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अच्छी नींद लेने के बाद सीखने की क्षमता बेहतर होती है: शोध - tips to learn better

आमतौर पर माना जाता है कि जब हम अच्छी नींद लेते हैं तो हमारा मस्तिष्क ज्यादा बेहतर तरीके से कार्य करता है. जिसकी पुष्टि चिकित्सक और जानकार सभी करते हैं. वहीं सभी इस बात की पुष्टि भी करते हैं कि अच्छी नींद का हमारे शरीर के सभी तंत्रों पर बहुत सकारात्मक असर पड़ता है. नींद हमारी सीखने की क्षमता को भी बेहतर करती है. हाल ही में हुए एक शोध में निष्कर्षों में यह बताया गया है कि सो कर उठने के बाद सीखने की क्षमता ज्यादा बेहतर होती है.

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अच्छी नींद लेने के बाद सीखने की क्षमता बेहतर होती है: शोध
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Published : Apr 29, 2022, 6:17 PM IST

ब्राउन यूनिवर्सिटी तथा आर.आई.के.ई.एन. सेंटर फॉर ब्रेन साइंस जापान के शोधकर्ताओं द्वारा मस्तिष्क तथा सीखने की क्षमता के बीच के संबंध को जांचने के लिए किए गए एक शोध में यह बात सामने आई है कि सोकर उठने के बाद सीखना ज्यादा बेहतर परिणाम देता है. “ द जर्नल ऑफ न्यूरोसाइंस” में प्रकाशित इस शोध में शोधकर्ताओं ने इस बात का अध्ययन किया था कि जागने के उपरांत व्यक्ति का मस्तिष्क किस तरह से कार्य करता है. इस प्रयोग आधारित शोध में “सीखने पर निर्भर” बनाम “उपयोग पर निर्भर मॉडल” को शोध का आधार बनाया गया था. जिसके नतीजों में सामने आया कि नींद का “सीखने पर निर्भर मॉडल” में ज्यादा असरदार प्रभाव पड़ा था. गौरतलब है कि इस शोध में इस बात का भी अध्ययन किया गया कि नींद सीखने की प्रक्रिया का कैसे समर्थन करती है.

शोध का उद्देश्य

शोध के बारे में तथा उसके निष्कर्षों के बारे में ज्यादा जानकारी देते हुए शोध के प्रमुख लेखक तथा ब्राउन यूनिवर्सिटी में न्यूरो साइंस ग्रैजुएट प्रोग्राम में संज्ञानात्मक, भाषाई और मनोविज्ञान की प्रोफेसर डॉ यूका सासाकी ने बताया कि शोध में इस्तेमाल किए गए दोनों मॉडलों में से “उपयोग पर निर्भर मॉडल “ (यूज डिपेंडेंट मॉडल) में इस बात का अध्ययन किया गया था कि एक व्यक्ति सोने से पहले जितना सीखता है, उसे लेकर सोते समय उसके मस्तिष्क में क्या प्रक्रिया होती है तथा सोकर जागने के बाद उसका मस्तिष्क कैसी प्रतिक्रिया देता है.

वही सीखने पर निर्भर मॉडल (लर्निंग डिपेंडेंट मॉडल) में इस बात का अध्ययन किया गया था कि नींद के दौरान व्यक्ति के मस्तिष्क की जो भी स्थिति होती है, वह जागने के बाद किस तरह सीधे तौर पर संबंधित तंत्रिका प्रक्रिया को प्रभावित करती है. और उसका सीखने तथा याद रखने की क्षमता पर क्या असर पड़ता है. डॉक्टर सासाकी ने शोध में बताया है कि इस शोध का एक उद्देश्य यह पता लगाना था कि नींद से जुड़े इन दोनों मॉडल्स में से कौन सा मॉडल अपनाने पर सीखने की क्षमता का ज्यादा विकास होता है.

