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मंकीपॉक्स वायरस एक बहुत बड़ा वायरस है, म्यूटेशन से हुआ 'स्मार्ट' और मजबूत

मंकीपॉक्स वायरस एक बहुत बड़ा वायरस है. Journal of Autoimmunity में प्रकाशित अध्ययन के निष्कर्ष, मंकीपॉक्स के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली मौजूदा दवाओं को संशोधित करने या नई दवाओं को विकसित करने में मदद कर सकते हैं और इस प्रकार बीमारी के लक्षणों को कम कर सकते हैं और वायरस के प्रसार को रोक सकते हैं. Monkeypox virus is strong smart after mutations . Research of missouri university Research . Monkeypox mutations .

monkeypox virus is strong smart after mutations in research of missouri university
मंकीपॉक्स वायरस
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Published : Nov 7, 2022, 12:37 PM IST

न्यूयॉर्क : भारतीय-अमेरिकी वैज्ञानिकों की एक टीम ने पाया है कि मंकीपॉक्स म्यूटेशन (Monkeypox mutations) ने वायरस को मजबूत और स्मार्ट बनने में सक्षम बनाया है और अधिक लोगों को संक्रमित करने के अपने मिशन में एंटीवायरल दवाओं और टीकों से परहेज किया है, यानी antiviral drugs और टीकों का असर नहीं हो रहा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO ) के अनुसार, वायरस ने 100 से अधिक देशों में 77,000 से अधिक लोगों को संक्रमित किया है, और हाल के दिनों में, मामले की मृत्यु अनुपात लगभग 3-6 प्रतिशत रहा है. Monkeypox virus is strong smart after mutations . Research of missouri university Research .

जर्नल ऑफ ऑटोइम्यूनिटी (Journal of Autoimmunity) में प्रकाशित अध्ययन के निष्कर्ष, मंकीपॉक्स के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली मौजूदा दवाओं को संशोधित करने या नई दवाओं को विकसित करने में मदद कर सकते हैं जो उत्परिवर्तन का मुकाबला कर सकते हैं और इस प्रकार बीमारी के लक्षणों को कम कर सकते हैं और वायरस के प्रसार को रोक सकते हैं. प्रोफेसर कमलेंद्र सिंह (Professor Kamalendra Singh Missouri University ) के नेतृत्व में मिसौरी विश्वविद्यालय (Missouri University) के शोधकर्ताओ की एक टीम ने मंकीपॉक्स वायरस में विशिष्ट उत्परिवर्तन की पहचान की जो इसकी निरंतर संक्रामकता में योगदान करते हैं. शोधकर्ता श्रीकेश सचदेव (Shrikesh Sachdev Researcher) ने कहा, एक अस्थायी विश्लेषण करके, हम यह देखने में सक्षम थे कि समय के साथ वायरस कैसे विकसित हुआ है. एक महत्वपूर्ण खोज यह थी कि वायरस अब विशेष रूप से उत्परिवर्तन जमा कर रहा है.

Shrikesh Sachdev ने कहा- तो, वायरस मजबूत हो रहा है, यह हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया से दवाओं या एंटीबॉडी द्वारा लक्षित होने से बचने में सक्षम है और अधिक लोगों तक फैल रहा है. कमलेंद्र सिंह (Professor Kamalendra Singh) MU College of Veterinary Medicine के प्रोफेसर और क्रिस्टोफर एस बॉन्ड लाइफ साइंसेज सेंटर (Christopher S Bond Life Sciences Center) के प्रमुख अन्वेषक ने शोध के लिए श्रीकेश सचदेव, अथरेया रेड्डी, श्री लेख कंदासामी, सिद्दप्पा बायरारेड्डी और सात्विक कन्नन (Srikesh Sachdev, Athreya Reddy, Sri Lekh Kandasamy, Siddappa Byrareddy and Satwik Kannan) के साथ सहयोग किया.

