ETV Bharat / sukhibhava

सोच सकारात्मक हो, तो वैक्सीन होगी अधिक असरदार - इच्छाशक्ति शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है

आमतौर पर कहा जाता है की यदि सोच सकारात्मक हो और इच्छाशक्ति मजबूत तो कोई भी कार्य संभव है. यह बात सिर्फ कहने के लिए नहीं है, बल्कि चिकित्सक भी मानते हैं की सकारात्मक सोच और मजबूत दिमाग ना सिर्फ शरीर की कार्य क्षमता को बढ़ाता हैं, कई रोगों से बचाता है. साथ ही शरीर में दवाइयों के असर को भी बढ़ा देता है.

Positive thinking
सकारात्मक सोच
author img

By

Published : Jan 22, 2021, 3:01 PM IST

कहावत है सब कुछ हमारे दिमाग में होता है, जो काफी हद तक सही भी है. हमारा मस्तिष्क तथा हमारी मानसिक अवस्था काफी हद तक हमारे स्वास्थ्य को नियंत्रित करती है. इसीलिए ज्यादातर चिकित्सक लोगों को माइंडफुलनेस तथा दिमाग को शांत रखने का प्रयास करने की सलाह देते हैं. लेकिन क्या आप जानते है की मजबूत दिमाग तथा इच्छाशक्ति हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा देती है. जिसके बल पर किसी भी रोग से ठीक होने की संभावनाएं बढ़ जाती है. मानव विकास में एमफिल तथा वरिष्ठ मनोवैज्ञानिक सलाहकार डॉ. रश्मि वाधवा बताती हैं की हमारे मजबूत दिमाग की शक्ति कोरोना जैसे रोग से लड़ने तथा ठीक होने में मदद कर सकती है, साथ ही शरीर में उसके वैक्सीन के असर को ज्यादा बेहतर कर सकती है.

क्या मजबूत मानसिक अवस्था शरीर में वैक्सीन के प्रभाव को बेहतर करती है?

सकारात्मक सोच ना सिर्फ हमारी इच्छाशक्ति को मजबूत करती है, बल्कि हमें कई रोगों से भी बचाती है. डॉ. रश्मि वाधवा बताती हैं की हमारे देश में कोरोना के चलते मृत्यु का आंकड़ा अन्य देशों के मुकाबले कम रहा. इसके दो मुख्य कारण है, पहला, हमारी खाने पीने की आदतें; जैसे हमारे नियमित भोजन में शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले आहार का शामिल होना, जैसे अदरक, हल्दी, नींबू, तुलसी तथा शहद आदि. कोरोना काल में अच्छी बात यह रही की जो लोग इन पदार्थों का सेवन नहीं भी करते थे, उन्होंने संक्रमण के शुरुआती दौर से ही इन्हें अपने भोजन में नियमित रूप से शामिल कर लिया.

दूसरी बात, हम भारतीयों की 'फाइटर स्पिरिट' यानी हार ना मानने वाली सकारात्मक सोच. वह सोच जो हमें रास्ता दिखाती है की सब अच्छा ही होगा, बस हमें प्रयास करने की देर है. इस सोच के साथ ही बड़ी संख्या में लोगों ने ना सिर्फ कोरोना बल्कि और भी कई गंभीर रोगों पर जीत हासिल की है.

डॉ. वाधवा बताती हैं की जब हम कोई भी कार्य नकारात्मक विचारों के साथ करते हैं, तो हमारे दिमाग में डर व्याप्त होता है, जो तनाव को बढ़ाता है. जिसके फलस्वरूप सोच नकारात्मक होने लगती है और हमारे शरीर में कैटेकोलामाइन का प्रवाह बढ़ जाता है, जो हमारी शरीर की प्रतिरक्षा को कम करने वाला हार्मोन है. यहां तक की किसी भी प्रकार के रोग या संक्रमण के लिए जब टीका लगवाया जाता है, यदि उस समय व्यक्ति के दिमाग में नकारात्मक विचार या डर हो तो उस समय यह हार्मोन ज्यादा सक्रिय हो जाता है, जिसके फलस्वरूप शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली ज्यादा कमजोर हो जाती है और शरीर पर वैक्सीन का असर भी. किसी भी वैक्सीन के शरीर पर प्रभाव को ज्यादा बेहतर और असरदर बनाने के लिए बहुत जरूरी है की व्यक्ति सकारात्मक सोच के साथ टीका लगवाए.