शोध की प्रक्रिया

इस अध्ययन के लिए प्रतिभागियों को दो दलों में बांटा गया था, दोनों में महिला तथा पुरुष दोनों शामिल थे. अध्ययन के दौरान प्रतिभागियों पर कुछ प्रयोग किए गए थे, जिनके लिए विजुअल परसेपच्यूअल लर्निंग ( वीपील ) की मदद ली गई थी. अध्ययन के दौरान दोनों समूहों को पूर्व प्रशिक्षण तथा अन्य प्रकार के प्रशिक्षण भी दिए गए थे. दोनों समूहों के प्रतिभागियों को टेक्सचर डिस्क्रिमिनेशन टास्क ( टीडीटी ) कार्य सिखाया गया. जिसके उपरांत उन्हें 90 मिनट की झपकी लेने के लिए कहा गया. जिसके बाद एक समूह को अतिरिक्त अभ्यास कराए गए.

अध्ययन में झपकी से पहले और बाद में दोनों समूहों के प्रतिभागियों का परीक्षण किया गया. इसके अलावा प्रतिभागी जिस समय झपकी ले रहे थे, उस दौरान उनके मस्तिष्क की तरंगों की जांच भी की गई. जिसमें सामने आया कि “आरईएम” यानी तीव्र नेतृत्व वाली नींद के दौरान व्यक्ति की थीटा गतिविधि और “गैर आरईएम” नींद के दौरान व्यक्ति की सिग्मा गतिविधि, सीखने पर निर्भर प्रक्रियाओं को प्रोत्साहित कर रही थी . गौरतलब है कि मस्तिष्क में थीटा गतिविधि सीखने और काम करने की स्थिति से संबंधित होती है, वही सिग्मा गतिविधि जिसे “स्लीप स्पिनडल “ के नाम से भी जाना जाता है, दीर्घकालिक यादों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है.

निष्कर्ष

शोध के निष्कर्ष में डॉ सासाकी ने बताया है कि इस अध्ययन के उपरांत इस बात की पुष्टि हुई है कि नींद सीखने और स्मृति में पहले की तुलना में अधिक सक्रिय भूमिका निभाती है. साथ ही नींद के बाद सीखना बेहतर और यादों को संरक्षित रहने के लिए फायदेमंद होता है. हालांकि उन्होंने इस बात का भी उल्लेख किया है कि नींद किस तरह से स्मृति को प्रभावित करती है, कई शोधों के उपरांत भी अभी तक इस बारे में विशिष्ट विवरण पूरी तरह से ज्ञात नहीं हो पाया है. इसी के चलते इस शोध के अगले चरणों में वे नींद के दौरान मस्तिष्क के अन्य हिस्सों तथा प्रक्रिया की जांच करना चाहेंगे.

पढ़ें: बीमारी नहीं लर्निंग डिसऑर्डर है डिस्‍लेक्सिया

ब्राउन यूनिवर्सिटी तथा आर.आई.के.ई.एन. सेंटर फॉर ब्रेन साइंस जापान के शोधकर्ताओं द्वारा मस्तिष्क तथा सीखने की क्षमता के बीच के संबंध को जांचने के लिए किए गए एक शोध में यह बात सामने आई है कि सोकर उठने के बाद सीखना ज्यादा बेहतर परिणाम देता है. “ द जर्नल ऑफ न्यूरोसाइंस” में प्रकाशित इस शोध में शोधकर्ताओं ने इस बात का अध्ययन किया था कि जागने के उपरांत व्यक्ति का मस्तिष्क किस तरह से कार्य करता है. इस प्रयोग आधारित शोध में “सीखने पर निर्भर” बनाम “उपयोग पर निर्भर मॉडल” को शोध का आधार बनाया गया था. जिसके नतीजों में सामने आया कि नींद का “सीखने पर निर्भर मॉडल” में ज्यादा असरदार प्रभाव पड़ा था. गौरतलब है कि इस शोध में इस बात का भी अध्ययन किया गया कि नींद सीखने की प्रक्रिया का कैसे समर्थन करती है.