बड़ा वायरस है मंकीपॉक्स : टीम ने मंकीपॉक्स वायरस के 200 से अधिक उपभेदों के डीएनए अनुक्रमों (200 strains of monkeypox virus DNA sequences) का विश्लेषण किया- 1965 से, जब वायरस पहली बार फैलने लगा, 2000 के दशक की शुरूआत में और फिर 2022 में इसका प्रकोप हुआ. प्रमुख शोधकर्ता Kamalendra Singh ने कहा, हमारा ध्यान वायरस जीनोम की नकल करने में शामिल विशिष्ट जीन को देखने पर है. मंकीपॉक्स एक बहुत बड़ा वायरस है जिसके जीनोम में लगभग 200,000 डीएनए बेस हैं. उन्होंने समझाया कि मंकीपॉक्स के लिए DNA genome लगभग 200 प्रोटीन में परिवर्तित हो जाता है, इसलिए यह उन सभी 'कवच' के साथ आता है जिससे इसे दोहराने, विभाजित करने और दूसरों को संक्रमित करने में मदद मिलती है. वायरस खुद की अरबों प्रतियां बनाते हैं और केवल सबसे योग्य ही जीवित रहते हैं, क्योंकि उत्परिवर्तन उन्हें अनुकूलित करने और फैलने में मदद करते हैं.

Sri Lekh Kandasamy और Satwik Kannan ने मंकीपॉक्स वायरस के उपभेदों का विश्लेषण करते हुए पांच विशिष्ट प्रोटीनों की जांच की- डीएनए पोलीमरेज, डीएनए हेलिकेज, ब्रिजिंग प्रोटीन ए22आर, डीएनए ग्लाइकोसिलेज और जी9आर. मंकीपॉक्स के इलाज के लिए रोग नियंत्रण और रोकथाम-अनुमोदित दवाओं के लिए केंद्रों की प्रभावकारिता उप-इष्टतम रही है, संभवत: क्योंकि वह मूल रूप से एचआईवी और दाद (HIV and shingles) के इलाज के लिए विकसित किए गए थे, लेकिन हाल ही में मंकीपॉक्स के प्रकोप को नियंत्रित करने के प्रयास में आपातकालीन उपयोग प्राधिकरण प्राप्त किया. --आईएएनएस

Monkeypox Study : भारत में फैल रहा मंकीपॉक्स Strain यूरोप से अलग है

न्यूयॉर्क : भारतीय-अमेरिकी वैज्ञानिकों की एक टीम ने पाया है कि मंकीपॉक्स म्यूटेशन (Monkeypox mutations) ने वायरस को मजबूत और स्मार्ट बनने में सक्षम बनाया है और अधिक लोगों को संक्रमित करने के अपने मिशन में एंटीवायरल दवाओं और टीकों से परहेज किया है, यानी antiviral drugs और टीकों का असर नहीं हो रहा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO ) के अनुसार, वायरस ने 100 से अधिक देशों में 77,000 से अधिक लोगों को संक्रमित किया है, और हाल के दिनों में, मामले की मृत्यु अनुपात लगभग 3-6 प्रतिशत रहा है. Monkeypox virus is strong smart after mutations . Research of missouri university Research .

जर्नल ऑफ ऑटोइम्यूनिटी (Journal of Autoimmunity) में प्रकाशित अध्ययन के निष्कर्ष, मंकीपॉक्स के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली मौजूदा दवाओं को संशोधित करने या नई दवाओं को विकसित करने में मदद कर सकते हैं जो उत्परिवर्तन का मुकाबला कर सकते हैं और इस प्रकार बीमारी के लक्षणों को कम कर सकते हैं और वायरस के प्रसार को रोक सकते हैं. प्रोफेसर कमलेंद्र सिंह (Professor Kamalendra Singh Missouri University ) के नेतृत्व में मिसौरी विश्वविद्यालय (Missouri University) के शोधकर्ताओ की एक टीम ने मंकीपॉक्स वायरस में विशिष्ट उत्परिवर्तन की पहचान की जो इसकी निरंतर संक्रामकता में योगदान करते हैं. शोधकर्ता श्रीकेश सचदेव (Shrikesh Sachdev Researcher) ने कहा, एक अस्थायी विश्लेषण करके, हम यह देखने में सक्षम थे कि समय के साथ वायरस कैसे विकसित हुआ है. एक महत्वपूर्ण खोज यह थी कि वायरस अब विशेष रूप से उत्परिवर्तन जमा कर रहा है.

