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नेत्रदान महादान : राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा 2021

किसी व्यक्ति के नेत्रदान करने से एक नेत्रहीन व्यक्ति शल्य प्रक्रिया के माध्यम से फिर से देख सकता है। ज्यादातर मामलों में कॉर्नियल प्रत्यारोपण के माध्यम से एक व्यक्ति के जीवन में रोशनी का उजाला लाया जा सकता है। लेकिन इसके लिए बहुत जरूरी है की लोगों को नेत्रदान के लिए जागरूक और प्रोत्साहित किया जाय। इसी उद्देश्य से हर वर्ष 25 अगस्त से 08 सितंबर तक राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा मनाया जाता है।

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राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा 2021
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Published : Sep 1, 2021, 2:17 PM IST

नेत्रदान को महादान कहा जाता है, क्योंकि इस एक दान से आप किसी नेत्रहीन व्यक्ति के जीवन में उजाला ला सकते हैं। नेत्रदान के महत्व के बारे में व्यापक पैमाने पर जन जागरूकता पैदा करने तथा लोगों को मृत्यु के बाद अपनी आँखें दान करने की शपथ लेने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से हर साल 25 अगस्त से 08 सितंबर तक राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा मनाया जाता है। गौरतलब है की भारत में, लगभग 70 लाख लोग कम से कम एक आंख में कॉर्नियल दृष्टिहीनता से पीड़ित हैं। इनमें से 10 लाख लोग, दोनों आंखों से दृष्टिहीन हैं।

इस वर्ष हम राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़े की 36वीं वर्षगांठ मना रहे हैं।

राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़े के रूप में इस महत्वपूर्ण अभियान की शुरुआत वर्ष 1985 में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय , भारत सरकार द्वारा की गई थी। गौतलब है की विकासशील देशों में दृष्टिहीनता प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, मोतियाबिंद और ग्लूकोमा के बाद, कॉर्नियल रोग (आंख के सामने के हिस्से को कवर करने वाले ऊतक को नुकसान, जिसे कॉर्निया कहा जाता है) दृष्टि हानि और अंधपन के प्रमुख कारणों में माने जाते हैं। विश्व की लगभग पांच फीसदी जनसंख्या कॉर्नियल रोगों के कारण नेत्रहीन है। 2021 में, आंखों में चोट लगने के कारण एक साल में अंधेपन के लगभग 20,000 से अधिक नए मामले सामने आए हैं।

क्या कहते हैं आँकड़े

राष्ट्रीय दृष्टिहीनता और दृश्य हानि सर्वेक्षण 2019 के आंकड़ों के अनुसार भारत में लगभग 70 लाख व्यक्ति विभिन्न नेत्र दोषों के कारण आंशिक व पूर्ण अंधेपन से पीड़ित हैं। इनमें से 2 लाख से अधिक व्यक्तियों को अपनी सामान्य, स्वस्थ दृष्टि बहाल करने के लिए प्रत्येक वर्ष एक या दोनों आंखों में कॉर्नियल प्रत्यारोपण सर्जरी की आवश्यकता होती है। हालांकि, चिकित्सा विशेषज्ञ इस तथ्य के बारे में शोक व्यक्त करते हैं कि नेत्रदान की कमी के कारण प्रत्यारोपण के लिए सालाना केवल 55,000 के करीब कॉर्निया ही उपलब्ध हो पाते हैं। जिसके कारण लगभग 1.5 लाख से अधिक लोग, जो शल्य चिकित्सा प्रक्रियाओं द्वारा पूरी तरह से ठीक हो सकते हैं, आजीवन अंधेपन का शिकार बने रह जाते हैं।

चिकिसकों के अनुसार 50 वर्ष से कम आयु के लोगों में कॉर्निया से जुड़े दोष, अंधेपन के प्राथमिक कारण होते हैं और 50 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में अन्य कारणों जैसे विटामिन ए की कमी, संक्रमण, कुपोषण और कई अन्य समस्याएं हैं जो दृष्टिहीनता का कारण बन सकती हैं।

कैसे और क्या होता है नेत्रदान

नेत्रदान के बारे में अभी भी लोगों में ज्यादा जागरूकता नहीं है। लोगों को लगता की इस प्रक्रिया में पूरी आँख का प्रत्यारोपण किया जाता है जबकि ऐसा नहीं है। दान की गई आंखों से केवल कॉर्निया नेत्रहीन लोगों में प्रत्यरोपित की जाती है। कॉर्नियल ब्लाइंडनेस आंख के सामने के हिस्से को कवर करने वाले ऊतक यानी कॉर्निया में क्षति के कारण होती है ।

नेत्र प्रत्यारोपण यूं तो व्यक्ति की मृत्यु के बाद होता है लेकिन कोई भी व्यक्ति अपनी आयु, लिंग और रक्त समूह की परवाह किए बिना अपने जीवित रहते हुए आंखें दान करने के लिए स्वयं को पंजीकृत कर सकते हैं। पंजीकृत नेत्र दाता बनने के लिए नेत्र बैंक से संपर्क किया जा सकता है।

