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स्वस्थ और प्रसन्न गर्भावस्था के लिए करें योग - अंतरराष्ट्रीय योग दिवस

गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के शरीर में कई परिवर्तन होते है. इसके लिए डॉक्टर योग और व्यायाम करने की सलाह देते है. इससे गर्भवती महिला को गर्भावस्था के दौरान और उसके बाद होने वाली समस्याओं से निपटने में सहायक होता है. सर्टिफाइड योगा ट्रेनर निधी ने इससे संबंधित विभिन्न जानकारी दी है.

prenatal yoga
गर्भावस्था में योग
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Published : Jun 21, 2020, 7:05 AM IST

कहा जाता है कि स्वस्थ शरीर होता है तो, मन शांत रहता है. गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को खुश रहना चाहिए और इसमें योग (PrenatalYoga) काफी कारगर सिद्ध होता हैं. योग करने से गर्भवती महिला शारीरक और मानसिक दोनों ही रूप से स्वस्थ रहती हैं

गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को खुद का खास ख्याल रखना बहुत जरूरी होता है. इस समय महिलाएं अपने साथ एक नन्ही जान के लिए भी जिम्मेदार होती है. इसके लिए हेल्दी खानपान के साथ एक्टिव बॉडी रखना जरूरी है. जिसके लिए डॉक्टर योगा करने की सलाह देते है. इससे गर्भवती महिला की कमर, पीठ और कूल्हों की मांसपेशियां मजबूत होती है. वहीं डिलीवरी के समय तकलीफ कम होती है.

गर्भावस्था में योग करने से गर्भवती महिलाओं को काफी फायदा होता है. महिलाएं डॉक्टर की सलाह से विशेष आसनों के माध्यम से अपने शरीर को स्वस्थ बना सकती है. योगासन के लिए किसी सर्टिफाइड ट्रेनर से मदद ले और उनकी मार्गदर्शन में ही आसन करें. आइये योगा ट्रेनर निधी से गर्भावस्था में योगा के बारे में विस्तार से जानते है.

गर्भवती महिलाओं के लिए तीन योगासन

1.मार्जरासन- इस आसन में महिला घुटनों के बल पर बैठ कर हाथों को जमीन पर रखें. इसके बाद बिल्ली की तरह अपनी पीठ पर खिचाव बनाएं और कुछ देर रूक कर अपनी पीठ को वापस लाकर सामान्य छोड़ दें.

cat cow yoga pose
मार्जरासन

फायदा- मार्जरासन से स्पाइन में खिचाव आती है और पीठ के दर्द जैसी समस्या नहीं होती.

2.बद्धकोणासन- बद्धकोणासन या तितली आसन करने के लिए सबसे पहले अपने पैरों को सामने की ओर फैलाते हुए बैठ जाए. फिर रीढ़ की हड्डी को सीधा कर पैरों को अंदर की तरफ जोड़ लें. उसके बाद अपने पैरों की उंगलियों को पकड़ कर तितली की तरह हिलाएं. 15-20 बार ऐसा करने के बाद पैरों को सीधा कर सामान्य छोड़ दें.

butterfly pose
बद्धकोणासन

फायदा- इस आसन से जोड़ो का दर्द दूर होता है, तनाव कम होता है, शरीर को लचीला बनाता है. इसके साथ ही रोग प्रतिरोधक छमता को बढ़ाता है.

3.सेतु बंधासन- सेतु बंधासन या ब्रीज करने के लिए पहले पीठ के बल लेट जाएं. इसके बाद घुटनों को मोड़ कर सांस लेते हुए पहले कंधे, फिर छाती और फिर कमर को उठाकर कंधे से ब्रिज बना लें. इस दौरान हाथों को जमीन पर सीधा रखे.1-2 मिनट तक इसी आसन में रहें, फिर सांस छोड़ते हुए सामान्य स्थिति में आ जाये.

bridge pose
सेतु बंधासन

फायदा- गर्दन, छाती और पीठ में खिचाव लाता है, तनाव कम करता है, थाइरोइड से संबंधित समस्या से दूर करता है, हार्मोन बैलेंस करता है, पाचन ठीक करता है, उच्च रक्तचाप और साइनस के लिए लाभदायक होता है.

ट्रेनर निधी ने गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए विशेष प्राणायम करने की सलाह दी है.

1- नाड़ी शोधन प्राणायम- नाड़ी शोधन को अनुलोम विलोम प्राणायम भी कहा जाता है. इस प्रक्रिया में सांस को अंदर और बाहर किया जाता है. इससे शरीर की ऊर्जा प्रणाली को साफ कर सुचारू रूप से संचालित करने में मदद करता है.

alom vilom
नाड़ी शोधन प्राणायम

2- भ्रामरी प्राणायम- इस प्राणायम की प्रक्रिया में सांस लेकर छोड़ते समय मधुमक्खी की तरह आवाज निकलती है. इससे मन शांत रहता है, गुस्सा और निराशा से छुटकारा मिलता है.

bhramani pranayam
भ्रामरी प्राणायम

गर्भावस्था में योग करने से डिलीवरी के बाद तनाव, चिंता आदि से निपटने के लिए मदद करता है. वहीं बच्चे के जन्म के बाद होने वाली कमजोरी से जल्द उभारता है. हर दिन 20-30 मिनट योगा करने से मां को डिलीवरी और उसके बाद होने वाली समस्याओं में कमी आती है. आसन किसी सर्टिफाइड ट्रेनर या जानकार की देख-रेख में ही करें. वहीं आसन करते समय कोई परेशानी आने पर अपने गायनोकोलॉजिस्ट से तुरंत संपर्क करें.

