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मास्क के इस्तेमाल में बड़ों से बेहतर है बच्चे - kids covid 3rd wave

मास्क का इस्तेमाल बड़ों ही नहीं बच्चों के लिए भी जरूरी है। मजे की बात यह है कि यदि एक बार बच्चे को मास्क की अहमियत समझा दी जाय तो मास्क पहनने संबंधी नियमों के पालन में बड़ों से ज्यादा सचेत रहते हैं । लेकिन ज्यादा छोटे बच्चों द्वारा मास्क का इस्तेमाल कभी-कभी कुछ समस्यायें भी उत्पन्न कर सकता है।

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Children COVID behavior
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Published : Jul 1, 2021, 4:46 PM IST

मास्क लगाने की आदत बच्चों में संक्रमण से बचाव की जगह संक्रमण के खतरे को ज्यादा न बढ़ा दे इसलिए कुछ बातों को ध्यान में रखना बहुत जरूरी है। कोरोना काल में बच्चों की सुरक्षा तथा उनके द्वारा सुरक्षा मानकों को अपनाए जाने संबंधी आदतों को लेकर ETV भारत सुखीभवा ने मार्गो गोवा के होसपीसिओ अस्पताल की वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर इरा अलमेड़ा से बात की।

बच्चों के लिए रोल मॉडल होते हैं बड़े

डॉक्टर इरा बताती हैं कि बड़े, हमेशा बच्चों के लिए रोल मॉडल की भूमिका निभाते हैं। ऐसे में यदि बड़े सुरक्षा के मद्देनजर सभी सुरक्षा मानकों का सही तरीके से उपयोग करते हैं तो बच्चे स्वतः ही उन बातों का पालन करते हैं। वैसे भी आजकल बाजार में विभिन्न प्रकार के मास्क उपलब्ध है जो उनके पसंदीदा डिजाइन या कार्टून कैरेक्टर से सजे होते हैं। डॉ इरा बताती हैं कि उनके पास ओपीडी में आने वाले अधिकांश बच्चे बिना शिकायत खुशी-खुशी अपने पसंदीदा मास्क लगाकर अस्पताल आते हैं।

नियम पालन न करने पर बढ़ सकता है खतरा

डॉ इरा बताती हैं की आमतौर पर ज्यादा कम उम्र वाले बच्चे या ऐसे बच्चे जिनके पास ज्यादा सुविधाएं नहीं हैं, उनमें मास्क से जुड़े जरूरी नियम का पालन न करने के चलते संक्रमण होने का खतरा बढ़ सकता है। जैसे बच्चे अनजाने में कई बार अपने मास्क को उसकी ऊपरी परत की तरफ से छू लेते हैं या कभी भी उतार कर जमीन या किसी और स्थान पर रख देते हैं और उसे थोड़ी देर में दोबारा लगा लेते हैं। ऐसे में संक्रमण होने का खतरा कम होने की बजाय दोगुना बढ़ जाता है।

इन सब समस्याओं के चलते आम तौर पर 5 साल से कम उम्र वाले बच्चों को मास्क लगाने के लिए ज्यादा प्रोत्साहित नहीं किया जाता है। यही नहीं यह भी देखने में आया है कि काफी ज्यादा छोटे बच्चों में आमतौर साफ मास्क ना पहनने के चलते नाक और मुंह की आसपास की त्वचा पर संक्रमण या रोग होने का खतरा भी ज्यादा रहता है।

बौद्धिक क्षमताओं के हिसाब से देखें तो 5 साल से लेकर 18 साल तक की उम्र वाले बच्चें तथा युवा जरूरतों तथा नियमों को बेहतर ढंग से समझ और उनका पालन कर सकते हैं।इसलिए वे समझाने पर मास्क संबंधी सभी नियमों का पालन भी बेहतर और सही ढंग से करते हैं।

सिर्फ मास्क ही नही बल्कि बच्चों को संक्रमण के बचाने के लिए माता पिता के और भी कुछ बातों को ध्यान में रखना बहुत जरूरी है।

  • खिलौनों की देखभाल
  • खेलने के लिए सुरक्षित स्थान

बच्चों को कभी भी ऐसे स्थानों पर खेलने के लिए प्रोत्साहित नहीं करना चाहिए जो बंद हो या हवादार ना हो। बंद कमरे या बंद स्थानों पर संक्रमण ज्यादा फैलने का खतरा रहता है।

संक्रमित अभिभावक से दूरी बनाए

डॉ इरा बताती है कि बहुत से ऐसे अभिभावक जोकि स्वयं कोरोना संक्रमित होते हैं ऐसी अवस्था में यदि बच्चा अपने माता-पिता के साथ सोने की जिद करता है तो माता-पिता और बच्चों दोनों को मास्क लगाकर रखना चाहिए ।

कोरोना संक्रमित बच्चों के लिए मल्टीविटामिन तथा भाप लेने की आदत कितनी जरूरी

डॉक्टर इरा बताती हैं दिन में एक बार गर्म पानी से स्नान के दौरान ली जाने वाली भांप उनके श्वसन तंत्र के ऊपरी हिस्से को साफ रखने के लिए काफी है।

वहीं यदि मल्टीविटामिन की बात करें तो माता-पिता के लिए यह समझाना बहुत जरूरी है कि बच्चों में एक ही रात में इम्यूनिटी बनाना संभव नहीं है। रोग के दौरान नही बल्कि बच्चों को बाल रोग विशेषज्ञ की सलाह से तब मल्टीविटामिन देना ज्यादा फायदेमंद रहता है जब वे संक्रमण की गंभीर अवस्था से उबर जाए

डॉ इरा बताती हैं कि बच्चों को कभी भी लंबे समय तक विटामिन सप्लीमेंट नहीं देनी चाहिए क्योंकि ऐसा करने से उनमें “हाइपरविटामिनोसिस” जैसी समस्या विकसित होने की आशंका बढ़ जाती है।

Also Read: कोविड-19 की दूसरी लहर : बच्चों में ठीक होने के बाद हो रहीं हैं समस्याएं, कैसे करें उनसे बचाव ?