इस प्रक्रिया में मृत्यु के एक घंटे के भीतर कॉर्निया को हटा देना चाहिए। इसे हटाने में केवल 10-15 मिनट लगते हैं और यह चेहरे पर कोई निशान या विकृति नहीं छोड़ता है। दान किए गए व्यक्ति की आंखें दो कॉर्नियल नेत्रहीन लोगों की दृष्टि बचा सकती हैं।

पढ़ें: लें शपथ अंधेरे को उजाले से परिचित करवाने की: नेत्रदान पखवाड़ा विशेष

नेत्रदान को महादान कहा जाता है, क्योंकि इस एक दान से आप किसी नेत्रहीन व्यक्ति के जीवन में उजाला ला सकते हैं। नेत्रदान के महत्व के बारे में व्यापक पैमाने पर जन जागरूकता पैदा करने तथा लोगों को मृत्यु के बाद अपनी आँखें दान करने की शपथ लेने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से हर साल 25 अगस्त से 08 सितंबर तक राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा मनाया जाता है। गौरतलब है की भारत में, लगभग 70 लाख लोग कम से कम एक आंख में कॉर्नियल दृष्टिहीनता से पीड़ित हैं। इनमें से 10 लाख लोग, दोनों आंखों से दृष्टिहीन हैं।

इस वर्ष हम राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़े की 36वीं वर्षगांठ मना रहे हैं।

राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़े के रूप में इस महत्वपूर्ण अभियान की शुरुआत वर्ष 1985 में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय , भारत सरकार द्वारा की गई थी। गौतलब है की विकासशील देशों में दृष्टिहीनता प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, मोतियाबिंद और ग्लूकोमा के बाद, कॉर्नियल रोग (आंख के सामने के हिस्से को कवर करने वाले ऊतक को नुकसान, जिसे कॉर्निया कहा जाता है) दृष्टि हानि और अंधपन के प्रमुख कारणों में माने जाते हैं। विश्व की लगभग पांच फीसदी जनसंख्या कॉर्नियल रोगों के कारण नेत्रहीन है। 2021 में, आंखों में चोट लगने के कारण एक साल में अंधेपन के लगभग 20,000 से अधिक नए मामले सामने आए हैं।

क्या कहते हैं आँकड़े

राष्ट्रीय दृष्टिहीनता और दृश्य हानि सर्वेक्षण 2019 के आंकड़ों के अनुसार भारत में लगभग 70 लाख व्यक्ति विभिन्न नेत्र दोषों के कारण आंशिक व पूर्ण अंधेपन से पीड़ित हैं। इनमें से 2 लाख से अधिक व्यक्तियों को अपनी सामान्य, स्वस्थ दृष्टि बहाल करने के लिए प्रत्येक वर्ष एक या दोनों आंखों में कॉर्नियल प्रत्यारोपण सर्जरी की आवश्यकता होती है। हालांकि, चिकित्सा विशेषज्ञ इस तथ्य के बारे में शोक व्यक्त करते हैं कि नेत्रदान की कमी के कारण प्रत्यारोपण के लिए सालाना केवल 55,000 के करीब कॉर्निया ही उपलब्ध हो पाते हैं। जिसके कारण लगभग 1.5 लाख से अधिक लोग, जो शल्य चिकित्सा प्रक्रियाओं द्वारा पूरी तरह से ठीक हो सकते हैं, आजीवन अंधेपन का शिकार बने रह जाते हैं।

चिकिसकों के अनुसार 50 वर्ष से कम आयु के लोगों में कॉर्निया से जुड़े दोष, अंधेपन के प्राथमिक कारण होते हैं और 50 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में अन्य कारणों जैसे विटामिन ए की कमी, संक्रमण, कुपोषण और कई अन्य समस्याएं हैं जो दृष्टिहीनता का कारण बन सकती हैं।

कैसे और क्या होता है नेत्रदान

नेत्रदान के बारे में अभी भी लोगों में ज्यादा जागरूकता नहीं है। लोगों को लगता की इस प्रक्रिया में पूरी आँख का प्रत्यारोपण किया जाता है जबकि ऐसा नहीं है। दान की गई आंखों से केवल कॉर्निया नेत्रहीन लोगों में प्रत्यरोपित की जाती है। कॉर्नियल ब्लाइंडनेस आंख के सामने के हिस्से को कवर करने वाले ऊतक यानी कॉर्निया में क्षति के कारण होती है ।

नेत्र प्रत्यारोपण यूं तो व्यक्ति की मृत्यु के बाद होता है लेकिन कोई भी व्यक्ति अपनी आयु, लिंग और रक्त समूह की परवाह किए बिना अपने जीवित रहते हुए आंखें दान करने के लिए स्वयं को पंजीकृत कर सकते हैं। पंजीकृत नेत्र दाता बनने के लिए नेत्र बैंक से संपर्क किया जा सकता है।

इस प्रक्रिया में मृत्यु के एक घंटे के भीतर कॉर्निया को हटा देना चाहिए। इसे हटाने में केवल 10-15 मिनट लगते हैं और यह चेहरे पर कोई निशान या विकृति नहीं छोड़ता है। दान किए गए व्यक्ति की आंखें दो कॉर्नियल नेत्रहीन लोगों की दृष्टि बचा सकती हैं।

पढ़ें: लें शपथ अंधेरे को उजाले से परिचित करवाने की: नेत्रदान पखवाड़ा विशेष

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