हैदराबाद: मनोवैज्ञानिकों ने खुलासा किया है कि कुछ बच्चों के अपने माता-पिता द्वारा दंडित किए जाने के बावजूद लापरवाह व्यवहार दिखाने के कई कारण होते हैं. कुछ माता-पिता अपने बच्चों के बार-बार निर्देश देने के बावजूद उचित व्यवहार नहीं करने की शिकायत करते रहते हैं, कभी-कभी उन्हें दंडित भी करते हैं. बच्चे अपने लापरवाह रवैये को जारी रखते हैं और जानबूझकर वही गलतियां करते रहते हैं.
दरअसल, कुछ बच्चे अक्सर अपने दोस्तों-सहपाठियों से लड़ते हैं, कक्षा में चीजें चुराते हैं. अपना गृहकार्य पूरा करने के बारे में भी झूठ बोलते हैं और बहुत कुछ. माता-पिता अक्सर अपने बच्चों को उन पर अच्छे संस्कार डालने के लिए मार्गदर्शन करते करते हैं. कुल मिलाकर उन्हें अच्छा इंसान बनाने की कोशिश करते हैं. जब मार्गदर्शन मदद नहीं करता है, तो कुछ माता-पिता अपने बच्चों को अनुशासन लागू करने के लिए दंडित करने का सहारा लेते हैं. कुछ बच्चे सजा और भविष्य में सजा दिए जाने के डर का अच्छी तरह से जवाब देते हैं. जबकि कुछ बच्चे विद्रोह, उदासीनता और अंततः सजा के डर की कमी के साथ जवाबी कार्रवाई करते हैं.
बड़ों को देखकर प्रभावित होता है व्यवहार
एक बच्चे का व्यवहार उस वातावरण से प्रभावित होता है. जिसमें उसका पालन-पोषण होता है और माता-पिता का व्यवहार और कैसे वे एक-दूसरे के प्रति अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हैं. बच्चे घर में बड़ों को देखते (coping with emotions) हैं. अगर बच्चे उपेक्षित या प्यार से वंचित महसूस करते हैं तो उनका युवा मन प्रभावित होता है. इसलिए, वे अपने माता-पिता की इच्छा के अनुसार व्यवहार करने के बजाय, उनकी इच्छा के विरुद्ध कार्य करना शुरू कर देते हैं. क्योंकि यह माता-पिता का उनकी ओर अधिक ध्यान आकर्षित करता है, और उन्हें अधिक विशेष महसूस कराता है.
बच्चों को देना चाहिए ज्यादा से ज्यादा समय
मनोवैज्ञानिक (behavioural psychology) सलाह देते हैं कि बच्चों पर सकारात्मक मूल्यों की छाप डालने के लिए माता-पिता को बच्चों को ज्यादा से ज्यादा समय देना चाहिए और रोजाना उनसे अपने स्कूल और दोस्तों के बारे में बात करनी चाहिए. उनकी बात सुनना, उनकी चिंताएं क्या हैं, उन्हें क्या खुशी मिलती है,आदि बच्चों को आश्वस्त करते हैं कि माता-पिता उनकी परवाह करते हैं और अगर वे कोई गलती करते हैं या नहीं जानते कि क्या करना है तो वे उनकी मदद मांग सकते हैं.
तत्काल दंडित करने पर नहीं करे विचार
कभी-कभी बच्चों को शैक्षणिक पाठ्यक्रम का पालन करना मुश्किल हो सकता है. जिसके परिणाम स्वरूप बच्चे को शिक्षकों और साथी छात्रों से उपहास का सामना करना पड़ सकता है. इससे उनके व्यवहार में भी बदलाव आ सकता है, इसलिए माता-पिता को बच्चों को इतना सहज बनाना चाहिए कि वे उनसे उनके व्यवहार के पीछे का कारण पूछ सकें. यदि माता-पिता अपने तौर-तरीकों में बदलाव देखते हैं, तो तत्काल सजा पर विचार नहीं करना चाहिए, बल्कि माता-पिता को धीरे-धीरे बच्चों को आत्म-जागरूक बनाने और उनकी भावनाओं से निपटने में मदद करने का प्रयास करना चाहिए. punishing children is crime
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