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स्वास्थ्य और समाज दोनों के लिए श्राप है नशे की लत : नेशनल एंटी ड्रग एडिक्शन डे - मानसिक स्वास्थ्य पर असर

नशे की लत व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक रोगी बना देती है. इस सामाजिक अभिशाप के बारे में लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से 2 अक्टूबर को ‘नेशनल एंटी ड्रग एडिक्शन डे’ के रूप में मनाया जाता है.

national anti-drug addiction day
नेशनल एंटी ड्रग एडिक्शन डे
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Published : Oct 2, 2020, 12:52 PM IST

नशा या मादक पदार्थों का सेवन आज के समय की सबसे बड़ी चुनौती है. विशेष तौर पर युवा पीढ़ी में बढ़ता नशीले पदार्थों का उपयोग काफी चिंतनीय अवस्था है. सबसे पहले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने ड्रग्स के इस्तेमाल को समाज के लिए श्राप बताते हुए जन सामान्य का ध्यान इस तरफ आकर्षित किया था. उनकी इसी सोच को जन-जन तक पहुंचाने और साथ ही लोगों व समाज दोनों को ड्रग्स या किसी भी प्रकार के मादक पदार्थों के उपयोग से होने वाले नुकसान के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से 2 अक्टूबर को हम ‘नेशनल एंटी ड्रग एडिक्शन डे’ के रूप में मनाते हैं.

नेशनल एंटी ड्रग एडिक्शन डे 2020

नशे से जुड़े विभिन्न मुद्दों को लेकर दुनिया के अलग-अलग हिस्सों मे अलग-अलग दिनों पर एंटी ड्रग एडिक्शन डे मनाए जाते है, वहीं हमारे देश में राष्ट्रीय स्तर पर 2 अक्टूबर को इस दिवस का आयोजन किया जाता है. इस अवसर पर हर उम्र व हर वर्ग के लोगों में बढ़ते नशीले पदार्थों के उपयोग तथा उसका व्यक्ति के स्वास्थ्य व समाज पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. इन कार्यक्रमों में संगोष्ठी, रैली तथा विभिन्न प्रतियोगिताएं शामिल है.

क्या है नशे की लत और उसके कारण

जब मादक पदार्थों का सेवन शौक नहीं आदत और जरूरत बन जाती है, नशे की लत कहलाती है. नशे का सेवन दिमाग की प्रक्रियाओं को इस कदर प्रभावित करता है की लोगों के सोचने समझने की क्षमता, व्यवहार और भावों पर से उनका नियंत्रण खत्म हो जाता है. ड्रग्स में खोए कुछ पल उसको एक अलग ही दुनिया में ले जाते हैं. नशे की लत ना सिर्फ आदमी के शरीर को खोखला बना देती हैं, बल्कि उसे मानसिक रोगी भी बना देती हैं.

वर्तमान समय में किशोर व युवा पीढ़ी में नशे की लत या ड्रग्स को एक फैशन की तरह भी देखा जाता है. किशोर जिज्ञासा के चलते पहले ड्रग्स लेना शुरू करते हैं, लेकिन शौक-शौक में उन्हें जल्दी ही इसकी आदत लग जाती है. इसके अलावा आज की भागती दौड़ती जिंदगी के चलते जीवन में उत्पन्न होने वाले अवसाद तथा तनाव के कारण भी लोग नशे की तरफ आकर्षित होते है. देसी-विदेशी शराब के अलावा कोकीन, चरस, हेरोइन, अफीम, एलएसडी, गांजा जैसे मारिजुआना नाम से भी जानते हैं सहित बहुत से ऐसे ड्रग्स है, जो इस समय बड़ी संख्या ना सिर्फ हर वर्ग के युवाओं तथा किशोरों को बल्कि बड़ी उम्र के पुरुषों और महिलाओं को भी अपनी चपेट में लिए बैठा है.

मादक पदार्थों के प्रकार तथा उनका लोगों पर असर

मादक पदार्थ या ड्रग्स किसी एक दवाइयां वस्तु का नाम नहीं है, मादक पदार्थ बहुत से किस्म के होते हैं, जिनका शरीर तथा दिमाग पर अलग-अलग असर पड़ता है.