शोध का उद्देश्य

शोध के बारे में तथा उसके निष्कर्षों के बारे में ज्यादा जानकारी देते हुए शोध के प्रमुख लेखक तथा ब्राउन यूनिवर्सिटी में न्यूरो साइंस ग्रैजुएट प्रोग्राम में संज्ञानात्मक, भाषाई और मनोविज्ञान की प्रोफेसर डॉ यूका सासाकी ने बताया कि शोध में इस्तेमाल किए गए दोनों मॉडलों में से “उपयोग पर निर्भर मॉडल “ (यूज डिपेंडेंट मॉडल) में इस बात का अध्ययन किया गया था कि एक व्यक्ति सोने से पहले जितना सीखता है, उसे लेकर सोते समय उसके मस्तिष्क में क्या प्रक्रिया होती है तथा सोकर जागने के बाद उसका मस्तिष्क कैसी प्रतिक्रिया देता है.

वही सीखने पर निर्भर मॉडल (लर्निंग डिपेंडेंट मॉडल) में इस बात का अध्ययन किया गया था कि नींद के दौरान व्यक्ति के मस्तिष्क की जो भी स्थिति होती है, वह जागने के बाद किस तरह सीधे तौर पर संबंधित तंत्रिका प्रक्रिया को प्रभावित करती है. और उसका सीखने तथा याद रखने की क्षमता पर क्या असर पड़ता है. डॉक्टर सासाकी ने शोध में बताया है कि इस शोध का एक उद्देश्य यह पता लगाना था कि नींद से जुड़े इन दोनों मॉडल्स में से कौन सा मॉडल अपनाने पर सीखने की क्षमता का ज्यादा विकास होता है.

शोध की प्रक्रिया

इस अध्ययन के लिए प्रतिभागियों को दो दलों में बांटा गया था, दोनों में महिला तथा पुरुष दोनों शामिल थे. अध्ययन के दौरान प्रतिभागियों पर कुछ प्रयोग किए गए थे, जिनके लिए विजुअल परसेपच्यूअल लर्निंग ( वीपील ) की मदद ली गई थी. अध्ययन के दौरान दोनों समूहों को पूर्व प्रशिक्षण तथा अन्य प्रकार के प्रशिक्षण भी दिए गए थे. दोनों समूहों के प्रतिभागियों को टेक्सचर डिस्क्रिमिनेशन टास्क ( टीडीटी ) कार्य सिखाया गया. जिसके उपरांत उन्हें 90 मिनट की झपकी लेने के लिए कहा गया. जिसके बाद एक समूह को अतिरिक्त अभ्यास कराए गए.

अध्ययन में झपकी से पहले और बाद में दोनों समूहों के प्रतिभागियों का परीक्षण किया गया. इसके अलावा प्रतिभागी जिस समय झपकी ले रहे थे, उस दौरान उनके मस्तिष्क की तरंगों की जांच भी की गई. जिसमें सामने आया कि “आरईएम” यानी तीव्र नेतृत्व वाली नींद के दौरान व्यक्ति की थीटा गतिविधि और “गैर आरईएम” नींद के दौरान व्यक्ति की सिग्मा गतिविधि, सीखने पर निर्भर प्रक्रियाओं को प्रोत्साहित कर रही थी . गौरतलब है कि मस्तिष्क में थीटा गतिविधि सीखने और काम करने की स्थिति से संबंधित होती है, वही सिग्मा गतिविधि जिसे “स्लीप स्पिनडल “ के नाम से भी जाना जाता है, दीर्घकालिक यादों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है.

निष्कर्ष

शोध के निष्कर्ष में डॉ सासाकी ने बताया है कि इस अध्ययन के उपरांत इस बात की पुष्टि हुई है कि नींद सीखने और स्मृति में पहले की तुलना में अधिक सक्रिय भूमिका निभाती है. साथ ही नींद के बाद सीखना बेहतर और यादों को संरक्षित रहने के लिए फायदेमंद होता है. हालांकि उन्होंने इस बात का भी उल्लेख किया है कि नींद किस तरह से स्मृति को प्रभावित करती है, कई शोधों के उपरांत भी अभी तक इस बारे में विशिष्ट विवरण पूरी तरह से ज्ञात नहीं हो पाया है. इसी के चलते इस शोध के अगले चरणों में वे नींद के दौरान मस्तिष्क के अन्य हिस्सों तथा प्रक्रिया की जांच करना चाहेंगे.

पढ़ें: बीमारी नहीं लर्निंग डिसऑर्डर है डिस्‍लेक्सिया

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