कोरोना वायरस से इस जंग में हर कोई इस डर में जी रहा है कि न जाने वो भी कब इस महामारी का शिकार हो जाए. छोटे बच्चों और उम्रदराज बुजुर्गों को लेकर खास चेतावनियां दी गई है. बड़ों की बात करें तो उनमें बीमारियों के लक्षण आराम से दिख जाते हैं, कोई परेशानी हो तो वे सरलता से बता पाते हैं. लेकिन बच्चों के साथ लक्षण तभी पहचान पाएंगे, जब वह स्पष्ट रूप से दिखने लगे. क्योंकि ज्यादा छोटे बच्चे परेशानी बता नहीं पाते और थोड़े बड़े बच्चे खेल-खेल में लक्षणों को महसूस नहीं कर पाते है. बच्चों में कोरोना को लेकर ETV भारत सुखीभवा टीम ने बाल चिकित्सक डॉ. सोनाली नवले पुरंदरे से बात की.
बच्चों में पेट संबंधी बीमारियां हैं तो सावधान
कोरोना काल में बच्चों के स्वास्थ्य और उनकी देखभाल को लेकर बाल चिकित्सक डॉ. सोनाली ने बताया कि अपनी दुनिया में मस्त बच्चे आम तौर पर छोटी-मोटी शारीरिक समस्याएं न तो महसूस कर पाते हैं और न ही अपने बड़ों को बता पाते हैं. इसलिए माता-पिता को ज्यादा सचेत रहने की जरूरत है. ध्यान देने वाली बात यह हैं कि अधिकांश कोरोनाग्रस्त बच्चों के शुरूआती लक्षणों में ज्यादातर पेट संबंधी परेशानियां नजर आई हैं. जिनमें पेट खराब होना, उल्टी, दस्त तथा अन्य गेस्टरोंजाइटिस समस्याएं शामिल है.
लॉकडाउन हटने से बढ़ी समस्याएं
लॉकडाउन के हटते ही जो सबसे बड़ी समस्या सामने आ रही है, वह लोगों में बढ़ती असावधानी है. जहां एक ओर घर में घरेलू कामगारों की वापसी हो गई है, वहीं बाजार फिर से गुलजार हो गए हैं. लोगों को आस पड़ोस में और रिश्तेदारों में भी मिलना जुलना शुरू हो गया है. ऐसे में जब कथित जागरूक लोग केवल नाम मात्र के लिए सावधानियों का पालन कर रहें हैं, वहीं बच्चों में सावधानियों का पालन नाम मात्र का भी नहीं हो रहा है. आम तौर पर बच्चे और बड़े बगैर दस्तानों और मास्क के शाम को खेलते, घूमते, खाते और पीते नजर आते हैं.
कैसे जाने साधारण सर्दी है या कोरोना
डॉ. सोनाली बताती है कि बरसात का मौसम वैसे ही शुरू हो चुका है. ऐसे मौसम में बच्चों में साधारण नजला जुकाम और डायरिया की शिकायतें आम तौर पर देखने सुनने में आती हैं. डर वाली बात यह है कि कोरोना के अलावा इस समय बच्चों में कावासाकी संक्रमण के केस भी देखने में आ रहें हैं. ऐसे में जरूरी है कि बच्चों में पेट खराब होना, नजला जुकाम होना, बुखार होना या ज्यादा थकान होने जैसे लक्षण नजर आते ही तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें.
सीखें नई आदतों के साथ जीना
विशेषज्ञों और चिकित्सकों की माने तो कोरोना के साथ अभी हमें लंबा समय बिताना होगा. डॉ. सोनाली कहती हैं कि बहुत जरूरी हो गया है कि हम बच्चों में नई आदतों का विकास और अपने घर में नये नियमों की शुरूआत करें. बच्चे बड़ों को देखकर ही सीखते है, इसलिए कुछ भी काम को करने के पहले और बाद में तथा किसी भी चीज को छूने के बाद हाथ धोना, बाहर से खेलकर घर आने के बाद तुरंत अपने कपड़े बदलना या हो सके तो नहाना, अपने मुंह, नाक को बार-बार न छूना या खुजलाना जैसी आदतों को हमें नियमों के तौर पर अपने जीवन में शामिल करना है.