  • उत्तेजक दवाई

एम्फैटेमिन और कोकीन हमारे मस्तिष्क में उत्तेजक निरोधात्मक तंत्रिका आवेग के लिए होने वाले रसायनिक पदार्थों यानि ब्रेन केमिकल्स के स्राव पर असर डालते हैं. जिनका मुख्य काम व्यक्ति को जगाए रखना तथा उसके व्यवहार तथा मूड में लगातार आने वाले परिवर्तनों को नियंत्रित करना होता है.

  • अवसाद पर असर करते मादक पदार्थ

शराब या हीरोइन जैसे मादक पदार्थ भी हमारी तंत्रिका आवेग तथा उसके कार्यों को प्रभावित करते हैं. जिसका असर व्यक्ति के व्यवहार तथा उसकी कार्य क्षमता दोनों पर पड़ता है. ये पदार्थ ऐसे हैं, जिनका आदी होने पर व्यक्ति को हर बार नशे के लिए पहले से ज्यादा मात्रा में इन पदार्थों की जरूरत महसूस होने लगती है.

  • मति भ्रम उत्पन्न करने वाले नशीले पदार्थ

एलएसडी तथा मैजिक मशरूम जैसे मादक पदार्थों का सेवन हमारे मस्तिष्क के उस हिस्से को प्रभावित करता है, जो अनुभूति महसूस करने तथा सोचने समझने का कार्य करते हैं. इन दवाइयों के असर से उसके दिमाग में भ्रम की स्तिथि उत्पन्न होने लगती है. इस अवस्था में कई बार ऐसी भी चीजें महसूस करने लगते हैं, जो वास्तविक तौर पर नहीं होती हैं.

  • दोहरा असर दिखाने वाले मादक पदार्थ

इन दवाइयों के असर से हमारे मस्तिष्क की जटिल प्रक्रियाएं कुंद हो जाती है तथा भावों को नियंत्रित करने की क्षमता खो देती हैं. जिसके चलते व्यक्ति ज्यादा खुश तो कई बार दुखी हो जाता है और कई बार अजीब व्यवहार करने लगता है.

नशे के सेवन से शारीरिक तथा मानसिक स्वास्थ्य पर असर

  • चलने तथा शरीर का संतुलन बनाए रखने में असमर्थता.
  • बातें भूल जाना यानी याददाश्त पर असर.
  • तनाव, अवसाद व सोने में परेशानी.
  • गुर्दे की बीमारी तथा कैंसर सहित अन्य प्रकार की शारीरिक अस्वस्थता व बीमारियों के बढ़ने का खतरा.
  • शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता पर असर.
  • अचानक से वजन घटने या बढ़ने की समस्या.
  • संतानोत्पत्ति में समस्या.
  • लो-ब्लड शुगर, उच्च-रक्तचाप तथा कोलेस्ट्रॉल लेवल का बढ़ना.

नशे की लत के चलते मानसिक व सामाजिक अवस्था में बदलाव

नशे का लत व्यक्ति आमतौर पर अपनी सोचने समझने की तथा निर्णय लेने की क्षमता को खो देता है. जिससे उसके कामकाज पर तथा उसके सामाजिक जीवन पर काफी बुरा असर पड़ता है. नशे की लत का उसके स्वास्थ्य पर तो असर पड़ता ही है, साथ में उसके परिवार, दोस्त तथा सहकर्मियों के साथ उसके रिश्तों पर भी काफी बुरा असर पड़ता है. नशे के आदी व्यक्तियों में कुछ परिवर्तन जो सामान्य तौर पर नजर आते हैं इस प्रकार हैं;

  • किसी भी प्रकार के कार्य में रुचि कम होना या समाप्त हो जाना, साथ ही संदिग्ध व्यवहार.
  • कार्य क्षमता में कमी तथा कार्य की गुणवत्ता पर असर.
  • व्यक्तित्व पर असर.
  • व्यवहार में आक्रामकता का बढ़ना.
  • अकेले रहने को प्राथमिकता देना.
  • चोरी, लूट तथा उधार मांगने जैसी आदतों का विकास.
  • समाज विरोधी गतिविधियों में लिप्तता.
  • आपराधिक प्रवृत्ति का विकास.