कैसे रखे मन को शांत तथा सोच को सकारात्मक

डॉ. रश्मि बताती हैं की मस्तिष्क को शांत रखने का सबसे बेहतर उपाय है की श्वसन संबंधी व्यायाम किए जाए. वे बताती हैं की डर हमारे दिमाग की देन होती है, जो दिमाग में एमिग्डाला यानी प्रमस्तिष्क खंड की कार्य प्रक्रिया से प्रभावित होती है. दरअसल हमारा भावनात्मक दिमाग हमारे युक्तिसंगत दिमाग की अपेक्षा सेकेंड के 1/100वें भाग की रफ्तार से काम करता है. यानी उसकी रफ्तार काफी तेज होती है, तथा गहरी सांस लेने से हमारे भावनात्मक मस्तिष्क को आराम मिलता है. जैसे ही हम किसी भी प्रकार के डर का अनुभव करते हैं, यदि उस समय हम गहरी सांसें लेना शुरू कर दें, तो हमारे भावनात्मक मस्तिष्क की गति में अंतराल उत्पन्न होता है और हमारे तनाव व डर में कमी आने लगती है.

टीकाकरण से पहले कैसी हो सोच

डॉ. रश्मि बताती हैं की कोविड-19 के टीकाकरण के लिए जाने से पहले सांसों से जुड़े व्यायाम करें और सकारात्मक सोच को बनाए रखे. साथ ही इस सोच को दिमाग में जगह दें की वैक्सीन आपके शरीर को कोरोना से बचा कर आपको स्वस्थ रखेगी. इस सकारात्मक और स्वस्थ मनोदशा में जब आप वैक्सीन लेंगे, तो हमारा शरीर दवाई को बेहतर ढंग से ग्रहण करेगा और शरीर पर उसका प्रभाव भी बेहतर होगा.

कहावत है सब कुछ हमारे दिमाग में होता है, जो काफी हद तक सही भी है. हमारा मस्तिष्क तथा हमारी मानसिक अवस्था काफी हद तक हमारे स्वास्थ्य को नियंत्रित करती है. इसीलिए ज्यादातर चिकित्सक लोगों को माइंडफुलनेस तथा दिमाग को शांत रखने का प्रयास करने की सलाह देते हैं. लेकिन क्या आप जानते है की मजबूत दिमाग तथा इच्छाशक्ति हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा देती है. जिसके बल पर किसी भी रोग से ठीक होने की संभावनाएं बढ़ जाती है. मानव विकास में एमफिल तथा वरिष्ठ मनोवैज्ञानिक सलाहकार डॉ. रश्मि वाधवा बताती हैं की हमारे मजबूत दिमाग की शक्ति कोरोना जैसे रोग से लड़ने तथा ठीक होने में मदद कर सकती है, साथ ही शरीर में उसके वैक्सीन के असर को ज्यादा बेहतर कर सकती है.

क्या मजबूत मानसिक अवस्था शरीर में वैक्सीन के प्रभाव को बेहतर करती है?

