-बार हाथ धोने की आदत और चेहरे पर मास्क लगाना ही असली वैक्सीन है। ऐसे में महिलाओं में आंतरिक स्वच्छता को लेकर भी सवाल उठते हैं, जिनकी वजह से उन्हें काफी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। इसीलिए भारतीय वैज्ञानिकों ने आयुथ वेदा को विकसित किया है। अक्सर रसायन युक्त उत्पादों के इस्तेमाल से महिलाओं पर उल्टा असर पड़ता है। खासतौर पर अगर आंतरिक अंगों की स्वच्छता को लेकर बात करें तो और भी ज्यादा सतर्कता की आवश्यकता है।

इन्हीं रसायनों से महिलाओं को सुरक्षित रखने के लिए एमिल फॉर्मा के वैज्ञानिकों ने पाया कि हर्बल उत्पादों में इस्तेमाल रसायनों की जगह औषधियों के इस्तेमाल से संक्रमण की आशंका को बेहद कम किया जा सकता है।

इतना ही नहीं वैज्ञानिकों ने ग्रीन टी और हल्दी का उपयोग कर आयुथ वेदा के तहत वेजिटोन हाइजीन वॉश को तैयार किया। सल्फेट, पेट्रोलियम प्रोडक्ट, सिलिकॉन और आर्टिफिशियल कलर इत्यादि को इससे दूर रखा गया। इसके लिए उन्होंने सुगंध एवं सुरस विकास केंद्र के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित तकनीक का इस्तेमाल किया।

एमिल फॉर्मास्युटिकल के कार्यकारी निदेशक संचित शर्मा ने बताया कि महिलाओं को उत्कृष्ट व्यक्तिगत अंतरंग स्वच्छता प्रदान करने के लिए पीएच फामूर्ला पर वेजिटोन को तैयार किया है। इसमें ग्रीन टी, एलोवेरा, हरिद्रा, पलाश, माजूफल, आमला और स्फटिक अपने विशेष गुणों से जीवाणुओं को नष्ट करता है। साथ ही पीएच संतुलन को बनाए रखता है।

जानकारी के अनुसार महिलाओं के आंतरिक अंगों की स्वच्छता के लिए बने वेजिटोन में ग्रीन टी, एलोवेरा, हरिद्रा, पलाश, माजूफल, आमला और स्फटिक आदि हैं जो अपने विशेष गुणों के कारण जीवाणुओं के संक्रमण को रोकते हैं।

दिल्ली स्थित आयुर्वेद अस्पताल के निदेशक डॉ. आर पी पाराशर का कहना है कि जरा सी लापरवाही से उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है। इसलिए आयुर्वेद और औषधियुक्त उत्पाद ही इस्तेमाल किए जा सकते हैं।

पढ़े : कोरोना काल में महिलाओं के योगदान को समर्पित है 'महिला दिवस 2021'

आंकड़ों की मानें तो देश में प्रत्येक 10 में से आठ महिलाओं को योनि संक्रमण का खतरा बना रहता है। जबकि 80 फीसदी से भी ज्यादा महिलाएं अंतरंग स्वच्छता के महत्व को नजरअंदाज करती है, जिसके कारण उन्हें कई तरह के संक्रमण का सामना करना पड़ता है। 18 से 45 वर्ष आयु की महिलाएं अपने कार्यों की व्यस्तता या संकोच के कारण अपना आंतरिक समस्या नहीं बता पाती।

सौजन्य : आईएएनएस

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर भारतीय वैज्ञानिकों ने महिलाओं को संक्रमण से बचाने के लिए नई तकनीक विकसित की है। इसका कारण यह है कि कोरोना महामारी में सरकार लोगों से स्वच्छता पर विशेष ध्यान देने के लिए जोर दे रही है। बार-बार हाथ धोने की आदत और चेहरे पर मास्क लगाना ही असली वैक्सीन है। ऐसे में महिलाओं में आंतरिक स्वच्छता को लेकर भी सवाल उठते हैं, जिनकी वजह से उन्हें काफी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। इसीलिए भारतीय वैज्ञानिकों ने आयुथ वेदा को विकसित किया है। अक्सर रसायन युक्त उत्पादों के इस्तेमाल से महिलाओं पर उल्टा असर पड़ता है। खासतौर पर अगर आंतरिक अंगों की स्वच्छता को लेकर बात करें तो और भी ज्यादा सतर्कता की आवश्यकता है।

इन्हीं रसायनों से महिलाओं को सुरक्षित रखने के लिए एमिल फॉर्मा के वैज्ञानिकों ने पाया कि हर्बल उत्पादों में इस्तेमाल रसायनों की जगह औषधियों के इस्तेमाल से संक्रमण की आशंका को बेहद कम किया जा सकता है।

इतना ही नहीं वैज्ञानिकों ने ग्रीन टी और हल्दी का उपयोग कर आयुथ वेदा के तहत वेजिटोन हाइजीन वॉश को तैयार किया। सल्फेट, पेट्रोलियम प्रोडक्ट, सिलिकॉन और आर्टिफिशियल कलर इत्यादि को इससे दूर रखा गया। इसके लिए उन्होंने सुगंध एवं सुरस विकास केंद्र के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित तकनीक का इस्तेमाल किया।

एमिल फॉर्मास्युटिकल के कार्यकारी निदेशक संचित शर्मा ने बताया कि महिलाओं को उत्कृष्ट व्यक्तिगत अंतरंग स्वच्छता प्रदान करने के लिए पीएच फामूर्ला पर वेजिटोन को तैयार किया है। इसमें ग्रीन टी, एलोवेरा, हरिद्रा, पलाश, माजूफल, आमला और स्फटिक अपने विशेष गुणों से जीवाणुओं को नष्ट करता है। साथ ही पीएच संतुलन को बनाए रखता है।

जानकारी के अनुसार महिलाओं के आंतरिक अंगों की स्वच्छता के लिए बने वेजिटोन में ग्रीन टी, एलोवेरा, हरिद्रा, पलाश, माजूफल, आमला और स्फटिक आदि हैं जो अपने विशेष गुणों के कारण जीवाणुओं के संक्रमण को रोकते हैं।

दिल्ली स्थित आयुर्वेद अस्पताल के निदेशक डॉ. आर पी पाराशर का कहना है कि जरा सी लापरवाही से उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है। इसलिए आयुर्वेद और औषधियुक्त उत्पाद ही इस्तेमाल किए जा सकते हैं।

पढ़े : कोरोना काल में महिलाओं के योगदान को समर्पित है 'महिला दिवस 2021'

आंकड़ों की मानें तो देश में प्रत्येक 10 में से आठ महिलाओं को योनि संक्रमण का खतरा बना रहता है। जबकि 80 फीसदी से भी ज्यादा महिलाएं अंतरंग स्वच्छता के महत्व को नजरअंदाज करती है, जिसके कारण उन्हें कई तरह के संक्रमण का सामना करना पड़ता है। 18 से 45 वर्ष आयु की महिलाएं अपने कार्यों की व्यस्तता या संकोच के कारण अपना आंतरिक समस्या नहीं बता पाती।

सौजन्य : आईएएनएस

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