कहा जाता है कि स्वस्थ शरीर होता है तो, मन शांत रहता है. गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को खुश रहना चाहिए और इसमें योग (PrenatalYoga) काफी कारगर सिद्ध होता हैं. योग करने से गर्भवती महिला शारीरक और मानसिक दोनों ही रूप से स्वस्थ रहती हैं

गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को खुद का खास ख्याल रखना बहुत जरूरी होता है. इस समय महिलाएं अपने साथ एक नन्ही जान के लिए भी जिम्मेदार होती है. इसके लिए हेल्दी खानपान के साथ एक्टिव बॉडी रखना जरूरी है. जिसके लिए डॉक्टर योगा करने की सलाह देते है. इससे गर्भवती महिला की कमर, पीठ और कूल्हों की मांसपेशियां मजबूत होती है. वहीं डिलीवरी के समय तकलीफ कम होती है.

गर्भावस्था में योग करने से गर्भवती महिलाओं को काफी फायदा होता है. महिलाएं डॉक्टर की सलाह से विशेष आसनों के माध्यम से अपने शरीर को स्वस्थ बना सकती है. योगासन के लिए किसी सर्टिफाइड ट्रेनर से मदद ले और उनकी मार्गदर्शन में ही आसन करें. आइये योगा ट्रेनर निधी से गर्भावस्था में योगा के बारे में विस्तार से जानते है.

गर्भवती महिलाओं के लिए तीन योगासन

1.मार्जरासन- इस आसन में महिला घुटनों के बल पर बैठ कर हाथों को जमीन पर रखें. इसके बाद बिल्ली की तरह अपनी पीठ पर खिचाव बनाएं और कुछ देर रूक कर अपनी पीठ को वापस लाकर सामान्य छोड़ दें.

cat cow yoga pose
मार्जरासन

फायदा- मार्जरासन से स्पाइन में खिचाव आती है और पीठ के दर्द जैसी समस्या नहीं होती.

2.बद्धकोणासन- बद्धकोणासन या तितली आसन करने के लिए सबसे पहले अपने पैरों को सामने की ओर फैलाते हुए बैठ जाए. फिर रीढ़ की हड्डी को सीधा कर पैरों को अंदर की तरफ जोड़ लें. उसके बाद अपने पैरों की उंगलियों को पकड़ कर तितली की तरह हिलाएं. 15-20 बार ऐसा करने के बाद पैरों को सीधा कर सामान्य छोड़ दें.

butterfly pose
बद्धकोणासन

फायदा- इस आसन से जोड़ो का दर्द दूर होता है, तनाव कम होता है, शरीर को लचीला बनाता है. इसके साथ ही रोग प्रतिरोधक छमता को बढ़ाता है.

3.सेतु बंधासन- सेतु बंधासन या ब्रीज करने के लिए पहले पीठ के बल लेट जाएं. इसके बाद घुटनों को मोड़ कर सांस लेते हुए पहले कंधे, फिर छाती और फिर कमर को उठाकर कंधे से ब्रिज बना लें. इस दौरान हाथों को जमीन पर सीधा रखे.1-2 मिनट तक इसी आसन में रहें, फिर सांस छोड़ते हुए सामान्य स्थिति में आ जाये.

bridge pose
सेतु बंधासन

फायदा- गर्दन, छाती और पीठ में खिचाव लाता है, तनाव कम करता है, थाइरोइड से संबंधित समस्या से दूर करता है, हार्मोन बैलेंस करता है, पाचन ठीक करता है, उच्च रक्तचाप और साइनस के लिए लाभदायक होता है.

ट्रेनर निधी ने गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए विशेष प्राणायम करने की सलाह दी है.

1- नाड़ी शोधन प्राणायम- नाड़ी शोधन को अनुलोम विलोम प्राणायम भी कहा जाता है. इस प्रक्रिया में सांस को अंदर और बाहर किया जाता है. इससे शरीर की ऊर्जा प्रणाली को साफ कर सुचारू रूप से संचालित करने में मदद करता है.

alom vilom
नाड़ी शोधन प्राणायम

2- भ्रामरी प्राणायम- इस प्राणायम की प्रक्रिया में सांस लेकर छोड़ते समय मधुमक्खी की तरह आवाज निकलती है. इससे मन शांत रहता है, गुस्सा और निराशा से छुटकारा मिलता है.

bhramani pranayam
भ्रामरी प्राणायम

गर्भावस्था में योग करने से डिलीवरी के बाद तनाव, चिंता आदि से निपटने के लिए मदद करता है. वहीं बच्चे के जन्म के बाद होने वाली कमजोरी से जल्द उभारता है. हर दिन 20-30 मिनट योगा करने से मां को डिलीवरी और उसके बाद होने वाली समस्याओं में कमी आती है. आसन किसी सर्टिफाइड ट्रेनर या जानकार की देख-रेख में ही करें. वहीं आसन करते समय कोई परेशानी आने पर अपने गायनोकोलॉजिस्ट से तुरंत संपर्क करें.

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