मास्क लगाने की आदत बच्चों में संक्रमण से बचाव की जगह संक्रमण के खतरे को ज्यादा न बढ़ा दे इसलिए कुछ बातों को ध्यान में रखना बहुत जरूरी है। कोरोना काल में बच्चों की सुरक्षा तथा उनके द्वारा सुरक्षा मानकों को अपनाए जाने संबंधी आदतों को लेकर ETV भारत सुखीभवा ने मार्गो गोवा के होसपीसिओ अस्पताल की वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर इरा अलमेड़ा से बात की।

बच्चों के लिए रोल मॉडल होते हैं बड़े

डॉक्टर इरा बताती हैं कि बड़े, हमेशा बच्चों के लिए रोल मॉडल की भूमिका निभाते हैं। ऐसे में यदि बड़े सुरक्षा के मद्देनजर सभी सुरक्षा मानकों का सही तरीके से उपयोग करते हैं तो बच्चे स्वतः ही उन बातों का पालन करते हैं। वैसे भी आजकल बाजार में विभिन्न प्रकार के मास्क उपलब्ध है जो उनके पसंदीदा डिजाइन या कार्टून कैरेक्टर से सजे होते हैं। डॉ इरा बताती हैं कि उनके पास ओपीडी में आने वाले अधिकांश बच्चे बिना शिकायत खुशी-खुशी अपने पसंदीदा मास्क लगाकर अस्पताल आते हैं।

नियम पालन न करने पर बढ़ सकता है खतरा

डॉ इरा बताती हैं की आमतौर पर ज्यादा कम उम्र वाले बच्चे या ऐसे बच्चे जिनके पास ज्यादा सुविधाएं नहीं हैं, उनमें मास्क से जुड़े जरूरी नियम का पालन न करने के चलते संक्रमण होने का खतरा बढ़ सकता है। जैसे बच्चे अनजाने में कई बार अपने मास्क को उसकी ऊपरी परत की तरफ से छू लेते हैं या कभी भी उतार कर जमीन या किसी और स्थान पर रख देते हैं और उसे थोड़ी देर में दोबारा लगा लेते हैं। ऐसे में संक्रमण होने का खतरा कम होने की बजाय दोगुना बढ़ जाता है।

इन सब समस्याओं के चलते आम तौर पर 5 साल से कम उम्र वाले बच्चों को मास्क लगाने के लिए ज्यादा प्रोत्साहित नहीं किया जाता है। यही नहीं यह भी देखने में आया है कि काफी ज्यादा छोटे बच्चों में आमतौर साफ मास्क ना पहनने के चलते नाक और मुंह की आसपास की त्वचा पर संक्रमण या रोग होने का खतरा भी ज्यादा रहता है।

बौद्धिक क्षमताओं के हिसाब से देखें तो 5 साल से लेकर 18 साल तक की उम्र वाले बच्चें तथा युवा जरूरतों तथा नियमों को बेहतर ढंग से समझ और उनका पालन कर सकते हैं।इसलिए वे समझाने पर मास्क संबंधी सभी नियमों का पालन भी बेहतर और सही ढंग से करते हैं।

सिर्फ मास्क ही नही बल्कि बच्चों को संक्रमण के बचाने के लिए माता पिता के और भी कुछ बातों को ध्यान में रखना बहुत जरूरी है।

  • खिलौनों की देखभाल
  • खेलने के लिए सुरक्षित स्थान

बच्चों को कभी भी ऐसे स्थानों पर खेलने के लिए प्रोत्साहित नहीं करना चाहिए जो बंद हो या हवादार ना हो। बंद कमरे या बंद स्थानों पर संक्रमण ज्यादा फैलने का खतरा रहता है।

संक्रमित अभिभावक से दूरी बनाए

डॉ इरा बताती है कि बहुत से ऐसे अभिभावक जोकि स्वयं कोरोना संक्रमित होते हैं ऐसी अवस्था में यदि बच्चा अपने माता-पिता के साथ सोने की जिद करता है तो माता-पिता और बच्चों दोनों को मास्क लगाकर रखना चाहिए ।

कोरोना संक्रमित बच्चों के लिए मल्टीविटामिन तथा भाप लेने की आदत कितनी जरूरी

डॉक्टर इरा बताती हैं दिन में एक बार गर्म पानी से स्नान के दौरान ली जाने वाली भांप उनके श्वसन तंत्र के ऊपरी हिस्से को साफ रखने के लिए काफी है।

वहीं यदि मल्टीविटामिन की बात करें तो माता-पिता के लिए यह समझाना बहुत जरूरी है कि बच्चों में एक ही रात में इम्यूनिटी बनाना संभव नहीं है। रोग के दौरान नही बल्कि बच्चों को बाल रोग विशेषज्ञ की सलाह से तब मल्टीविटामिन देना ज्यादा फायदेमंद रहता है जब वे संक्रमण की गंभीर अवस्था से उबर जाए

डॉ इरा बताती हैं कि बच्चों को कभी भी लंबे समय तक विटामिन सप्लीमेंट नहीं देनी चाहिए क्योंकि ऐसा करने से उनमें “हाइपरविटामिनोसिस” जैसी समस्या विकसित होने की आशंका बढ़ जाती है।

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