नशा या मादक पदार्थों का सेवन आज के समय की सबसे बड़ी चुनौती है. विशेष तौर पर युवा पीढ़ी में बढ़ता नशीले पदार्थों का उपयोग काफी चिंतनीय अवस्था है. सबसे पहले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने ड्रग्स के इस्तेमाल को समाज के लिए श्राप बताते हुए जन सामान्य का ध्यान इस तरफ आकर्षित किया था. उनकी इसी सोच को जन-जन तक पहुंचाने और साथ ही लोगों व समाज दोनों को ड्रग्स या किसी भी प्रकार के मादक पदार्थों के उपयोग से होने वाले नुकसान के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से 2 अक्टूबर को हम ‘नेशनल एंटी ड्रग एडिक्शन डे’ के रूप में मनाते हैं.

नेशनल एंटी ड्रग एडिक्शन डे 2020

नशे से जुड़े विभिन्न मुद्दों को लेकर दुनिया के अलग-अलग हिस्सों मे अलग-अलग दिनों पर एंटी ड्रग एडिक्शन डे मनाए जाते है, वहीं हमारे देश में राष्ट्रीय स्तर पर 2 अक्टूबर को इस दिवस का आयोजन किया जाता है. इस अवसर पर हर उम्र व हर वर्ग के लोगों में बढ़ते नशीले पदार्थों के उपयोग तथा उसका व्यक्ति के स्वास्थ्य व समाज पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. इन कार्यक्रमों में संगोष्ठी, रैली तथा विभिन्न प्रतियोगिताएं शामिल है.

क्या है नशे की लत और उसके कारण

जब मादक पदार्थों का सेवन शौक नहीं आदत और जरूरत बन जाती है, नशे की लत कहलाती है. नशे का सेवन दिमाग की प्रक्रियाओं को इस कदर प्रभावित करता है की लोगों के सोचने समझने की क्षमता, व्यवहार और भावों पर से उनका नियंत्रण खत्म हो जाता है. ड्रग्स में खोए कुछ पल उसको एक अलग ही दुनिया में ले जाते हैं. नशे की लत ना सिर्फ आदमी के शरीर को खोखला बना देती हैं, बल्कि उसे मानसिक रोगी भी बना देती हैं.

वर्तमान समय में किशोर व युवा पीढ़ी में नशे की लत या ड्रग्स को एक फैशन की तरह भी देखा जाता है. किशोर जिज्ञासा के चलते पहले ड्रग्स लेना शुरू करते हैं, लेकिन शौक-शौक में उन्हें जल्दी ही इसकी आदत लग जाती है. इसके अलावा आज की भागती दौड़ती जिंदगी के चलते जीवन में उत्पन्न होने वाले अवसाद तथा तनाव के कारण भी लोग नशे की तरफ आकर्षित होते है. देसी-विदेशी शराब के अलावा कोकीन, चरस, हेरोइन, अफीम, एलएसडी, गांजा जैसे मारिजुआना नाम से भी जानते हैं सहित बहुत से ऐसे ड्रग्स है, जो इस समय बड़ी संख्या ना सिर्फ हर वर्ग के युवाओं तथा किशोरों को बल्कि बड़ी उम्र के पुरुषों और महिलाओं को भी अपनी चपेट में लिए बैठा है.

मादक पदार्थों के प्रकार तथा उनका लोगों पर असर

मादक पदार्थ या ड्रग्स किसी एक दवाइयां वस्तु का नाम नहीं है, मादक पदार्थ बहुत से किस्म के होते हैं, जिनका शरीर तथा दिमाग पर अलग-अलग असर पड़ता है.