Shrikesh Sachdev ने कहा- तो, वायरस मजबूत हो रहा है, यह हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया से दवाओं या एंटीबॉडी द्वारा लक्षित होने से बचने में सक्षम है और अधिक लोगों तक फैल रहा है. कमलेंद्र सिंह (Professor Kamalendra Singh) MU College of Veterinary Medicine के प्रोफेसर और क्रिस्टोफर एस बॉन्ड लाइफ साइंसेज सेंटर (Christopher S Bond Life Sciences Center) के प्रमुख अन्वेषक ने शोध के लिए श्रीकेश सचदेव, अथरेया रेड्डी, श्री लेख कंदासामी, सिद्दप्पा बायरारेड्डी और सात्विक कन्नन (Srikesh Sachdev, Athreya Reddy, Sri Lekh Kandasamy, Siddappa Byrareddy and Satwik Kannan) के साथ सहयोग किया.

बड़ा वायरस है मंकीपॉक्स : टीम ने मंकीपॉक्स वायरस के 200 से अधिक उपभेदों के डीएनए अनुक्रमों (200 strains of monkeypox virus DNA sequences) का विश्लेषण किया- 1965 से, जब वायरस पहली बार फैलने लगा, 2000 के दशक की शुरूआत में और फिर 2022 में इसका प्रकोप हुआ. प्रमुख शोधकर्ता Kamalendra Singh ने कहा, हमारा ध्यान वायरस जीनोम की नकल करने में शामिल विशिष्ट जीन को देखने पर है. मंकीपॉक्स एक बहुत बड़ा वायरस है जिसके जीनोम में लगभग 200,000 डीएनए बेस हैं. उन्होंने समझाया कि मंकीपॉक्स के लिए DNA genome लगभग 200 प्रोटीन में परिवर्तित हो जाता है, इसलिए यह उन सभी 'कवच' के साथ आता है जिससे इसे दोहराने, विभाजित करने और दूसरों को संक्रमित करने में मदद मिलती है. वायरस खुद की अरबों प्रतियां बनाते हैं और केवल सबसे योग्य ही जीवित रहते हैं, क्योंकि उत्परिवर्तन उन्हें अनुकूलित करने और फैलने में मदद करते हैं.

Sri Lekh Kandasamy और Satwik Kannan ने मंकीपॉक्स वायरस के उपभेदों का विश्लेषण करते हुए पांच विशिष्ट प्रोटीनों की जांच की- डीएनए पोलीमरेज, डीएनए हेलिकेज, ब्रिजिंग प्रोटीन ए22आर, डीएनए ग्लाइकोसिलेज और जी9आर. मंकीपॉक्स के इलाज के लिए रोग नियंत्रण और रोकथाम-अनुमोदित दवाओं के लिए केंद्रों की प्रभावकारिता उप-इष्टतम रही है, संभवत: क्योंकि वह मूल रूप से एचआईवी और दाद (HIV and shingles) के इलाज के लिए विकसित किए गए थे, लेकिन हाल ही में मंकीपॉक्स के प्रकोप को नियंत्रित करने के प्रयास में आपातकालीन उपयोग प्राधिकरण प्राप्त किया. --आईएएनएस

Monkeypox Study : भारत में फैल रहा मंकीपॉक्स Strain यूरोप से अलग है

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