सकारात्मक सोच ना सिर्फ हमारी इच्छाशक्ति को मजबूत करती है, बल्कि हमें कई रोगों से भी बचाती है. डॉ. रश्मि वाधवा बताती हैं की हमारे देश में कोरोना के चलते मृत्यु का आंकड़ा अन्य देशों के मुकाबले कम रहा. इसके दो मुख्य कारण है, पहला, हमारी खाने पीने की आदतें; जैसे हमारे नियमित भोजन में शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले आहार का शामिल होना, जैसे अदरक, हल्दी, नींबू, तुलसी तथा शहद आदि. कोरोना काल में अच्छी बात यह रही की जो लोग इन पदार्थों का सेवन नहीं भी करते थे, उन्होंने संक्रमण के शुरुआती दौर से ही इन्हें अपने भोजन में नियमित रूप से शामिल कर लिया.

दूसरी बात, हम भारतीयों की 'फाइटर स्पिरिट' यानी हार ना मानने वाली सकारात्मक सोच. वह सोच जो हमें रास्ता दिखाती है की सब अच्छा ही होगा, बस हमें प्रयास करने की देर है. इस सोच के साथ ही बड़ी संख्या में लोगों ने ना सिर्फ कोरोना बल्कि और भी कई गंभीर रोगों पर जीत हासिल की है.

डॉ. वाधवा बताती हैं की जब हम कोई भी कार्य नकारात्मक विचारों के साथ करते हैं, तो हमारे दिमाग में डर व्याप्त होता है, जो तनाव को बढ़ाता है. जिसके फलस्वरूप सोच नकारात्मक होने लगती है और हमारे शरीर में कैटेकोलामाइन का प्रवाह बढ़ जाता है, जो हमारी शरीर की प्रतिरक्षा को कम करने वाला हार्मोन है. यहां तक की किसी भी प्रकार के रोग या संक्रमण के लिए जब टीका लगवाया जाता है, यदि उस समय व्यक्ति के दिमाग में नकारात्मक विचार या डर हो तो उस समय यह हार्मोन ज्यादा सक्रिय हो जाता है, जिसके फलस्वरूप शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली ज्यादा कमजोर हो जाती है और शरीर पर वैक्सीन का असर भी. किसी भी वैक्सीन के शरीर पर प्रभाव को ज्यादा बेहतर और असरदर बनाने के लिए बहुत जरूरी है की व्यक्ति सकारात्मक सोच के साथ टीका लगवाए.

कैसे रखे मन को शांत तथा सोच को सकारात्मक

डॉ. रश्मि बताती हैं की मस्तिष्क को शांत रखने का सबसे बेहतर उपाय है की श्वसन संबंधी व्यायाम किए जाए. वे बताती हैं की डर हमारे दिमाग की देन होती है, जो दिमाग में एमिग्डाला यानी प्रमस्तिष्क खंड की कार्य प्रक्रिया से प्रभावित होती है. दरअसल हमारा भावनात्मक दिमाग हमारे युक्तिसंगत दिमाग की अपेक्षा सेकेंड के 1/100वें भाग की रफ्तार से काम करता है. यानी उसकी रफ्तार काफी तेज होती है, तथा गहरी सांस लेने से हमारे भावनात्मक मस्तिष्क को आराम मिलता है. जैसे ही हम किसी भी प्रकार के डर का अनुभव करते हैं, यदि उस समय हम गहरी सांसें लेना शुरू कर दें, तो हमारे भावनात्मक मस्तिष्क की गति में अंतराल उत्पन्न होता है और हमारे तनाव व डर में कमी आने लगती है.

टीकाकरण से पहले कैसी हो सोच

डॉ. रश्मि बताती हैं की कोविड-19 के टीकाकरण के लिए जाने से पहले सांसों से जुड़े व्यायाम करें और सकारात्मक सोच को बनाए रखे. साथ ही इस सोच को दिमाग में जगह दें की वैक्सीन आपके शरीर को कोरोना से बचा कर आपको स्वस्थ रखेगी. इस सकारात्मक और स्वस्थ मनोदशा में जब आप वैक्सीन लेंगे, तो हमारा शरीर दवाई को बेहतर ढंग से ग्रहण करेगा और शरीर पर उसका प्रभाव भी बेहतर होगा.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.