कभी आपने महसूस किया है कि जब आप खुश होते है तो कितनी भी बड़ी समस्या हो, आपको ज्यादा परेशानी नहीं होती है. हम हमेशा से जीवन के नैतिक मूल्यों से जुड़ी ऐसी बातें सुनते आयें है कि दूसरों को खुश रखना ही जीवन की सबसे बड़ी खुशी होती है. लेकिन क्या आप जानते हैं की यदि आप स्वयं खुश नही हैं तो दूसरों को खुशी देना लगभग असंभव है और अपनी खुशी तभी संभव है जब आप अपने आप से प्यार करें और अपना मूल्य समझे.
मेंटल वेलनेस के क्षेत्र में कार्य करने वाली संस्था जैविक वेलनेस की फाउंडर, सीईओ तथा काउन्सलर नंदिता बताती हैं कि यदि लोग स्वयं से प्यार करने लगते हैं, तो वह अपनी कमियों, अपनी खूबियों, अपने व्यवहार और अपने जीवन सभी को खुले मन से स्वीकार कर लेते हैं और दूसरों के इच्छा के अनुरूप बनने की जद्दोजहद के चलते मन मस्तिष्क पर पड़ने वाले दबाव और तनाव से काफी हद तक बच पाते हैं.
नंदिता बताती हैं कि हम हमेशा दूसरों को धन्यवाद कहते हैं, लेकिन कभी भी खुद को इस बात के लिए धन्यवाद नही देते हैं कि हम दूसरों की खुशी, उनकी देखभाल और उनकी सहूलियत के लिए कितनी मेहनत कर रहें है. हम अपनी खुद की उपलब्धि पर कभी भी खुद को बधाई नही देते हैं. बल्कि दूसरों से प्रशंसा की अपेक्षा करते हैं. जब हमें वह नही मिलती है तो हम उदास हो जाते है और फिर किसी काम में मन नही लगता है. यानी हम खुद दूसरों से मिलने वाली प्रशंसा को अपनी खुशी का कारण बनाते हैं, साथ ही उन्हे स्वयं को दुख पहुँचाने का मौका देते है. लेकिन अगर हम अपनी उपलब्धि को स्वयं मान दे और उन पर खुश हों तो हमारी दूसरों से अपेक्षा कम हो जाती है. और जहां अपेक्षा नही होती है वहाँ सिर्फ खुशी होती है.
नंदिता बताती हैं स्वयं से प्रेम करने तथा खुद को महत्व देने की आदत सिर्फ एक दिन सोच लेने भर से नही आ जाती है. इसके लिए काफी प्रयास करना पड़ता है और अपनी सोच को बदलने का जटिल कार्य करना पड़ता है, क्योंकि समाज का हिस्सा होने के चलते हम बचपन से इसी धारणा को सत्य मानते आएं हैं कि हमें सामाजिक रूप से स्वीकृत मानकों के कारण, दूसरों की खुशी और उनके समक्ष आदर्श बनने के लिए एक अलग तरह के व्यक्तित्व के रूप में खुद को बदलना चाहिए.
नंदिता बताती हैं कि हालांकि स्वयं से प्रेम करने की प्रवृत्ति एक लंबी अवधि की प्रक्रिया है, लेकिन इसकी शुरुआत जरूरी है जिसके लिए निम्नलिखित बातें मददगार हो सकती हैं.
- अपनी पसंद को समझना
हम हमेशा खाने में, खेल में, कहीं बाहर जाने में दूसरों की पसंद को प्राथमिकता देते हैं. वहीं अपनी रोजमर्रा की जिंदगी हम सिर्फ अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने में बिता देते हैं. जिसका नतीजा अपने जीवन को लेकर असंतोष के रूप में सामने आता है. वहीं अगर प्रतिदिन हम अपना कुछ समय ऐसे कार्य करके बिताएं जिनसे हमें खुशी मिलती हो या कोई ऐसा कार्य भी करें जिससे हमें कुछ पा लेने की अनुभूति हो तो हम ज्यादा तसल्ली वाली नींद सोते हैं. इसलिए अपनी पसंद को पहचाने तथा अपनी रोज की दिनचर्या में से कुछ समय खुद को दें. - अपनी उपलब्धियों को मानें
कई बार यदि कोई व्यक्ति दूसरों के सामने अपनी उपलब्धियों के बारें में बताता है तो लोग उसे ताना देते हैं उसकी पीठ पीछे बुराई करते है कि वह कितना घमंडी है या अपने मुंह मियां मिट्ठू बन रहा है. मगर वह यह नहीं देखते हैं कि उसकी उपलब्धि के पीछे उसकी कितनी मेहनत छिपी है और सबसे बड़ी बात यह है की अपनी उपलब्धि और उसे दूसरों के सामने बताने का मौका उसे कितनी खुशी दे रहा है. नंदिता कहती हैं कि भले ही आप अपनी खुशियों को दूसरों के सामने बोलकर न बताएं लेकिन खुद को उन पर गर्व करने का मौका जरूर दें. - अपने स्वास्थ्य को लेकर जागरूक रहें
नंदिता बताती हैं कि यदि हमारा शरीर और मन स्वस्थ नही है तो हम चाहकर भी दूसरों की बेहतर सेहत के लिए मेहनत नही कर सकते हैं. हमें अपने दर्द और समस्या की अनदेखी नही करनी चाहिए. इसके साथ ही अपने बेहतर मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य के लिए प्रयास करते रहना चाहिए. नियमित व्यायाम, मेडिटेशन, खेलकूद, शरीर की नियमित जांच, दोस्तों और परिजनों के साथ घूमने जाना तथा समय व्यतीत करना कुछ ऐसे माध्यम हैं जो हमें खुश और स्वस्थ रखते हैं. विशेष रूप से ध्यान या मेडिटेशन हमारी सोच को केंद्रित करने में मदद करता है. - खुद से कहें 'आई लव यू'
नंदिता बताती हैं की उनके पास सलाह लेने आने वाले अधिकांश लोगों को वे सलाह देती हैं कि दिन में कम से कम एक बार आईने में देखकर खुद को "आई लव यू" अवश्य कहें . यह सुनने में अटपटा लग सकता है और शुरुआत में करने में बहुत ज्यादा अजीब लगता है, लेकिन धीरे धीरे यह एक वाक्य आपके मन में सकरात्मकता और खुद के प्रेम को भावना को बढ़ाने लगता है.
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