  • उत्तेजक दवाई

एम्फैटेमिन और कोकीन हमारे मस्तिष्क में उत्तेजक निरोधात्मक तंत्रिका आवेग के लिए होने वाले रसायनिक पदार्थों यानि ब्रेन केमिकल्स के स्राव पर असर डालते हैं. जिनका मुख्य काम व्यक्ति को जगाए रखना तथा उसके व्यवहार तथा मूड में लगातार आने वाले परिवर्तनों को नियंत्रित करना होता है.

  • अवसाद पर असर करते मादक पदार्थ

शराब या हीरोइन जैसे मादक पदार्थ भी हमारी तंत्रिका आवेग तथा उसके कार्यों को प्रभावित करते हैं. जिसका असर व्यक्ति के व्यवहार तथा उसकी कार्य क्षमता दोनों पर पड़ता है. ये पदार्थ ऐसे हैं, जिनका आदी होने पर व्यक्ति को हर बार नशे के लिए पहले से ज्यादा मात्रा में इन पदार्थों की जरूरत महसूस होने लगती है.

  • मति भ्रम उत्पन्न करने वाले नशीले पदार्थ

एलएसडी तथा मैजिक मशरूम जैसे मादक पदार्थों का सेवन हमारे मस्तिष्क के उस हिस्से को प्रभावित करता है, जो अनुभूति महसूस करने तथा सोचने समझने का कार्य करते हैं. इन दवाइयों के असर से उसके दिमाग में भ्रम की स्तिथि उत्पन्न होने लगती है. इस अवस्था में कई बार ऐसी भी चीजें महसूस करने लगते हैं, जो वास्तविक तौर पर नहीं होती हैं.

  • दोहरा असर दिखाने वाले मादक पदार्थ

इन दवाइयों के असर से हमारे मस्तिष्क की जटिल प्रक्रियाएं कुंद हो जाती है तथा भावों को नियंत्रित करने की क्षमता खो देती हैं. जिसके चलते व्यक्ति ज्यादा खुश तो कई बार दुखी हो जाता है और कई बार अजीब व्यवहार करने लगता है.

नशे के सेवन से शारीरिक तथा मानसिक स्वास्थ्य पर असर

  • चलने तथा शरीर का संतुलन बनाए रखने में असमर्थता.
  • बातें भूल जाना यानी याददाश्त पर असर.
  • तनाव, अवसाद व सोने में परेशानी.
  • गुर्दे की बीमारी तथा कैंसर सहित अन्य प्रकार की शारीरिक अस्वस्थता व बीमारियों के बढ़ने का खतरा.
  • शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता पर असर.
  • अचानक से वजन घटने या बढ़ने की समस्या.
  • संतानोत्पत्ति में समस्या.
  • लो-ब्लड शुगर, उच्च-रक्तचाप तथा कोलेस्ट्रॉल लेवल का बढ़ना.

नशे की लत के चलते मानसिक व सामाजिक अवस्था में बदलाव

नशे का लत व्यक्ति आमतौर पर अपनी सोचने समझने की तथा निर्णय लेने की क्षमता को खो देता है. जिससे उसके कामकाज पर तथा उसके सामाजिक जीवन पर काफी बुरा असर पड़ता है. नशे की लत का उसके स्वास्थ्य पर तो असर पड़ता ही है, साथ में उसके परिवार, दोस्त तथा सहकर्मियों के साथ उसके रिश्तों पर भी काफी बुरा असर पड़ता है. नशे के आदी व्यक्तियों में कुछ परिवर्तन जो सामान्य तौर पर नजर आते हैं इस प्रकार हैं;

  • किसी भी प्रकार के कार्य में रुचि कम होना या समाप्त हो जाना, साथ ही संदिग्ध व्यवहार.
  • कार्य क्षमता में कमी तथा कार्य की गुणवत्ता पर असर.
  • व्यक्तित्व पर असर.
  • व्यवहार में आक्रामकता का बढ़ना.
  • अकेले रहने को प्राथमिकता देना.
  • चोरी, लूट तथा उधार मांगने जैसी आदतों का विकास.
  • समाज विरोधी गतिविधियों में लिप्तता.
  • आपराधिक प्रवृत्ति का विकास.
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