आमतौर पर किसी महिला के गर्भवती होने का अंदेशा सबसे पहली बार तब होता है जब उसका पीरियड मिस होता है. यानी उसे माहवारी नही होती है या फिर जब उसे मितली की समस्या होती है. जिसके उपरांत ही अन्य जांचों के माध्यम से इस बात की पुष्टि की जाती है की महिला गर्भवती है या नहीं, लेकिन सिर्फ पीरियड मिस होना या मॉर्निंग सिकनेस होना ही किसी महिला के गर्भवती होने का एकमात्र लक्षण नहीं होता. बल्कि इसके साथ और भी कई छोटे-बड़े लक्षण हैं जिन्हे गर्भावस्था के पहले लक्षणों में गिना जा सकता है.
उत्तराखंड की महिला रोग विशेषज्ञ डॉ विजयलक्ष्मी बताती हैं कि आमतौर पर महिलायें माहवारी की अनियमितता या उसके ना होने पर गर्भावस्था की जांच कराने आती है, लेकिन माहवारी का ना होना गर्भावस्था का एकमात्र लक्षण नहीं होता. कई बार हार्मोनल समस्या या तनाव सहित कई कारणों से भी महिला को उनके चक्र के अनुसार माहवारी नही होने की समस्या हो सकती है. ऐसे में कुछ और लक्षण भी हैं जो गर्भधारण करने पर तथा गर्भावस्था के शुरुआती चरण में नजर आ सकते है. जो इस प्रकार हैं.
उल्टी/मितली आना (मॉर्निंग सिकनेस)
गर्भधारण करने के कुछ समय बाद से ही आमतौर पर महिलाओं में उल्टी आना या उल्टी जैसा महसूस करने की समस्या नजर आने लगती है. जिसे गर्भावस्था के मुख्य लक्षणों में से गिना जाता है.
डॉ विजयलक्ष्मी बताती हैं कि गर्भावस्था के पहले तिमाही में उल्टी आना या किसी खास प्रकार के खाने या खुशबू से मितली जैसा या असहज महसूस करना आम बात होती है. जिसे लोग मॉर्निंग सिकनेस भी कहते हैं. हालांकि मॉर्निंग सिकनेस का तात्पर्य यह नही है कि यह समस्या सिर्फ सुबह के समय होती है. यह दिन में किसी भी वक्त हो सकती है. लगभग 80 प्रतिशत महिलाओं को गर्भावस्था की शुरुआत से लेकर लगभग 12 हफ्तों तक उल्टी या मितली का अनुभव होता है. यह बेहद आम लक्षण है जोकि सामान्य तौर पर पहले तीन महीने के बाद समाप्त हो जाते हैं.
वेजाइनल स्पॉट
डॉ विजयलक्ष्मी बताती हैं कि एक बार गर्भाधारण करने के बाद सामान्य स्तिथि में महिला को माहवारी नहीं होती है, लेकिन योनि से कभी कभी बूंदों में रक्त स्राव हो सकता है जोकि सामान्य बात होती है. इसे इंप्लांटेशन ब्लीडिंग या वेजाइनल स्पॉटिंग कहा जाता है. यह उस समय होती है जब गर्भ में भ्रूण स्थापित होता है, लेकिन यदि स्पॉटिंग की बजाय रक्तस्राव ज्यादा मात्रा में हो और लगातार हो तो यह किसी समस्या की निशानी भी हो सकता है.
बार-बार पेशाब आना
बार-बार पेशाब आना गर्भाधारण करने के सबसे आम लक्षणों में से एक है. गर्भावस्था के शुरुआती चरण से ही यह समस्या शुरू हो जाती है और महिलाओं को पूरी गर्भावस्था की अवधि के दौरान इस समस्या का सामना करना पड़ता है. दरअसल गर्भवती होने पर महिलाओं के शरीर में हार्मोनल सहित कई तरह के बदलाव होते हैं. जिनके चलते इस अवस्था में शरीर में रक्त का निर्माण तथा संचार दोनों ही बढ़ जाते हैं. इसका असर किडनी पर भी पड़ता है और उसे ज्यादा ज्यादा मात्रा में फ्लूइड फिल्टर करना पड़ता है. जिससे महिलाओं का मूत्राशय जल्दी जल्दी भरने लगता है और महिलाओं को ज्यादा पेशाब आने लगता है.
मूड स्विंग होना
ज्यादातर महिलाओं में गर्भावस्था की शुरुआत के साथ ही व्यवहार में अचानक परिवर्तन यानी मूड स्विंग जैसे लक्षण भी नजर आने लगते हैं. गर्भ धारण करने पर शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलाव तथा नए हार्मोन्स के निर्माण का असर महिलाओं के व्यवहार को काफी ज्यादा प्रभावित करता है जिसके चलते कई बार उन्हे अकारण या छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा आ सकता है, कई बार उनमें रोने की इच्छा प्रबल होने लगती है तो कई बार उनमें बहुत ज्यादा चिड़चिड़ाहट बढ़ जाता है. यह व्यवहरात्मक समस्याएं गर्भावस्था में आम बात है जो बदलती रहती हैं.
ब्रेस्ट साइज में अंतर
गर्भधारण करते ही शरीर में कई तरह के परिवर्तन होने लगते हैं.उन्ही में से एक है स्तनों के आकार तथा वजन में अंतर. माना जाता है कि गर्भधारण करने के एक से दो सप्ताह में यह परिवर्तन नजर आने लगता है. जो कुछ महीनों के बाद हार्मोनल बदलाव के चलते ठीक भी हो जाता है. इसे भी गर्भधारण के पहले लक्षणों में से माना एक माना जाता है.